सबसे खुशनसीब
औलाद जो सदा माँ के करीब है ;
सारी दुनिया में वो ही खुशनसीब है .
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जिसको परवाह नहीं माँ के सुकून की ;
शैतान का वो बंदा खुद अपना रकीब है .
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दौलतें माँ की दुआओं की नहीं सहेजता
इंसान ज़माने में वो सबसे गरीब है .
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जो लबों पे माँ के मुस्कान सजा दे
दिन रात उस बन्दे के दिल में मनती ईद है .
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माँ जो खफा कभी हुई गम-ए -बीमार हो गए ;
माँ की दुआ की हर दवा इसमें मुफीद है .
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है शुक्र उस खुदा का जिसने बनाई माँ !
मुबारक हरेक लम्हा जब उसकी होती दीद है .
शिखा कौशिक
4 टिप्पणियां:
माँ जो खफा कभी हुई गम-ए -बीमार हो गए ;
माँ की दुआ की हर दवा इसमें मुफीद है .
bahut sundar abhivyakti .badhai
बहुत प्यारी रचना .माँ का प्रेम तो अनमोल है .हर माँ को नमन ...बधाई
भ्रमर ५
है शुक्र उस खुदा का जिसने बनाई माँ !
सचमुच बिन माँ के इस दुनिया कि कल्पना भी नहीँ की जा सकती .... माँ तुझे नमन
राना सहाब की दो लाईने याद आ रहीं हैं
जिसके लवों पे कभी बदुआ नहीं होती
माँ मुझसे कभी ख़फा नहीं होती
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