कल टी. वी. पर देखा कि अमेरिका ने फिर से एक भारतीय देवयानी खोबरागाडे का अपमान कर दिया है। वह अमेरिका में भारत की एक राजनयिक हैं। इस तरह की ख़बरें देखने के हम आदी हो चुके हैं लेकिन हमें यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि भारत उनके इस अपमान पर इतना सख्त रद्दे-अमल ज़ाहिर करेगा। बहरहाल भारत का यह काम वाक़ई तारीफ़ के क़ाबिल है।
इस विषय पर आज (18 दिसंबर 2013) हिन्दुस्तान में छपा में यह लेख छपा है जिसमें अमेरिका की नीयत और नीति का ख़ुलासा किया गया है-
इस विषय पर आज (18 दिसंबर 2013) हिन्दुस्तान में छपा में यह लेख छपा है जिसमें अमेरिका की नीयत और नीति का ख़ुलासा किया गया है-
कुछ साल पहले एक यूरोपीय देश के राजनयिक को एक सड़क दुर्घटना के सिलसिले में अमेरिका में जेल भेज दिया गया था। लेकिन अमेरिका दूसरे देशों में अपने राजनयिक ही नहीं, अन्य लोगों के लिए भी विशेष सुविधाएं चाहता है, भले ही वे संदेहास्पद चरित्र के लोग हों।कुछ वक्त पहले अमेरिकी दूतावास के लिए काम कर रहे एक अमेरिकी ठेकेदार ने पाकिस्तान में कुछ लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसे राजनयिक सुरक्षा नहीं मिली हुई थी, लेकिन अमेरिका ने दबाव डालकर उसे पाकिस्तान से छुड़वाकर अमेरिका पहुंचा दिया। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों का आरोपी डेविड हेडली अमेरिकी जेल में बंद है, लेकिन अमेरिका उसे भारत को सौंपने को तैयार नहीं है। डेविड हेडली अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के लिए काम करता था और उसकी हरकतों की जानकारी होते हुए भी अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने उसे वक्त रहते नहीं पकड़ था, न भारत को उसकी हरकतों की जानकारी दी थी। अगर ऐसा किया जाता, तो शायद 26/11 का हमला रोका जा सकता था। इससे जाहिर होता है कि अमेरिका का दूसरे देशों से व्यवहार परस्पर सम्मान और अंतरराष्ट्रीय परंपराओं के मुताबिक नहीं, बल्कि ताकत के तर्क से तय होता है। इस मामले में भी भारत का यही कहना है कि सामान्य मानवीय शिष्टाचार का खयाल तो रखा जाना चाहिए था।
इस घटना के बाद यह सवाल उठता है कि आखि़र अमेरिकी हाथों से क्यों उतर रहे हैं भारतीयों के कपड़े ?
इसका जवाब यही है कि एशियाई देशों की शक्ति बिखरी हुई है। जब तक ये देश अपने साझा हित के लिए एक नहीं होंगे तब तक भारतीयों के कपड़े उतरते ही रहेंगे। आगे से चाहे राजनियकों के कपड़े न भी उतारे जाएं तब भी आम भारतीयों को तो ज़िल्लत बर्दाश्त करनी ही पड़ेगी।
बहरहाल संशोधित लोकपाल मुबारक हो।
सुना है कि यह संसद में पास हो गया है और अन्ना ने अपना अनशन तोड़ दिया है। उनके मंच पर उनके साथ खड़े बीजेपी और कांग्रेस के समर्थक भी ख़ुशी से तिरंगा फहरा रहे हैं।
अब सरकार को इस लोकपाल से दो चार मंत्रियों को पकड़वाना ही पड़ेगा वर्ना अरविंद केजरीवाल का आरोप सच साबित हो जाएगा कि इस क़ानून से तो एक चूहा भी जेल नहीं जाएगा।
धन्यवाद अरविंद केजरीवाल, इतने अच्छे कमेंट के लिए कि लोकपाल के शिकंजे में भ्रष्टाचारी को फंसना ही पड़ गया। बहरहाल संशोधित लोकपाल मुबारक हो।
सुना है कि यह संसद में पास हो गया है और अन्ना ने अपना अनशन तोड़ दिया है। उनके मंच पर उनके साथ खड़े बीजेपी और कांग्रेस के समर्थक भी ख़ुशी से तिरंगा फहरा रहे हैं।
अब सरकार को इस लोकपाल से दो चार मंत्रियों को पकड़वाना ही पड़ेगा वर्ना अरविंद केजरीवाल का आरोप सच साबित हो जाएगा कि इस क़ानून से तो एक चूहा भी जेल नहीं जाएगा।
3 टिप्पणियां:
आपकी औकात ही क्या है ..आप कपडे , जूते,सारे प्रसाधन अमरीका के ही पहनते ओढ़ते हैं .....खाना उन्हीं का खाते हैं ...उन्हें की बोली बोलते हैं..उन्हीं की फ़िल्में, सोंग, नाटक, खेल देखते हैं -खेलते हैं ...नक़ल करते हैं .उन्हीं के जैसे सोचते हैं....उन्हीं के साज-सामानों से आपका देश अटा-भरा पडा है..अपनी चीजें आपको स्तरहीन लगती हैं....उन्हीं की मल्टी नेशनल्स में काम करते हैं, उन्हीं के लिए ..उन्हीं की पगार पर ज़िंदा हैं ...
----आपकी औकात क्या है जो उसे टोक सकें चाहे चीरहरण हो या जेल ..क्या कर लोगे आप....
@श्याम जी ! वाह वाह , बहुत खूब और बहुत गहरी कही और पते कि भी.
THIS TIME INDIA HAS TAKEN RIGHT STEP .VERY RELEVANT POST .THANKS
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