'भारतीय नारी'-क्या होना चाहिए यहाँ जो इस ब्लॉग को सार्थकता प्रदान करे ? आप साझा करें अपने विचार हमारे साथ .यदि आप बनना चाहते हैं 'भारतीय नारी ' ब्लॉग पर योगदानकर्ता तो अपनाE.MAIL ID प्रेषित करें इस E.MAIL ID PAR-shikhakaushik666@hotmail.com
शनिवार, 31 अगस्त 2013
शुक्रवार, 30 अगस्त 2013
कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !!
कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !! |
नारी मुझको रोना आता तेरी इस लाचारी पर ,
कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !!
कोख में कन्या-भ्रूण है सुनकर मिलता आदेश मिटाने का ,
विद्रोह नहीं क्यूँ तू करती ?क्यूँ ममता तेरी जाती मर !!
कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !!
दुल्हन बनकर जो आती है वो भी तो तेरी बेटी सम ,
जब आग में झोंकी जाती है क्यूँ नहीं रोकती तू बढ़कर !!
कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !!
बेटा-बेटी में भेद बड़ा तू भी तो करने लगती है ,
बेटी को डांट पिलाकर के बेटा लेती बाँहों में भर !!
कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !!
कर सकती है तो इतना कर ये सोच बदल दकियानूसी ,
दोनों फूलों से है उपवन बेटा-बेटी दोनों सुन्दर !
कौन करेगा गर्व भला भारत की ऐसी नारी पर !!
शिखा कौशिक 'नूतन '
मंगलवार, 27 अगस्त 2013
श्री कृष्ण जन्म अष्टमी पर शुभकामनाएं |
श्री कृष्ण जन्म अष्टमी पर शुभकामनाएं |
जसोदा तेरा लल्ला कितना सलोना है ,
पालने में झूलता चंदा सा खिलौना .
कान्हा को बाँहों का झूला झुलाएंगे ,
मीठी मीठी लोरी सुनाकर सुलायेंगें ,
ममता की बरखा से उसको भिगोना है .
जसोदा तेरा लल्ला ....
ले गोद कान्हा को गोकुल घुमाएंगे ,
गैय्या दिखाएंगें उपवन घुमायेंगें ,
मखमल सा कोमल ये गोकुल का छौना है .
जसोदा तेरा लल्ला .....
कब लब होंगे आज़ाद कब लेंगें खुलकर साँस ?
कब लब होंगे आज़ाद कब लेंगें खुलकर साँस ?
शोषित पीड़ित नारी ये सोच रही है आज !
***************************
कब तक बनकर सीता अग्नि परीक्षा देंगी ?
कब तक शुचिता -प्रमाणन की आज्ञा पूर्ण करेंगी ?
कब मूक कंठ से अपने भी निकलेगी आवाज़ ?
शोषित पीड़ित नारी ये सोच रही है आज !
*******************************
कब तक वस्तु की भाँति इसको दाँव लगाओगे ,
चीर -हरण करवाकर लज्जित करवाओगे ,
फूल सी देह के भीतर कब दिल होगा फौलाद !
शोषित पीड़ित नारी ये सोच रही है आज !
******************************
कब तक बेटी के होने पर शोक मनाओगे ,
तुम दहेज़ की खातिर उसको आग लगाओगे ,
कभी तो दुर्गा बनकर वो भी देगी गर्दन काट !
शोषित पीड़ित नारी ये सोच रही है आज !
**********************
इंद्र छल का फल कब तक भोगे अहिल्या ,
दुष्यंत के धोखे में क्यों आती हैं शकुन्तला ,
कब भावों पर बुद्धि कर पायेगी राज !
शोषित पीड़ित नारी ये सोच रही है आज !
*******************************
चूड़ी ,बिंदी ,बिछुआ ,सिन्दूर के श्रृंगार ,
पति तो रुतबे वाली पति ही जीवन का आधार ,
कब पति करेंगें पत्नी -हित कोई उपवास !
शोषित पीड़ित नारी ये सोच रही है आज !
शिखा कौशिक 'नूतन '
शुक्रवार, 23 अगस्त 2013
मानव तुम ना हुए सभ्य
आज भी कई
होते चीरहरण
कहाँ हो कृष्ण
***
रही चीखती
क्यों नहीं कोई आया
उसे बचाने
***
निर्ममता से
तार-तार इज्ज़त
करें वहशी
***
हुआ वहशी
खो दी इंसानियत
क्यों आदमी ने
***
तमाम भय
असुरक्षित हम
कैसा विकास
***
कैसी ये व्यथा
क्यों रहे जानवर
पढ़-लिख के
***
वामा होने की
कितनी ही दामिनी
भोगतीं सज़ा
***
बेबस नारी
अजीब-सा माहौल
कैसा मखौल
***
ओ रे मानव
कई युग बदले
हुआ ना सभ्य
***
Dr. Sarika Mukesh
http://hindihaiku.blogspot.com
बुधवार, 21 अगस्त 2013
श्याम स्मृति...स्त्री-शिक्षा व शोषण-चक्र ....डा श्याम गुप्त ...
स्त्री-शिक्षा व शोषण-चक्र
....
यदि शिक्षा व स्त्री-शिक्षा के इतने प्रचार-प्रसार के पश्चात् भी शोषण व उत्प्रीणन जारी रहे तो क्या लाभ ? हमें बातें नहीं, कर्म पर विश्वास करना चाहिए, परन्तु यथातथ्य विचारोपरांत । यह
शोषण-उत्प्रीणन चक्र अब रुकना ही चाहिए । पर जब तक नारी स्वयं आगे नहीं आयेगी, क्या होगा, कुछ
नहीं ? नारी-शोषण में कुछ नारियां ही तो भूमिका में होती हैं । आखिर हीरोइनों को कौन विवश करता है
अर्धनग्न नृत्य के लिए ? चंद पैसे ही न । क्या कमाई का यह ज़रिया वैश्यावृत्ति का नया अवतार नहीं कहा
जा सकता ।
आखिर नारी क्या चाहती है ? नारी स्वातंत्र्य का क्या अर्थ हो ? मेरे विचार में स्त्री को भी पुरुषों
की भाँति सभी कार्यों की छूट होनी चाहिए । हाँ, साथ ही सामाजिक मर्यादाएं, शास्त्र मर्यादाएं व स्वयं स्त्री
सुलभ मर्यादाओं की रक्षा करते हुए स्वतंत्र जीवन का उपभोग करें । आखिर पुरुष भी तो स्वतंत्र है, परन्तु
शास्त्रीय, सामाजिक व पुरुषोचि मर्यादा निभाये बगैर समाज उसे भी कब आदर देता है । वही स्त्री के लिए भी
है । भारतीय समाज में प्राणी मात्र के लिए सभी स्वतन्त्रता सदा से ही हैं । हाँ, गलत लोग, गलत स्त्री तो हर
समाज में सदा से होते आये हैं व रहेंगे । इससे सामाजिक संरचना थोड़े ही बुरी होजाती है । अतः उसे कोसा
जाय , यह ठीक नहीं । और 'समाज को बदल डालो' यह नारा ही अनुचित है अपितु 'स्वयं को बदलो ' नारा
होना चाहिए । यही एकमात्र उपाय है आपसी समन्वय का एवं स्त्री-पुरुष, समाज-राष्ट्र व विश्व-मानवता की
भलाई व उन्नति का |
रविवार, 18 अगस्त 2013
बेटी पराई -लघु कथा
बेटी पराई -लघु कथा |
शिखा कौशिक 'नूतन '
गुरुवार, 15 अगस्त 2013
अगीत की शिक्षा शाला -अगीत राष्ट्र व राष्ट्र की नवोन्नति के ---कार्यशाला ५ ....डा श्याम गुप्त ...
...
अगीत की शिक्षा शाला -कार्यशाला-5
अगीत ....राष्ट्र व राष्ट्र की नवोन्नति के
आओ हम राष्ट्र को जगाएं
आज़ादी का जश्न मनाना
हमारी मज़बूरी नहीं
अपितु कर्त्तव्य है |
आओ हम सब मिलकर ,
विश्व बंधुत्व अपनाएं
स्वराष्ट्र को प्रगति पथ पर
आगे बढायें | -------- डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'
खोल दो
घूंघट के पट,
हटा दो ह्रदय पट से
आवरण,
मिटे तमिस्रा
हो नव विहान | ---सुषमा गुप्ता
बेड़ियाँ तोड़ो
ज्ञान दीप जलाओ
नारी-अब -
तुम्ही राह दिखाओ,
समाज को जोड़ो | -----सुषमा गुप्ता
आओ हम अन्धकार को दूर करें
रात और दिन खुशी खुशी बीते
सारा संसार शान्ति पाए
अपना यह राष्ट्र प्रगतिगामी हो
वैज्ञानिक उन्नति से
इसको भरपूर बनाएं | ---डा रंग नाथ मिश्र 'सत्य'
नवयुग का मिलकर
निर्माण करें,
मानव का मानव से प्रेम हो
जीवन में नव बहार आये|
सारा संसार एक हो,
शान्ति और सुख में
यह राष्ट्र लहलहाए | --डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'
---- अगीत की कार्यशालायें...मेरे ब्लॉग 'अगीतायन (http://ageetayan.blogspot,com) पर प्रकाशित की जायगीं.............
बुधवार, 14 अगस्त 2013
भारतीय स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
भारतीय स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
अपनी जमीन सबसे प्यारी है ;
अपना गगन सबसे प्यारा है ;
बहती सुगन्धित मोहक पवन ;
इसके नज़ारे चुराते हैं मन ;
सबसे है प्यारा अपना वतन ;
करते हैं भारत माँ को नमन
वन्देमातरम !वन्देमातरम !
करते हैं भारत माँ ! को नमन .
**********************
**********************
उत्तर में इसके हिमालय खड़ा ;
दक्षिण में सागर सा पहरी अड़ा ;
पूरब में इसके खाड़ी बड़ी ;
पश्चिम का अर्णव करे चौकसी ;
कैसे सफल हो कोई दुश्मन !
करते हैं भारत माँ को नमन !
वन्देमातरम !वन्देमातरम !
करते हैं भारत माँ! को नमन .
**********************
**********************
हम तो सभी से बस इतना कहें ;
हिन्दू मुसलमान मिलकर रहें ;
नफरत की आंधी अब न चले;
प्रेम का दरिया दिलों में बहे ;
चारों दिशाओं में हो अमन ;
करते हैं भारत माँ! को नमन !
वन्देमातरम!वन्देमातरम!
करते हैं भारत माँ !को नमन .
जय हिंद !
शिखा कौशिक 'नूतन '
शिखा कौशिक 'नूतन '
सोमवार, 12 अगस्त 2013
कुल का दीपक -लघु कथा
ओमप्रकाश बाबू के घर में गर्मियों की छुट्टियाँ आते ही रौनक आ गयी .विवाहित बेटा सौरभ व् विवाहित बेटी विभा सपरिवार अपने पैतृक घर जो आ गए थे .ओमप्रकाश बाबू का पोता बंटी व् नाती चीकू हमउम्र थे और सारे दिन घर में धूम मचाते .एक दिन चीकू दौड़कर विभा के पास रोता हुआ पहुंचा और सुबकते हुए बोला -'' ''मम्मा चलो यहाँ से .......बंटी कहता है ये उसका घर है ...हम मेहमान हैं .....उसने नाना जी की बेंत पर भी मुझे हाथ लगाने से मना कर दिया ...बोला ये उसके बाबा जी की है और वे उसे ही ज्यादा प्यार करते हैं … क्योंकि वो उनके कुल का दीपकहै ...चलो अपने घर चलो ...'' विभा ये सुनकर आवाक रह गयी .उसने चीकू के आँसूं पोछे और उसे बहलाकर इधर-उधर की बातों में लगा दिया .उस दिन से विभा का मूड कुछ उखड गया और वो तय प्रोग्राम को पलटकर जल्दी ससुराल लौट गयी .ससुराल आते ही उसने पाया उसकी ननद सुरभि ; जो उसी शहर में ब्याही हुई थी ,अपने बेटे टिंकू के साथ वहां आई हुई थी .विभा को आते देखकर सुरभि ने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया और चीकू टिंकू का हाथ पकड़कर इधर-उधर डोलने लगा .थोड़ी देर बाद टिंकू रोता हुआ आया और सुरभि से लिपट गया .सुरभि के चुप कराने पर वो भरे गले से बोल -'' मॉम चीकू भैया ने मुझे बहुत डांटा... मैंने नाना जी का एक पेन उनके टेबिल से उठा लिया तो वो बोले कि ये उसके बाबा जी का है और उनकी हर चीज़ उसकी है मेरी नहीं !'' पास बैठी विभा टिंकू का हाथ पकड़कर प्यार से अपनी ओर खींचते हुए उसके आंसू पोंछकर बोली -'' ''बेटा ...चल मेरे साथ ...बता कहाँ हैं वो कुल का दीपक ...अभी लगाती हूँ उस के एक चांटा ....यहाँ हर चीज़ तुम्हारी भी उतनी ही है जितनी चीकू की ...'' ये कहकर विभा खड़ी हुई ही थी कि चीकू ने आकर कान पकड़ते हुए टिंकू से कहा -'' सॉरी ब्रदर ..आई बैग योर पार्डन .'' इस पर सुरभि विभा दोनों हँस पड़ी .
शिखा कौशिक 'नूतन '
रविवार, 11 अगस्त 2013
अब वह दिन दूर नहीं-पी वी संधू को सलाम
अब वह दिन दूर नहीं जब महिला शक्ति को सलाम करने को ये दुनिया खड़ी होगी
'' तू अगर चाहे झुकेगा आसमां भी सामने, दुनिया तेरे आगे झुककर सलाम करेगी . जो आज न पहचान सके तेरी काबिलियत कल उनकी पीढियां तक इस्तेकबाल करेंगी .''
बधाइयां: सिंधू की कामयाबी से किंग खान भी गदगद
Updated on: Sun, 11 Aug 2013 12:00 PM (IST)
नई दिल्ली। विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में बेशक भारतीय युवा खिलाड़ी पीवी सिंधू को सिर्फ कांस्य से संतोष करना पड़ा हो लेकिन उसके बावजूद उन्होंने देश का दिल जीत लिया। आम से लेकर खास तक सभी इस नए सितारे की चमक को सलाम कर रहे हैं।
बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान अपनी फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस की प्रमोशन और फिल्म को मिली ताजा सफलता के बाद जश्न में व्यस्त जरूर हैं लेकिन फिर भी पीवी सिंधू की इस बेहतरीन सफलता पर वह खुद को रोक नहीं सके और उन्होंने ट्वीट के जरिए अपनी सिंधू को बधाई दी। शाहरुख ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, '..और मुबारकबाद सिंधू। तुमने हमें गौरवान्वित किया है। मिस्टर पादुकोण (प्रकाश) ने यह कर दिखाया था और अब तुमने भी। बहुत आगे जाना है..खेलती रहो।' गौरतलब है कि शाहरुख की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में उनकी सह-कलाकार अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के पिता प्रकाश पादुकोण ने पुरुषों के सिंगल्स मुकाबलों में 1983 के कोपेनहेगन विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया था, उसके बाद 2011 के लंदन संस्करण में महिलाओं के युगल मुकाबलों में ज्वाला गुंट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने भी कांस्य जीता था लेकिन महिलाओं के सिंगल्स में विश्व चैंपियनशिप का पदक जीतने वाली सिंधू पहली खिलाड़ी बन गई हैं।
किंग खान के अलावा बैडमिंटन स्टार अश्विनी पोनप्पा ने भी बधाइयां देते हुए कहा, 'मुझे लगता है कि सिंधू का प्रदर्शन लाजवाब था। महिलाओं के सिंगल्स मुकाबलों में वह ऐसा करने वाली पहली खिलाड़ी बन गई हैं। यह कामयाबी बाकी युवा खिलाड़ियों का मनोबल भी ऊंचा करेगी।' उधर, अश्विनी की जोड़ीदार ज्वाला ने ट्वीट के जरिए अपनी बधाई दी, ज्वाला ने लिखा, 'अइयो..हार्ड लक सिंधू। कुछ नहीं होता, तुम अब भी रॉकस्टार हो। कांस्य के लिए बधाइ।' इसके अलावा खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी सिंधू को बधाइ देते हुए कहा, 'ग्वांगझू में जारी विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में तुम्हारे अद्भुत प्रदर्शन के लिए बधाइ। महिलाओं के सिंगल्स इवेंट में कांस्य जीतकर तुमने देश को गर्व करने का मौका दिया है।' राजनेता दिगविजय सिंह ने भी सिंधू को ट्वीट के जरिए बधाई दी। उन्होंने लिखा, 'शानदार प्रदर्शन सिंधू। उसको और उसके कोच को बधाइ। वह युवा है और लगन के साथ खेलने वाली खिलाड़ी है, उसका भविष्य उज्जवल है।'
गौरतलब है कि सिंधू ने चीन की विश्व में दूसरी वरीयता खिलाड़ी व टूर्नामेंट की डिफेंडिंग चैंपियन जैसी स्टार खिलाड़ियों को हराकर सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था, लेकिन सेमीफाइनल में थाइलैंड की विश्व में तीसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी रत्चानोक इंथानोन ने सिंधू को 10-21, 13-21 से रौंदकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। करोड़ों फैंस का उस समय दिल तो टूटा लेकिन सिंधू की इस सफलता ने आगे लिए उनके रास्ते व उनके मनोबल को और आसान व मजबूत बना दिया है।[दैनिक जागरण से साभार ]
प्रस्तुति-शालिनी कौशिक [एडवोकेट ]
सदस्यता लें
संदेश (Atom)