शनिवार, 14 सितंबर 2013

निर्भया ने ली होगी सुकून की अब साँस !

तारिख थी सोलह

सन दो हजार बारह ,

और दिसंबर मास !

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हैवानियत की इन्तिहाँ ,

इंसानियत का क़त्ल ,

इंसानी जिस्मों में

वहशियत का वास !

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निर्भया की आहें

जख्मों पे उसकी टीसें ,

गूंजती रही हैं

आज तक आस-पास !

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दरिंदों को मिली फाँसी ,

कितना सुखद अहसास !

निर्भया ने ली होगी

सुकून की अब साँस !



शिखा कौशिक 'नूतन'

1 टिप्पणी:

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

निर्भया के अपराधी पांच थे औए सजा मिली चार को ही और उसमें सबसे बड़ा दरिंदा बच निकला फिर अभी यह न्याय तो अधूरा ही है !