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[गूगल से साभार ] |
वीरुभाई जी ने एक सटीक टिपण्णी की है .मैं पूरी तरह से सहमत हूँ .आप भी पढ़िए -
मजबूत इरादों की सुदृढ़ दीवार सी जोश पूर्ण रचना ,..........."पुरुष ,गंवार और घोड़ा ,इन्हें जितना मारो थोड़ा ",नारी को अबला कहने (अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी ,आँचल में है दूध और आँखों में पानी )के दिन गए (ढोल ,गंवार शूद्र ,पशु -नारी ,सकल ताड़ना के अधिकारी )पढने के दिन गए ,किरण बेदी हैं आज "फौलादी इरादों वाली ,उसूलों वाली औरत ,अन्ना के आन्दोलन की सात्विक आंच सी ,जीवन की उजास सी ,नए प्रभात सी ......मैं इनमे प्रधान मंत्री /गृह -मंत्राणी की छवि देख रहा हूँ . जय अन्ना ,जय भारत .
आज हमें वास्तव में किरण बेदी जी जैसी साहसी ,ईमानदार महिलाओं की आवश्यकता है.ऐसी महिलाएं ही देश को आगे ले जा सकती हैंप्रधानमंत्री पद की शोभा ऐसी ही भारतीय महिला बढ़ा सकती है
क्या आप सहमत हैं?
शिखा कौशिक
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