तलाक, एक ऐसा दुःखद शब्द, भावना या अनुभूति जिसे शायद ही कोई शादीशुदा जोड़ा अपनी शादी के साथ जोड़ने की इच्छा भारतीय संस्कृति में करे, प्राचीन भारतीय संस्कृति में तलाक या विवाह विच्छेद का कोई स्थान नहीं था किंतु जैसे जैसे समाज ने तरक्की की, संस्कृति ने आधुनिकीकरण का बाना धारण किया, तलाक भी भारतीय शादीशुदा जोड़ों की जिंदगी में अपनी जगह बना गया और फिर रही बॉलीवुड की चमचमाती जिंदगी, वहां तो आए दिन शादी, लिव इन, तलाक जैसे शब्दों का प्रचलन आम है.
अभी हाल ही में मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी ने अपने बेटे की शादी की, जिसमें लगभग पूरा बॉलीवुड आमंत्रित था. आमंत्रित थे बिग बी अमिताभ बच्चन अपने पूरे परिवार के साथ. उड़ती हुई खबरों के मुताबिक अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन और उनकी पत्नी पूर्व मिस वर्ल्ड और प्रसिद्ध अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन भी वहां आई किन्तु अभिषेक जहां अपने माता पिता और बहन के साथ व्यस्त रहे, वहीं दूसरी ओर ऐश्वर्या अपनी बेटी के साथ अलग आई और इन सबसे अलग ही रही, इस तरह की रिपोर्ट के बाद अभिषेक ऐश्वर्या मे मनमुटाव की सुगबुगाहट उनके प्रशंसकों में होना कोई बड़ी बात नहीं थी किन्तु उस सुगबुगाहट की आग में घी डालने का काम खुद अभिषेक बच्चन ने किया. अभिषेक बच्चन ने सोशल मीडिया में तलाक की एक पोस्ट लाइक कर अपने और ऐश्वर्य के बीच की दरारों को और हवा दे दी. अभिषेक बच्चन ने इंस्टाग्राम पर" ग्रे डिवोर्स" के एक पोस्ट को लाइक किया । जिसमें लिखा था-" जब प्यार आसान नहीं रह जाता। तलाक किसी के लिए भी आसान नहीं होता। कौन हमेशा खुश रहने का सपना नहीं देखता। फिर भी कभी-कभी जीवन वैसा नहीं होता जैसा हम उम्मीद करते हैं, लेकिन जब लोग दशकों साथ रहने के बाद अलग हो जाते हैं, जब वे अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बड़ी और छोटी दोनों चीजों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं तो वे इसका कैसे सामना करते हैं।"
अभिषेक बच्चन ने ग्रे डिवोर्स की सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक किया और उसके बाद से ही ग्रे डिवोर्स को लेकर चर्चा शुरू हो गई. इस समय पूरे सोशल मीडिया में छाया हुआ है" ग्रे डिवोर्स "शब्द.
*ग्रे डिवोर्स का सबसे पहले इस्तेमाल अमेरिका में
ग्रे डिवोर्स शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमेरिका में मिलता है. अमेरिका में 2004 के आसपास शुरू ग्रे डिवोर्स के बारे में हम कह सकते हैं कि ग्रे डिवोर्स की संस्कृति भारत में कदम रखने से पहले ही अमेरिका में लगभग 20 साल से पहले से ही कदम जमा चुकी है.
प्राचीन काल में जब बेटी को घर से विदा किया जाता था तो यह कहकर किया जाता था कि अब बेटी की अर्थी ससुराल से ही निकले, किन्तु धीरे धीरे बेटी को पराया धन माने जाने की प्रवृत्ति पर कुछ अंकुश लगा है और अब बहुत से माता पिता बेटी को ससुराल में परेशान देख उसके मायके में उसे वापस लाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं, यही नहीं, अब बेटियां भी पढ़ी लिखी और अपने पैरों पर खड़ी होने के कारण ससुराल के अत्याचारों को बर्दाश्त नहीं कर रही हैं. पहले पहल तो लड़कियां अब अपने पैरों पर खड़े होने को ही प्राथमिकता दे रही हैं और अपने पैरों पर खड़े हो जाने के बाद भी शादी जैसे रिश्ते को बंधन का ही दर्जा दे रही हैं. यहीं लड़के भी अब शादी की जिम्मेदारी से बचने के लिए और कुछ लड़कों के प्रति कानून की सख्ती देखकर भी शादी नहीं करना चाहते हैं ऐसे में एक नया रिश्ता उभरा है लिव-इन रिलेशनशिप का, जिसमें थोड़े समय साथ रहकर एक दूसरे को छोडकर लड़का लड़की अलग हो लेते हैं किन्तु यह रिश्ता अभी तो नाममात्र ही प्रचलित कहा जाएगा क्योंकि घर के बडों का विशेषकर उच्चवर्ग के बडों का, जहां उद्योगपति वर्ग में घर की कमान अभी भी घर के बडों के ही हाथ में है वहां लव कम अरेंज मैरिज अभी भी हो रही हैं किन्तु निभाई कितनी जा रही हैं ये सभी के सामने हैं. बहुत से मामलों में जब शादीशुदा जोड़ों के बीच अनबन होती है और तलखी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि साथ रहना बिल्कुल ही मुश्किल हो जाए तो उच्च वर्ग के कपल एक दूसरे से तुरंत अलग हो जाते हैं, कई बार तो शादी के 2 या 3 साल बाद ही लोग तलाक भी ले लेते हैं, लेकिन ग्रे डिवोर्स इससे थोड़ा अलग है। इसका यदि गहराई से आकलन किया जाए तो जब पति पत्नी के बाल सफेद होने लगे तब वे तलाक ले लेते हैं,यानी 40 -50 साल की उम्र में जोड़े एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और एक बार फिर से नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं ताकि उनके बच्चों पर किसी तरह का नेगेटिव असर न पड़े, ये उम्र वह होती है जब बच्चे लगभग अपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाते हैं, बच्चे पढ़ लिखकर बड़े हो जाते हैं, आत्मनिर्भर हो जाते हैं, वे खुद अपनी जिंदगी में माँ बाप का दखल बर्दाश्त नहीं कर पाते तब यह तलाक होता है,इस वजह से इसका नाम ग्रे डिवोर्स है।
*पश्चिम देशों में ग्रे डिवोर्स आम
ग्रे डिवोर्स को डायमंड तलाक और सिल्वर स्प्लिटर्स भी कहा जाता है। पश्चिमी देशों में ग्रे डिवोर्स बेहद आम है। उम्र के अंतिम पड़ाव पर आकर जब एक शादीशुदा जोड़े को तलाक लेकर एक-दूसरे से अलग रहना पड़े उसे ग्रे डिवोर्स कहा गया है और साधारण भाषा में 50 की उम्र के बाद शादीशुदा जोड़ा तलाक ले कर एक दूसरे से अलग होता है तो उसे ग्रे डिवोर्स कहते हैं।
*आधुनिक समाज में बढ़ रहा है ग्रे डिवोर्स का चलन
1990 से अब तक ग्रे डिवोर्स के मामले पश्चिमी देशों में दोगुनी रफ्तार से बढ़े हैं। एक अध्ययन के मुताबिक 2030 तक यह संख्या तीन गुना हो सकती है। एक रिसर्च के आंकड़े बताते हैं 2005 और 2015 के बीच इंग्लैंड और वेल्स में तलाक में 28% की गिरावट आई। उसी अवधि के दौरान इंग्लैंड और वेल्स में 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों की संख्या में 23% की वृद्धि हुई, जबकि 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं की संख्या में 38% की वृद्धि हुई। ये सारे मामले ग्रे डिवोर्स के थे।
अब विस्तार से जानें ग्रे डिवोर्स के बारे में -
ग्रे डिवोर्स उस तलाक को कहा जाता है जो जीवन में बाद में होते हैं, आमतौर पर जब लोग 50 या उससे ज्यादा उम्र के होते हैं. जब दो लोग तकरीबन कई साल एक साथ रह लेते हैं और तब वे जिस तलाक को लेते हैं उसे ग्रे डिवोर्स कहते हैं. ग्रे डिवोर्स सफेद बालों से आया है जो बुढ़ापे में आम है. इन तलाकों में अक्सर ऐसे कपल शामिल होते हैं जिन्होंने एक साथ बच्चों का पालन-पोषण किया है, जीवन की चुनौतियों से गुजरे हैं और कई दशकों में एक साथ जिंदगी बिताई है. जीवन में बाद में इस तरह के रिश्तों को खत्म करना काफी मुश्किल हो सकता है. क्योंकि इसका मतलब है कि नए सिरे से एक जीवन शुरु करना.
ग्रे तलाक क्यूँ होता है -
1- वित्तीय मुद्दे -
ग्रे डिवोर्स में वित्तीय मुद्दे एक प्रमुख कारक हैं. जब एक पति या पत्नी के बीच फाइनेंशियल मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पाती है, तो इससे तनाव हो सकता है. कई बार पैसों को लेकर मतभेद का सामना भी करना पड़ता है. ऐसे में रिश्ते को आगे चलाना मुश्किल हो जाता है. कुछ मामलों में, समस्याएं तब बढ़ती हैं जब एक साथी ही पैसा कमाता है और वित्तीय निर्णय लेता है. इससे रिश्ते में असंतुलन और नाराजगी पैदा होती है.
2- एक दूसरे के प्रति वफादार न रहना
ग्रे डिवोर्स में एक दूसरे के प्रति वफादार न रहना एक और बड़ा मुद्दा है. कई बार शादीशुदा कपल रिश्ते में बेवफाई कर देते हैं. वे अपने पति या पत्नी का स्थान अपने लिव इन पार्टनर को दे देते हैं, ऐसे में तलाक लेना एक आखिरी विकल्प रह जाता है.
3. रिश्ते में दूरी बढ़ना
ग्रे डिवोर्स का एक बड़ा कारण पति पत्नि के बीच में दूरी का बढ़ना है. कई कपल बच्चों के बड़े होने तक इंतजार करते हैं और बच्चों के बड़े होने पर ग्रे डिवोर्स ले कर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं.
4. मादक पदार्थों की लत
मादक पदार्थों की लत भी ग्रे डिवोर्स का कारण बन सकती है. चाहे वह ड्रग्स, शराब, जुआ या अश्लील लिटरेचर हो. किसी भी तरह के नशे की लत शादी पर बुरा असर डालती है. जब एक साथी अपने परिवार की जरूरतों पर अपने नशे को प्राथमिकता देता है, तो इससे परिवार को बिखरते देर नहीं लगती. नशे की यह लत पति हो या पत्नी दोनों पर ही इस कदर हावी हो जाती है कि बार बार इसे छोड़ने का वायदा कर भी वे निभा नहीं पाते और नशे की लत के गुलाम होकर अपना खुशहाल परिवार उजाड़ देते हैं.
5- मनोवैज्ञानिक कारण
मनोवैज्ञानिक और विवाह परामर्शदाता शिवानी मिस्री साधु के अनुसार ग्रे डिवोर्स के निम्न लिखित मनोवैज्ञानिक कारण भी हो सकते हैं -
अ-खाली घोंसला सिंड्रोम:
जब बच्चे घर छोड़ देते हैं, तो पति पत्नी के जीवन में एक खालीपन सा आ जाता है, उन्हें यह एहसास होता है कि अब उनके कोई साझा लक्ष्य या रुचियां नहीं रहीं, जिससे उन्हें अपने विवाह का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ता है।
ब-सेवानिवृत्ति:
सेवानिवृत्ति के बाद, दम्पति एक-दूसरे के साथ अधिक समय बिताने लगते हैं उनकी दिनचर्या में परिवर्तन आ जाता है, बच्चों को भी उनका ज्यादा घर में रहना, टोका टाकी करना चुभने लगता है क्योंकि अभी तक के जीवन में माता पिता के पास उनके लिए समय नहीं था और अब बच्चों के पास माँ बाप के लिए समय खतम हो चुका होता है परिणामस्वरूप, सेवानिवृत्ति की आयु में वे किस प्रकार जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, इस पर मतभेद उत्पन्न हो जाता है।
स-जीवन प्रत्याशा में वृद्धि:
स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि के कारण आज जीवन प्रत्याशा दर अधिक है और लोग लंबे समय तक जीवित रहते हैं, इसलिए शादीशुदा जोड़े समय के साथ खुद को अलग होते हुए पाते हैं और नए तरीकों से व्यक्तिगत संतुष्टि की तलाश करना चाहते हैं।
द-वित्तीय स्वतंत्रता:
आज महिलाएं अधिक स्वतंत्र हैं क्योंकि वे पढ़ी लिखी हैं उनके पास अपना कैरियर और सभी वित्तीय संसाधन हैं, जो उन्हें असंतोषजनक विवाह से बाहर निकलने और अपने दम पर जीने का साधन प्रदान कर रहे हैं।
य-बदलते सामाजिक दृष्टिकोण:
समाज अब तलाक की अवधारणा को स्वीकार कर रहा है, जिससे वृद्धों के लिए इस विकल्प पर विचार करना आसान हो रहा है।
6-ग्रे डिवोर्स के कारण वैश्विक स्तर पर
वैश्विक स्तर पर तलाक पर किये गए तमाम शोधों से पता चलता है कि ग्रे डिवोर्स के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन तीन सबसे बड़े कारण होते हैं:
1. एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम -
एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम वह टर्म है जिसके बारे में अभी मनोवैज्ञानिक शिवानी मिस्त्री साधु ने भी बताया था कि यह वह अवसाद है जिसका उपयोग उस हानि या दुःख को बयां करने के लिए किया जाता है जो माता-पिता तब महसूस करते हैं जब उनका आखिरी बच्चा भी घर छोड़ देता है। एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को नींद कम आती है। चेहरे पर उदासी छाई रहती है। कभी-कभी व्यक्ति क्रोधित हो उठता है। इस दौरान वह खुद को नुकसान भी पहुंचाने की कोशिश करता है।
2. रिटायरमेंट के साइड इफेक्ट्स -
नौकरी या काम से रिटायरमेंट के बाद अपने जीवनसाथी के साथ चौबीसों घंटे समय बिताना सुखद लग सकता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है, एक लम्बे समय तक जीवन में निश्चित समय सीमा में मिलना शादीशुदा जोड़ों की प्राथमिकताओं में परिवर्तन ला देते हैं. कपल्स को लग सकता है कि उनकी रुचियां और लक्ष्य अब मेल नहीं खा रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव पर आकर कपल्स को महसूस होता है कि हम दोनों में काफी असमानता है। यही असमानता ग्रे डिवोर्स की इच्छा को बढ़ावा दे सकती है।
3. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं -
उम्र के इस पड़ाव पर होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी ग्रे डिवोर्स के आंकड़ों को बढ़ा रही हैं। दरअसल रिटायरमेंट के बाद कई आम स्वास्थ्य समस्याएं आ सकती है जैसे तनाव का बढ़ना, यौन इच्छा में कमी आदि। इसके अलावा कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं वित्तीय संकट को जन्म देती हैं। बुढ़ापे में इसी तरह के उथल-पुथल कपल को ग्रे डिवोर्स की ओर ले जाते हैं।
* ग्रे डिवोर्स लेने वाले प्रसिद्ध नाम
जैसा कि हमने आपको पहले ही बता दिया था कि ग्रे डिवोर्स लेने वाले पश्चिमी देश हों या भारत, मिलेंगे आपको उच्च वर्ग, हॉलिवुड, टोलिवुड या बॉलीवुड में ही जैसे कि एलिजाबेथ टेलर, जेफ बेजोस, मॉर्गन फ्रीमैन और रॉबिन विलियम्स जैसी कई मशहूर विदेश हस्तियों ने ग्रे डिवोर्स लिया है। वहीं बात भारत की करें तो इस फेहरिस्त में बॉलीवुड की ऐसी कई सेलिब्रिटी हैं जिन्होंने इसी ट्रेंड को फॉलो किया है, इनमें मलाइका और अरबाज, किरण राव और आमिर खान,अर्जुन रामपाल और मेहर जेसिया, कमल हासन, आशीष विद्यार्थी और कबीर बेदी जैसे ढेरों नाम शामिल हैं।
*ग्रे डिवोर्स के सम्भावित परिणाम
यूं तो तलाक लेना कभी भी आसान नहीं हो सकता क्योंकि ये दिल का रिश्ता होता है, दिल से जुड़ा होता है इसीलिए तलाक हमेशा परेशान करने वाला होता है और ग्रे डिवोर्स काफी ज्यादा परेशान करने वाला होता है क्योंकि ग्रे डिवोर्स में जिस इंसान के साथ इतना लंबा वक्त बिताया हो, सुख-दुख, खुशियां परेशानियां साथ झेली हों, उससे अलग होना पड़ता है । ये अलगाव किसी सदमे की तरह होता है। कुछ लोग इस सदमे से उबर जाते हैं तो कोई इसमें ही डूब कर रह जाता है, जीवन के अंतिम वर्षों में अपने जीवन साथी से अलग होने का निर्णय एक चुनौती की तरह ही होता है जिन पर विचार विमर्श किया जाना जरूरी है । ग्रे तलाक के संभावित परिणाम कुछ इस प्रकार हैं:
1- आर्थिक प्रभाव -
संपत्तियों का बंटवारा, खास तौर पर रिटायरमेंट फंड का बंटवारा एक जटिल काम हो सकता है और इससे दोनों पक्षों की आर्थिक सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। इसमें गुजारा भत्ता, आर्थिक स्तर आदि पर विचार किया जाता है।
2-स्वास्थ्य सुरक्षा :
वृद्धों को स्वास्थ्य देखभाल की बहुत अधिक आवश्यकता होती है और तलाक के कारण बीमा कवरेज और स्वास्थ्य देखभाल जिम्मेदारियों का विभाजन जटिल हो सकता है और कानूनन यह सब पति के जिम्मे ही आता है क्योंकि आर्थिक रूप से पत्नी को लगभग पति पर ही निर्भर माना जाता है और उसका स्तर पिता के बाद पति के स्तर पर ही आधारित किया जाता है.
3-मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
किसी भी उम्र में तलाक मानसिक रूप से सबसे ज्यादा प्रभावित करता है जो उन वृद्धों के लिए कठिन होता है जो दशकों से एक साथ रह रहे हों। व्यस्क हो चुके बच्चों पर भी इसका प्रभाव महत्वपूर्ण होता है और उन्हें जिम्मेदारी बढ़ने का और परिवार की स्थिरता डगमगाने का खतरा लगने लगता है.
4-सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन:
प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और ऐसे में विवाह हो या तलाक दोनों ही उसकी सामाजिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालते हैं. तलाक के कारण सामाजिक दायरे में बदलाव आ सकता है, क्योंकि दोस्त और परिवार के लोग पक्ष लेना शुरू कर सकते हैं या अलग हो सकते हैं, या नए सिंगल व्यक्तियों के साथ मिलने में असहज महसूस कर सकते हैं। नतीजतन, नए सिंगल व्यक्ति को अकेलापन महसूस होने लगता है और उसे एक नया सामाजिक नेटवर्क बनाने की आवश्यकता होती है जो कि 50 वर्ष के होने के बाद एक बेहद कठिन कार्य होता है.
5- दैनिक जीवन में बदलाव :-
रहने सहने की व्यवस्था में बदलाव, पारिवारिक घर छोड़ना, तनावपूर्ण हो सकता है शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से कष्ट पूर्ण हो सकता है और इसमें समायोजित होने में कुछ समय लगता है और कभी कभी यह समायोजन ताउम्र नहीं हो पाता है क्योंकि बुढ़ापे में अकेले रहना जटिल है।
6-कानूनी पहलुओं पर विचार :-
50 साल के बाद के जीवन में तलाक काफी थका देने वाला हो सकता है, क्योंकि पति पत्नी को इसके लिए कई कानूनी पहलुओं से गुजरना पड़ता है, जैसे अगर वसीयत की हो तो उसे अपडेट करना , लाभार्थियों के पदनाम, तथा पावर ऑफ अटॉर्नी आदि की नियुक्ति करना, अपनी इच्छा के अनुसार अपनी बात ऊपर रख पाना, अपने सहयोगियों को उचित सम्मान देना और यह सुनिश्चित करना कि सम्पत्ति सुरक्षित है।
इस तरह से अगर देखा जाए तो तलाक हमेशा मानसिक रूप से कष्टदायक होते हैं. लेकिन ग्रे डिवोर्स और भी ज्यादा कष्टदायक हो सकता है. उम्र के उस पड़ाव पर जब हम एक दूसरे के आदी हो चुके होते हैं, दूसरे के बिना अपने जीवन की कल्पना भी हम नहीं कर सकते हैं. कई साल, लगभग आधा जीवन एक साथ बिताने के बाद अलग होने का निर्णय, जीवन की दोबारा शुरुआत करने के समान ही है जो कि बहुत भारी लग सकता है. ऐसे में, जल्दबाजी न करते हुए यदि किसी मनोवैज्ञानिक की, हेल्प ग्रुप की या फैमिली एडवोकेट की मदद ली जाए, शुभचिंतक के सामने अपनी समस्या रखी जाए तो समस्या भी टल सकती है और ग्रे डिवोर्स भी, जो कि अंततः टल ही जाना चाहिए क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर अगर कोई सच्चा साथी होता है तो वह आपका जीवनसाथी होता है न कि आपके बच्चे या करीबी रिश्तेदार.
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)