सोमवार, 7 अगस्त 2023

श्रेया को इन्साफ मिले तभी लिखें RIP

 


विद्यालय प्रांगण दिन प्रति दिन छात्र/छात्राओं के शोषण का स्थल बनते जा रहे हैं. आज़मगढ़ की गर्ल्स कॉलेज की ग्यारहवीं की छात्रा श्रेया तिवारी की संदिग्ध आत्महत्या /हत्या इसका ताजा उदाहरण है। अब तो RIP लिखते हुए भी दिल नहीं मानता. RIP तभी लिखें जब श्रेया को इन्साफ मिले।

-डॉ शिखा कौशिक नूतन 

गुरुवार, 20 जुलाई 2023

स्त्री होना कितना भयावह #मणिपुर

 मणिपुर हिंसा की आग में जल गई बेटियों की अस्मत और सरकार तमाशबीन बनी हुई है। लानत है।



नारी शक्ति है क्या

  



 
    मणिपुर वीभत्स घटना आज पूरे देश के सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर छाई हुई है. महिलाओं के लिए मौजूदा समय कितना दुखदायी है निरन्तर आंखों के सामने खुलता जा रहा है. यूँ तो, आरंभ से नारी की जिंदगी माँ के गर्भ में आने से लेकर मृत्यु तक शोचनीय ही रहती है. वह चाहे बेटी हो, पत्नी हो या माँ, सभी की नजर में बेचारी ही रहती है. आज एक ओर सरकारी योजनाओं में मिशन शक्ति, विधिक सेवा प्राधिकरण आदि माध्यम से सरकार नारी को सशक्त किए जाने का अथक प्रयास कर रही है किन्तु यह प्रयास भी भारतीय पुरातन सोच को परिवर्तित करने में विफल ही नजर आते हैं. नारी को अबला और भोग्या ही समझने वाला पुरुष सत्ता धारी समाज नारी की सामाजिक स्थिति को उन्नत होते हुए नहीं देख सकता है और वह जब भी, जैसे भी नारी को शोषित करने का कोई भी दुष्कर्म कर सकता है, करता है. बृज भूषण सिंह हो, कुलदीप सेंगर हो या मणिपुरी आदिवासी समाज - महिला को अपमानित करने से कहीं भी पीछे नहीं हटते हैं और ऐसे में इन पुरुष सामंतवाद के समर्थकों पर फर्क नहीं पड़ता है नारी के कमजोर या सबल होने से और सबसे दुःखद स्थिति यह है कि आज सत्ता के शीर्ष पर बैठी नारी शक्ति की मिसाल भी नारी अपमान के मुद्दों पर नारी के साथ खड़ी दिखाई नहीं देती हैं और इतनी ऊपर पहुंचकर भी नारी के "अबला और बेचारी" होने की कहावत को ही चरितार्थ करती हैं.

शालिनी कौशिक एडवोकेट

कैराना (शामली)