बुधवार, 22 अगस्त 2018

नंगी हो रही औरत हर ओर है!!!


1-नारी सशक्तिकरण
का ये कैसा दौर है,
करना था नंगा
पुरुष की दंभी सोच को
पर हो रही नंगी औरत
हर ओर है!!!

2-
पुरूष की अहम
पिपासा निराली है,
जो खींचते हैं हाथ
भरे दरबार
द्रौपदी के चीर,
घूंघटों में रखते
अपनी घरवाली हैं!!!

3 -
कृतज्ञता ज्ञापित
करने में नहीं चुकाना
पड़ता है पैसा
फिर भी कुछ घमंडी
नहीं हो पाते कृतज्ञ
किसी के भी प्रति,
निश्चित रूप में
वे हैं प्रभु की
निकृष्टतम कृति!

4-
आपकी एक मुस्कान
कर  देती है
दृष्टा का ह्रदय प्रफुल्ल,
और उसकी प्रफुल्लता
बन मिश्री
जीवन में जाती घुल!

5-
टुकड़े टुकड़े
कर दिये
लड़की के जिस़्म के,
प्रेम की हैवानियत
या
हैवान का ये प्रेम?

6
मर्द की मर्दानगी
को है नहीं बर्दाश्त
वो प्रेम निवेदन करे
और औरत करे इंकार,
इस बेइज्जती ने
दिल में ऐसी लगाई आग
झुलसा दिया औरत को
फेंक कर तेजाब.

7-
आज के हर मर्द को
एक पीड़ा सालती,
कठपुतलियां
नहीं क्यों  इशारों पे
नाचती?

8-
मैडम के मातहत है
दफ्तर के जितने मर्द,
इस  राय को मिला है
एकमत से बहुमत
मैडम का चरितर
जाने खुदा जाने,
वैसे वे रवैया
रखती हैं बहुत सख्त! 

11 टिप्‍पणियां:

Digvijay Agrawal ने कहा…

शुभ संध्या..
अक्षर का रंग बदलिए...
फीका पीला नहीं पढ़ा जा रहा है
सादर...

Shikha Kaushik ने कहा…

सर नमस्कार, बदल दिया है. कृपया अवलोकन करें.

Shalini kaushik ने कहा…

सत्य क्षणिकाएं

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सटीक

Shikha kaushik ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद

Shikha kaushik ने कहा…

हार्दिक आभार

deepa joshi ने कहा…

सुंदर रचना

डा श्याम गुप्त ने कहा…

वाह, बहुत सुन्दर अगीत रचनाएँ ---

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अपने अगीतायन ब्लॉग पर कापी पेस्ट कर रहा हूँ ये रचनाएँ

Shikha kaushik ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद सर.

Atoot bandhan ने कहा…

सभी क्षणिकाएं बेहतरीन