शनिवार, 25 अगस्त 2018

राखी बांधने का मकसद

मेरे भईया
प्यारे से भईया
ये बांधी है
कोमल सी, नरम सी
डोरी तुम्हारी मजबूत कलाई पर,
अपनी रक्षा के लिए कतई नहीं,
बल्कि तुम्हें ये स्मरण कराते रहने के लिए
कि जब भी किसी गैर लड़की को देखकर
तुम्हारे ह्रदय में उठे वासना का तूफान,
तभी इस पर नज़र पड़ते ही ये सोचकर
रूक जाना, हो जाना सावधान कि कहीं
तुम्हारी बहन भी किसी दिन, किसी जगह, फंसी हुई
किसी और पुरूष के चंगुल में
दे रही हो इज्जत बचाने का इम्तिहान!!! 

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवार (27-08-2018) को "प्रीत का व्याकरण" (चर्चा अंक-3076) पर भी होगी!
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रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Shikha kaushik ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद.

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सटीक

Atoot bandhan ने कहा…

सार्थक रचना

डा श्याम गुप्त ने कहा…

सुन्दर व सटीक ---