''हमारी हर खता को मुस्कुराकर माफ़ कर देती ;
खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती !
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''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ;
कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती !
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''मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती !
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''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती !
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उसी की बूँद बनकर ''माँ' दुनिया में रहती !
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ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
शिखा कौशिक
खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती !
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''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ;
कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती !
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''मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती !
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''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती !
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''खुदा के दिल में रहम का दरिया है बहता ;
उसी की बूँद बनकर ''माँ' दुनिया में रहती !
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''उम्रदराज माँ की अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
शिखा कौशिक
8 टिप्पणियां:
सुन्दर
बहूत सुन्दर
A गज़ल्नुमा कविता (न पति देव न पत्नी देवी )
मां खुदा से कम नहीं होती है.
हमारे दुख में हमसे ज्यादा रोती है.
बहुत सुम्दर व भावपूर्ण रचना.
सभी मां को मेरा नमन.
मां खुदा से कम नहीं होती है.
हमारे दुख में हमसे ज्यादा रोती है.
बहुत सुम्दर व भावपूर्ण रचना.
सभी मां को मेरा नमन.
सही कहा
बेहतरीन पंक्तियाँ...
माँ, दुनिया में सबसे प्यारी है।
बहुत सुन्दर
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