माँ की कोख से|
मैं हो गया अचंभा,
यह सोचकर||
कहाँ आ गया मैं,
ये कौन लोग है मेरे इर्द-गिर्द|
इसी परेशानी से,
थक गया मैं रो-रोकर||
तभी एक कोमल हाथ,
लिये हुये ममता का एहसास|
दी तसल्ली और साहस,
मेरा माथा चूमकर||
मेरे रोने पर दूध पिलाती,
उसे पता होती मेरी हर जरूरत|
चाहती है वो मुझे,
अपनी जान से भी बढ़कर||
उसकी मौजूदगी देती मेरे दिल को सुकून,
जिसका मेरी जुबां पर पहले नाम आया|
पहला कदम चला जिसकी,
उंगली पकड़कर||
उसे पता होती मेरी हर जरूरत|
चाहती है वो मुझे,
अपनी जान से भी बढ़कर||
उसकी मौजूदगी देती मेरे दिल को सुकून,
जिसका मेरी जुबां पर पहले नाम आया|
पहला कदम चला जिसकी,
उंगली पकड़कर||
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/05/blog-post_13.html
2 टिप्पणियां:
WELCOME RISHBH JI ON THIS BLOG .REALLY MOTHER IS GREAT AND WE NEVER COMPARE HER WITH ANYOTHER EXCEPT GOD .THANKS TO SHARE YOUR PRECIOUS POST HERE .
Your welcome, you are right.
and thanks to you.
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