मंगलवार, 24 मार्च 2015

नहीं कोई भी माँ से बढ़कर दुनिया में ;


[google से sabhar ]
कभी आंसू नहीं मेरी आँख में आने देती ;
मुझे माँ में खुदा की खुदाई दिखती है .

लगी जो चोट मुझे आह उसकी निकली ;
मेरे इस जिस्म में रूह माँ की ही बसती है .

देखकर खौफ जरा सा भी  मेरी आँखों में ;
मेरी माँ मुझसे दो कदम आगे चलती है .

मेरे चेहरे से मेरे दिल का हाल पढ़ लेती ;
मुझे माँ कुदरत का  एक करिश्मा लगती है .

नहीं कोई भी  माँ से बढ़कर दुनिया में ;
इसीलिए तो माँ दिल पर  राज़ करती  है .

                        शिखा कौशिक  'नूतन '





3 टिप्‍पणियां:

Rishabh Shukla ने कहा…

सही ही कहा गया है कि भगवान हर जगह हर छण नही रह सकते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया, इस दुनिया मे माँ से बढ़कर कुछ भी नही है।
सुंदर रचना. .....

Test ने कहा…

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Darshan jangra ने कहा…

आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 26/03/2015 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 44
पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,