''दर्शन-प्रवचन -सेवा''-लघु कथा |
चलने फिरने से लाचार सुशीला ने अपने कमरे में पलंग पर पड़े-पड़े ही आवाज़ लगाईं -'' बिट्टू .....बिट्टू '' इस पर छह साल का प्यारा सा बच्चा दौड़कर आया और चहकते हुए बोला -''..हाँ दादी माँ !'' सुशीला कराहते हुए बोली -''बेटा तेरी माँ कहाँ है ?उससे बोल बेटा कि दादी को चक्कर आ रहे हैं .'' बिट्टू दादी की बात सुनकर '' मम्मी..मम्मी !!'' चिल्लाता हुआ माँ के कमरे की ओर दौड़ा .बिट्टू की मम्मी नई साड़ी पहनकर कहीं जाने की तैयारी कर रही थी .बिट्टू मम्मी का हाथ पकड़ते हुए बोला -'' मम्मी दादी माँ को चक्कर आ रहे हैं .'' ये सुनते ही बिट्टू की मम्मी ने जैसे-तैसे साड़ी को लपेटा और सासू माँ के पास पहुँच गयी .सासू माँ के हाथ-पैर ठंडे देख वो फटाफट एक गिलास दूध गर्म कर लायी और अपने सहारे बैठाकर सासू माँ को धीरे-धीरे गिलास उनके होठों से लगाकर दूध पिलाने लगी .थोड़ी देर में सुशीला की तबीयत में सुधार हुआ और चक्कर आने बंद हो गए .बहू को नई साड़ी में देख सुशीला हौले से बोली - बहू कहीं जाने के लिए तैयार हो रही थी क्या ?'' इस पर बिट्टू की मम्मी सासू माँ के सिर की मालिश करते हुए बोली - ''हाँ माँ जी ..वो आज परम श्रद्धेय ज्ञानार्णव जी महाराज पैदल यात्रा करते हुए हमारे नगर में आगमन कर रहे हैं .उनके स्वागत हेतु समाज के लोग चौराहे पर पहुँचने के लिए कह गए थे पर आपकी तबीयत ठीक न देखकर मैंने जाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया .महाराज जी भी तो कहते हैं हमारे दर्शन -प्रवचन से बढ़कर है -घर में बड़ों की सेवा करना .मैंने ठीक किया ना माँ जी ?'' सुशीला के चेहरे पर संतोष के भाव आ पसरे और वो बहू की हथेली अपनी हथेली में लेते हुए बोली -''बिलकुल ठीक किया बेटा !''
शिखा कौशिक 'नूतन'
3 टिप्पणियां:
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (28-02-2015) को "फाग वेदना..." (चर्चा अंक-1903) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
very nice presentation .thanks
very nice presentation .thanks
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