सोमवार, 1 सितंबर 2014

कविता- हाँ आज याद आ रहीं हैं कविता


हाँ आज याद आ रहीं हैं कविता
बहुत दिल दुखा रहीं हैं कविता ।
ये वो कविता नहीं जिसे मैने कभी
पढ़ा हो,या रचा हो
यह वो कविता हैं
जिसे मैने महसूस किया हैं
जो फुलों सी महक़ का अहसास हैं
जो दो खामौश अधरों की प्यास हैं
जो सागर सी इठलाती,बलखाती हैं
जो तुम्हारे साथ बिताए लम्हों पर इतराती हैं
और हर दिन सजाती हैं इक़ नई कविता।।
             तरूण कुमार,सावन

5 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना...

Unknown ने कहा…

आप सभी का आभार
मैने यह रचना यह सोच कर यहां लगाई थी कि इस रचना की आलोचना अवश्य होगी। क्योंकि मैंने आज तक जितनी भी कविताएँ लिखी हैं उनमें से सबसे कमजोर मुझे यहीं कविता लगी। सोचा था कि आप लोग इस में कुछ सुझाव देगें। लेेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

Onkar ने कहा…

सुंदर कविता