साहिल ने तनु को आवाज लगाकर कहा-”तनु कहाँ रह गयी तुम? हमेशा तुम्हारी वजह से लक्ष्मी पूजन में देरी होती है. साहिल के बोलने क़ा लहजा इतना सख्त था कि तनु की आँखों में आंसू आ गए.ये देखकर साहिल की माताजी ने साहिल को डाँटते हुए कहा ”साहिल मैंने तो तुझे सदा स्त्री क़ा सम्मान करना सिखाया था फिर तू इतना कैसे बिगड़ गया? अरे! पहले घर की लक्ष्मी क़ा तो सम्मान कर तभी तो तेरी पूजा से लक्ष्मी देवी प्रसन्न होंगी .” साहिल को अपनी गलती क़ा अहसास हुआ और उसने तनु की ओर मुस्कुराते हुए कहा ”गृहलक्ष्मी जी यहाँ आ जाइये हमें आपसे माफ़ी भी मांगनी है और आपकी पूजा भी करनी है”. साहिल की बात सुनकर माता जी और तनु दोनों हस पड़ी.
शिखा कौशिक ‘नूतन ‘
6 टिप्पणियां:
a true story .
गृहलक्ष्मी की प्रसन्नता से ही लक्ष्मी प्रसन्न होंगी!
शुभ सन्देश !
बहुत सही और सुंदर लघुकथा।
सम्मान देने से ही सम्मान मिलता हैं।
सम्मान देने से ही सम्मान मिलता हैं।
Very nice...
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