महिला दिवस के उपलक्ष में एक कविता------
मम्मी इमोशनल होगई हैं...
पुत्रवधू का फोन आया -
बोली, पापा 'ढोक',
घर का फोन उठ नहीं रहा ,
कहाँ व कैसे हैं आप लोग ?
मम्मी इमोशनल होगई हैं...
पुत्रवधू का फोन आया -
बोली, पापा 'ढोक',
घर का फोन उठ नहीं रहा ,
कहाँ व कैसे हैं आप लोग ?
खुश रहो बेटी, कैसी हो ...
ठीक हैं हम भी ,
ईश्वर की कृपा से मज़े में हैं , और-
इस समय तुम्हारे कमरे में हैं ।
क्या पापा ...?
हाँ बेटा, हम जयपुर में हैं ,
तुम्हारे पापा के आतिथ्य में ।
हैं .... ! मम्मी कहाँ हैं , पापा ?
बैठी हैं तुम्हारे कमरे में,
तुम्हारे पलंग पर, सजल नयन ....
मम्मी इमोशनल होगई हैं, और-
बैठी विचार मग्न हैं -
सिर्फ यही नहीं कि,
कैसे तुम यहाँ की डोर छोड़कर
गयी हो वहां,
अज़नबी, अनजान लोगों के बीच ,
अनजान डगर ,
हमारे पास ।
अपितु - साथ ही साथ ,
अपने अतीत की यादों के डेरे में , कि-
कभी वह स्वयं भी अपना घर-कमरा-
छोड़कर आयी थी ;
इसी तरह और----
तुम्हारी ननद भी ,
गयी है , छोड़कर
अपना घर, कमरा, कुर्सी- मेज-
इसी प्रकार ..................
................................
और....और....और......।।
ठीक हैं हम भी ,
ईश्वर की कृपा से मज़े में हैं , और-
इस समय तुम्हारे कमरे में हैं ।
क्या पापा ...?
हाँ बेटा, हम जयपुर में हैं ,
तुम्हारे पापा के आतिथ्य में ।
हैं .... ! मम्मी कहाँ हैं , पापा ?
बैठी हैं तुम्हारे कमरे में,
तुम्हारे पलंग पर, सजल नयन ....
मम्मी इमोशनल होगई हैं, और-
बैठी विचार मग्न हैं -
सिर्फ यही नहीं कि,
कैसे तुम यहाँ की डोर छोड़कर
गयी हो वहां,
अज़नबी, अनजान लोगों के बीच ,
अनजान डगर ,
हमारे पास ।
अपितु - साथ ही साथ ,
अपने अतीत की यादों के डेरे में , कि-
कभी वह स्वयं भी अपना घर-कमरा-
छोड़कर आयी थी ;
इसी तरह और----
तुम्हारी ननद भी ,
गयी है , छोड़कर
अपना घर, कमरा, कुर्सी- मेज-
इसी प्रकार ..................
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और....और....और......।।