कितना अस्थाई ,कम टिकाऊ व अवैज्ञानिक है आज का आधुनिक विज्ञान , वैज्ञानिक खोज व अनुसंधानिक सत्य ....
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----देखिये संलग्न चित्र में ---
-----वही विज्ञान (चिकित्सा विज्ञान व एलोपैथिक चिकित्सक ) जो आज से लगभग ३०-४० वर्ष पहले बच्चे को तुरंत माँ के स्तन का दूध पिलाने को मना करता था एवं माँ के स्तन की प्रथम दुग्ध-धार ( कोलोस्ट्रम ) को पिलाने से मना करता था कि वह हानिकारक है ....और डब्बा बंद पाउडर दुग्ध पिलाना प्रारम्भ कर दिया जिससे ....
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----देखिये संलग्न चित्र में ---
-----वही विज्ञान (चिकित्सा विज्ञान व एलोपैथिक चिकित्सक ) जो आज से लगभग ३०-४० वर्ष पहले बच्चे को तुरंत माँ के स्तन का दूध पिलाने को मना करता था एवं माँ के स्तन की प्रथम दुग्ध-धार ( कोलोस्ट्रम ) को पिलाने से मना करता था कि वह हानिकारक है ....और डब्बा बंद पाउडर दुग्ध पिलाना प्रारम्भ कर दिया जिससे ....
-----न जाने कितने बच्चों की प्रतिरक्षा तंत्र खतरे में डाल कर रोगों का घर बना डाला ----माताओं को भी विभिन्न रोगों से ग्रसित कर दिया .....
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----वही आज उसी दुग्ध व कोलोस्ट्रम को प्रतिरक्षातंत्र के लिए लाभदायक बता रहा है ...|
---जबकि भारतीय माता व शिशु-ज्ञान सदा से ही उन्हें लाभदायक मानता आरहा था व है |
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (11-01-2019) को "विश्व हिन्दी दिवस" (चर्चा अंक-3213) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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