बुधवार, 19 मार्च 2014

भई तुम तो हद करती हो !


शौहर से बहस करती हो भई तुम तो हद करती हो !
शौहर से न डरती हो भई तुम तो हद करती हो !
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मैं आँखें दिखाता हूँ फिर हाथ उठाता हूँ ,
दबाने से न दबती हो भई तुम तो हद करती हो !
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मैं इल्ज़ाम लगाता हूँ फिर करता हूँ ज़लील ,
तुम मुझ पे ही हंसती हो भई तुम तो हद करती हो !
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मैंने तो काट डाले ख्वाबों के तेरे पंख ,
बिना पंख ही उड़ती हो भई तुम तो हद करती हो !
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'नूतन'जो क़त्ल करने को तलवार उठाई ,
तुम धार पर चलती हो भई तुम तो हद करती हो !

शिखा कौशिक 'नूतन' 


4 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

nice expression .

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

तुम डाल-डाल हम पात-पात !

Unknown ने कहा…

हद औरत ने नहीं की पुरूष ने की हैं....

डा श्याम गुप्त ने कहा…

तुम धार पर चलती हो भई तुम तो हद करती हो !

--- क्या बात है ...यह बात आखिर कुछ पुरुषों के समझ क्यों नहीं आती....