सोमवार, 2 दिसंबर 2013

मान जाओ बेग़म !!!

Muslim Wedding Bride and Groom - stock photo
मान जाओ बेग़म घर छोड़ कर न जाना ,
इसे कौन संभालेगा ?घर छोड़ कर न जाना !
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सबसे पहले जागना , आँगन बुहारना ,
घर कौन संवारेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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सुबह की पहली चाय ,शेविंग का गरम पानी ,
भला कौन उबालेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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मुन्नी के रिबन कसकर दो चोटियां बनाना ,
मुन्ना भी पुकारेगा ,घर छोड़ कर न जाना !
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अम्मी की कड़वी बातें और अब्बू का अकड़ना ,
गले कौन उतारेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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आलू मटर की सब्ज़ी ,गाज़र का मीठा हलवा ,
कौन पूरी उतारेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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बर्तन से लेकर कपडे ,दिन -रात चौका -चूल्हा ,
कौन खुद यूँ मारेगा ?घर छोड़ कर न जाना !
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'नूतन' सुनो है भोली ; बेबस ,नादान ,बेग़म ,
शौहर मना ही लेगा घर छोड़ कर न जाना !

शिखा कौशिक 'नूतन'

5 टिप्‍पणियां:

My Spicy Stories ने कहा…

Interesting Loving Poem shared by you ever. Being in love is, perhaps, the most fascinating aspect anyone can experience. प्यार की स्टोरी हिंदी में Thank You.

डा श्याम गुप्त ने कहा…

इस अब से डर कर थोड़े ही कोइ घर छोड़ता है ...जब तक अन्याय अत्याचार न हो...

देवदत्त प्रसून ने कहा…

वाह भैया!भगवान आप की अरदास पूरी करे !!

विभूति" ने कहा…

खुबसूरत अभिवयक्ति....

Unknown ने कहा…

अच्छी कविता ...बधाई