सोमवार, 4 नवंबर 2013

भैया मेरे राम जी, फिर भी मैं गुमनाम -



भैया मेरे राम जी, फिर भी मैं गुमनाम |
आये भैया दूज पर, बहना करे प्रणाम |

बहना करे प्रणाम, सुता कौशल्या माँ की |
दशरथ पिता प्रणाम, अवध की दिल में झाँकी |

मौसा मौसी गोद, डाल दी रविकर मैया |
पहले थी विकलांग, ठीक अब लेकिन भैया |

प्रबंध-काव्य का लिंक-

5 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

सुन्दर सामयिक रचना प्रस्तुति ...

BrijmohanShrivastava ने कहा…

दीपावली की बहुत बहुत बधाई — शुभकामनाऐं

बेनामी ने कहा…

sundar v sarthak prastuti .aabhar

Rajeev Kumar Jha ने कहा…

बहुत सुंदर.

Rajeev Kumar Jha ने कहा…

बहुत सुंदर.