गुरुवार, 14 नवंबर 2013

गोरी दुल्हन काला दूल्हा -लघु कथा

हल्के गुलाबी रंग की रेशमी साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहने गौरवर्णा नवविवाहिता अदिति अपने काले कलूटे पतिदेव के साथ पार्क में घूमने गयी पर उसे बड़ा अजीब लग रहा था .आते-जाते लोग उन दोनों को बड़े ध्यान से देख रहे थे जिसके कारण उसके पतिदेव का मूड उखड गया .किसी तरह इधर-उधर की बातें करते हुए बमुश्किल बीस-तीस मिनट काटे और घर वापस लौट लिए .घर के पास पहुँचते ही पीछे से एक मोटरसाइकिल पर दो शरारती किशोर निकले .जिन्होंने पीछे मुड़कर देखते हुए सीटी बजायी और हवा में ही ताना कस दिया '' हूर के साथ लंगूर , दिल्ली बहुत दूर '' . अदिति के काले कलूटे पतिदेव ने उन किशोरों को गुस्से से देखा और तेज चलकर अदिति से थोड़ी दूरी बना ली .घर पहुँचते ही पतिदेव ने अपना सारा गुस्सा अदिति पर उतारते हुए कहा -'' किसने कहा था यूँ हीरोइन बनकर जाने के लिए ...ढ़ंग के कपड़े नहीं हैं तुम्हारे पास ?'' इतना कहकर अदिति का जवाब सुने बिना वे टी.वी. ऑन कर समाचार देखने लगे .अदिति ने मन ही मन अपने माता-पिता को कोसा और सोचने लगी -'' शादी के वक्त तो गोरी लड़की चाहिए और अब अपने काले होने का गुस्सा मुझ पर उतार रहे हैं ये पतिदेव .अरे मैं तो चलो तुम्हारे अनुसार कपड़े पहन लूंगी पर जो भगवान् ने तुम्हे काजल मलकर भेजा है इसे किस साबुन से साफ कर पाओगे !! ये सोचते सोचते अदिति कपड़े बदलकर किचन में जाकर चाय बनाने लगी .
शिखा कौशिक 'नूतन'

7 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (15-11-2013) को "आज के बच्चे सयाने हो गये हैं" (चर्चा मंचःअंक-1430) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
मुहर्रम की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीया

डा श्याम गुप्त ने कहा…

वास्तव में तो पति को गर्व का अनुभव करके भगवान को धन्यवाद के साथ व पत्नी का धन्यवाद करना चाहिए और लड़कों डांटा भी जा सकता है , ताकि उन्हें भी उचित सीख मिले .....

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

western culture kitna bhi apna le ye india lekin purush ki nari ke prati soch vahi 500 varsh purani hai.

sunder prastuti.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर

Unknown ने कहा…

अच्छी कहानी ...आभार

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अनामिका जी ये पुरुष की नारी के प्रति सोच नहीं है अपितु कुछ अज्ञानी असभ्य लोगों की सोच है .....जैसे कुछ नारियों की भी पुरुषों के प्रति अशिष्ट सोच होती है....