शुक्रवार, 14 जून 2013

जो औरत मर्द से दबकर घर में रह नहीं सकती

Indian_bride : Indian woman with a beautiful blue sariIndian_bride : Series. young beautiful brunette in the indian national dress  

जो औरत  मर्द से दबकर घर  में रह नहीं सकती ,
वो  इज्ज़त से ज़माने में रह नहीं सकती !

सुनो बेगम है जिसको कद्र अपने शौहर की ,
वो घर की बात दुनिया में कह नहीं सकती !

करे कितने भी ज़ुल्म शौहर अपनी बेगम पर ,
वो बीवी क्या जो लब सिल के सह नहीं सकती !

हदों में रहना हुक्म मर्द का जिस बीवी ने माना ,
किसी भी वक़्त वो ज़ज्बात में बह नहीं सकती !

सितम सहकर करें जो खिदमत  'नूतन' अपने शौहर की ,
हैं पक्की एक  ईमारत  बीवियाँ  ढह  नहीं सकती !

शिखा  कौशिक   'नूतन'

5 टिप्‍पणियां:

Taarkeshwar Giri ने कहा…

kya bat hai

Shalini kaushik ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति .आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी .

आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अंतिम शेर का क्या अर्थ है.??

Shikha Kaushik ने कहा…

@shyam gupt ji -अर्थ स्वयं स्पष्ट है ....पक्की ईमारत सर्दी-गर्मी-बरसात के वार सहकर भी सुरक्षित खड़ी रहती है इसी तरह स्त्री की देह भी पुरुष के सब जुल्म सहकर उसी घर में उसकी खिदमत में लगी रहती है .

Pallavi saxena ने कहा…

उफ़्फ़ नारी जीवन की व्यथा को उजागर करती सार्थक पोस्ट।