आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक ,
दुराचारी एक न बचेगा लेते हैं प्रण ये आज !
रहम न करेंगें किसी पर हो चाहे अपना सगा ,
दुष्कर्म जो भी करेगा उसका कटेगा गला ,
खिल पायें कोमल कलियाँ ऐसा बना दें समाज !
आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक!
सहमे हुए न रहो अब दहला दो दुष्टों का दिल ,
इनको चढ़ा दो फाँसी पर जीने के ये न काबिल ,
लूट न पाए दरिंदा एक भी बेटी की लाज !
आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक !
हैवानों की मौत बनकर झपटेंगें हम इन्सान ,
कर देंगें टुकड़े इनके तब ही थमेगा तूफ़ान ,
अब न बहो भावना में विचारों में भर लो तेजाब !
आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक !
जय हिन्द !
शिखा कौशिक 'नूतन '
10 टिप्पणियां:
चेतावनी देती और आज की सटीक रचना
सार्थक सोच
वर्तमान का सच
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
bahut jabardast krodh se ot-prot.shandar abhivyakti .badhai
आपकी इस रचना में बलात्कारीयों के प्रति जबरदस्त गुस्सा है। शानदार अभिव्यक्ति..... आभार
उत्कृष्ट प्रस्तुति
गुस्से को आयाम देती एक सार्थक रचना !!
सुंदर एवं भावपूर्ण रचना...
आप की ये रचना 26-04-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
आक्रोश जायज़ है..
मगर आहत है मन...कहीं कोई उम्मीद तो दिखे..
अनु
आज इसी आक्रोश की जरूरत है।
आक्रोश के साथ चेतावनी पूर्ण रचना
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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लाजवाब रचना | बधाई
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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