शनिवार, 24 सितंबर 2011

सूखे नैन



नहीं आते आंसू,

सुख गया सागर,
इतना बहा कि अब
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |

याद है मुझको
तेरा वो रूठना,
दो बुँदे बहके
तुझे मन थी लेती,
जहर गई वो बूंदें
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |

आंसू नहीं मोती हैं
तुम्ही तो थे कहते,
एक भी ये मोती
तुम बिखरने नहीं देते,
खो गए वो मोती
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |

वर्दी पहने जब निकले थे

दी मुस्कान के साथ विदाई,
आँखों में था पानी
दिल रुलाता था जुदाई,
सुख गया वो पानी,

इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |

तब भी बहुत बहा था
जब ये खबर थी आई
देश रक्षा में तुने
अपनी जान है लुटाई,
पर अब नहीं बहते,
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |

जानती हूँ मैं
तुम नहीं हो आने वाले,
पर ये दिल ही नहीं मानता
तेरा इंतज़ार है करता,
करवटें बदल रोते-रोते,
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |

8 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

khuubsuurat prastuti ||

विभूति" ने कहा…

जानती हूँ मैं
तुम नहीं हो आने वाले,
पर ये दिल ही नहीं मानता
तेरा इंतज़ार है करता,
करवटें बदल रोते-रोते,
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |बेहतरीन अभिवयक्ति.....

सागर ने कहा…

behtreeen prstuti....

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अच्छी अभिव्यक्ति है....
-----पर कविता को प्रिंट होने के बाद भी दो बार देख लेना चाहिए ...मिसप्रिंट हो ही जाते हैं...यथा...
सुख गया =सूख गया
दो बुँदे = दो बूँदें
तुझे मन थी लेती = तुझे मना थी लेती
जहर गयी वो बूंदे = झर गयीं वो बूँदें
सुख गया वो पानी =सूख गया वो पानी
देश रक्षा में तुने = .....तूने

virendra sharma ने कहा…

भाव जगत के आलोडन ,अंतर मन की व्यथा की शाश्वत कथा ,एक बलिदानी की याद में सूखे नैन ,बे -चैन ,दिन रैन ....सुन्दर सार्थक प्रस्तुति किसी अपने के श्राद्ध सी .

virendra ने कहा…

atulneey bhaav . sunder rachnaa

Asha Joglekar ने कहा…

इस पीडा को आपने खूबसूरती से बांधा है ।

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut marmik kavita.