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विवाह पंजीकरण अब सभी के लिए अनिवार्य
हमारा देश परम्परा वादी है, यहां हर धार्मिक अनुष्ठान पारंपरिक रीति-रिवाजों से ही होते आए हैं, और इन्हीं परंपराओं और धार्मिक रीति रिवाज से बंधा हुआ है भारत में विवाह अनुष्ठान, जो परिवार और समाज के लोगों के मध्य अनुष्ठापित किया जाता है जिस कारण यहां शादी का पंजीकरण कराना जरूरी नहीं समझा जाता. आम धारणा यह है कि विदेश में जाने वाले जोड़ों और सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट यानी विशेष विवाह अधिनियम के तहत की गई शादियों का ही पंजीकरण अनिवार्य होता है।
इसीलिए अब यह जानना सभी के लिए जरूरी है कि शादी का पंजीकरण करवाना हर विवाहित जोड़े के लिए अब आवश्यक है। हमारे देश में शादी को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत पंजीकृत किया जाता है और मैरिज सर्टिफिकेट इस बात का वैध कानूनी सबूत होता है कि दंपति विवाहित हैं। हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत वर के लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष और वधु के लिए 18 वर्ष है। वहीं, विशेष विवाह अधिनियम के तहत दोनों लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष है। विवाह रजिस्ट्रेशन या विवाह पंजीकरण भारत में जरूरी सम्भव हुआ है माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश से. माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा फ़रवरी 2006 में फ़ैसला दिया गया था कि भारत में सभी धर्मों के विवाहों का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है. यह फ़ैसला लेने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा थी. इस फ़ैसले के तहत, सभी राज्य सरकारों को तीन हफ़्तों के अंदर इस संबंध में नियम बनाने का निर्देश दिया गया था. जिसमें निम्न जानकारी सभी राज्य सरकारों को उपलब्ध करानी थी-
🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन कराने के लिए नियम बनाने से पहले आम जनता से मांगी गई आपत्तियां।
🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने के बाद, राज्य सरकारों को जारी की गई उचित अधिसूचना।
🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए कानूनी रूप से नियुक्त अधिकारी।
🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन में वर वधू की आयु और वैवाहिक स्थिति का बताया जाना।
🌑 विवाह रजिस्ट्रेशन न कराने पर या ग़लत घोषणा पत्र दाखिल करने पर विधिक परिणाम या कानूनी कार्रवाई के बारे में भी प्रावधान करना।
यह सभी प्रावधान करने का मुख्य कारण एक निर्णय था, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा महिला हितार्थ लिया गया था. सिविल वाद में स्थानांतरित याचिका श्रीमती सीमा बनाम अश्विन कुमार (291) मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पूरे भारत में विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया गया.
प्रस्तुत मामला हरियाणा जनपद न्यायालय की ओर से विवाह पंजीकरण के मुद्दे पर याचिका थी जो राज्यों का मुद्दा थी । अलग अलग राज्यों में विवाह के संबंध में अलग-अलग नियम थे और इस मामले में सम्बन्धित राज्यों के विवाह अधिनियमों का उपयोग किया गया जैसे कि कर्नाटक विवाह (पंजीकरण और विविध प्रावधान) अधिनियम, 1976; असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935; बॉम्बे विवाह पंजीकरण अधिनियम, 1953; हिमाचल प्रदेश विवाह पंजीकरण अधिनियम, 1996; आंध्र प्रदेश अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2002: उड़ीसा मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1949। इन सभी को विचारार्थ ग्रहण करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14 फरवरी 2006 को निर्णय लिया गया और सभी राज्यों को विवाहों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और 3 महीने में पंजीकरण की प्रक्रिया के साथ वापस आने के निर्देश दिए गए।
➡️ निर्णय के प्रमुख घटक-
🌒 14 फ़रवरी 2006 को निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में निम्नलिखित मुद्दे प्रमुख रहे -
🌒 सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं का निर्णय लेने का अधिकार उल्लिखित किया।
🌒 सर्वोच्च न्यायालय ने विवाह में दुर्व्यवहार और बाल विवाह को कम करने के लिए विवाह के पंजीकरण आवश्यक स्थान दिया।
🌒 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निम्नलिखित कार्य करने का निर्देश जारी किया गया -
🌑"(i) पंजीकरण की प्रक्रिया आज से तीन महीने के भीतर संबंधित राज्यों द्वारा अधिसूचित की जानी चाहिए। यह मौजूदा नियमों में संशोधन करके, यदि कोई हो, या नए नियम बनाकर किया जा सकता है। हालांकि, उक्त नियमों को लागू करने से पहले आम जनता से आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। इस संबंध में, राज्यों द्वारा उचित प्रचार किया जाएगा और आपत्तियां आमंत्रित करने वाले विज्ञापन की तारीख से एक महीने तक मामले को आपत्तियों के लिए खुला रखा जाएगा। उक्त अवधि की समाप्ति पर, राज्य नियमों को लागू करने के लिए उचित अधिसूचना जारी करेंगे।
🌑 (ii) राज्यों के उक्त नियमों के तहत नियुक्त अधिकारी विवाहों को पंजीकृत करने के लिए विधिवत अधिकृत होंगे। आयु, वैवाहिक स्थिति (अविवाहित, तलाकशुदा) स्पष्ट रूप से बताई जाएगी। विवाहों का पंजीकरण न कराने या गलत घोषणा दाखिल करने के परिणाम भी उक्त नियमों में दिए जाएंगे।
🌑 यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उक्त नियमों का उद्देश्य इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करना होगा।
🌑 (iii) जब भी केन्द्रीय सरकार कोई व्यापक कानून बनाएगी, उसे जांच के लिए इस न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा।
🌑 (iv) विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के विद्वान वकील यह सुनिश्चित करेंगे कि यहां दिए गए निर्देशों का तत्काल पालन किया जाए।
➡️ उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण-
🌑 उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण साल 2017 महिला कल्याण विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों के पालन में अगस्त 2017 में लागू किया गया . इस नियम के तहत, उत्तर प्रदेश में होने वाली सभी शादियों का पंजीकरण कराना ज़रूरी कर दिया गया है।
➡️ क्यों ज़रूरी माना विवाह पंजीकरण?
🌒 बाल विवाह रोकने के लिए।
🌒 विधवाओं को उत्तराधिकार का दावा करने में सक्षम बनाने के लिए।
🌒 महिलाओं को पति से भरण-पोषण और बच्चों की अभिरक्षा के अपने अधिकारों का प्रयोग करने में सहायता करना।
🌒 द्विविवाह या बहुविवाह की जांच करने के लिए
🌒 पतियों को अपनी पत्नियों को छोड़ने से रोकने के लिए।
➡️ पंजीकरण प्रक्रिया-
🌒 उत्तर प्रदेश में विवाह का पंजीकरण हिन्दू विवाह अधिनियम (1955) या विशेष विवाह अधिनियम (1954) के तहत होता है.
🌒 आप अधिकारिक वेबसाइट igrsup.gov.in पर जाकर ऑनलाइन पंजाकरण कर सकते हैं.
🌒 पंजीकरण के बाद, विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा.
🌒 यूपी विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए, वर और वधू दोनों के आधार नंबर की आवश्यकता होती है.
🌒 पंजीकरण ऑनलाइन या ऑफ़लाइन किया जा सकता है.
🌒 ऑनलाइन पंजीकरण के लिए, igrsup.gov.in वेबसाइट पर जाएं.
🌒 ऑफ़लाइन पंजीकरण के लिए, संबंधित विवाह पंजीकरण कार्यालय में जाना होता है.
🌒 जो युगल शादी कर रहे हैं या पहले से शादीशुदा हैं, वे कोर्ट मैरिज करके अपनी शादी का पंजीकरण करा सकते हैं:
🌑 चरण-1 सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के कार्यालय में जाएं, जिसके अंतर्गत विवाह हुआ है या जहां दंपति रहते हैं।
🌑 चरण-2 आवेदन पत्र भरें और इस पर पति-पत्नी दोनों हस्ताक्षर करें। आवेदन के दिन ही जमा किए गए सभी दस्तावेजों का सत्यापन किया जाता है। सत्यापन पूरा होने के बाद अप्वॉइंटमेंट के लिए एक दिन तय किया जाता है।
🌑 चरण-3 यदि विवाह, विशेष विवाह अधिनियम के तहत हो रहा है, तो इसमें लगभग 60 दिन लग सकते हैं और हिंदूू विवाह अधिनियम के मामले में, आवेदन के बाद अप्वॉइंटमेंट की तारीख मिलने में लगभग 15 दिन लगेंगे।
🌑 चरण-4 दंपति में से किसी भी पक्ष का कोई भी व्यक्ति, जो विवाह के समय उपस्थित था, विवाह का गवाह हो सकता है। अप्वॉइंटमेंट के दिन, दोनों पक्षों और उनकी शादी में शामिल हुए गवाहों को उपस्थित रहना होगा। विवाह के पंजीकरण के लिए ऑनलाइन विकल्प भी उपलब्ध है। आप अपने राज्य की पंजीकरण वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
➡️ पंजीकरण हेतु ज़रूरी दस्तावेज़-
* आवेदन फॉर्म
• शादी का कार्ड
• आयु प्रमाण
• निवास का प्रमाण
• पासपोर्ट साइज फोटो
• 10 रुपये के स्टाम्प पेपर पर निर्धारित प्रारूप में पति और पत्नी दोनों की ओर से अलग-अलग शपथ पत्र। जिसमें सभी जरूरी विवरण हों और जो नोटरी द्वारा सत्यापित हो.
• यदि पति-पत्नी में से कोई एक तलाकशुदा है तो तलाक का आदेश।
• यदि पिछले पति या पत्नी की मृत्यु हो गई हो तो मृत्यु प्रमाण पत्र।
• विवाह के बाद नाम बदलने पर सरकारी राजपत्र की प्रति।
• यदि पति या पत्नी में से कोई एक विदेशी नागरिक है, तो वैवाहिक स्थिति प्रमाण पत्र।
• गवाह के लिए भी अपना पैन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र जमा करना जरूरी और गवाह दो होने जरूरी।
➡️ पंजीकरण का मह्त्व-
🌒 विवाह पंजीकरण कराए जाने पर एक प्रमाण पत्र प्राप्त होता है जिसे मैरिज सर्टिफिकेट कहा जाता है. मैरिज सर्टिफिकेट एक आधिकारिक दस्तावेज होता है जो रजिस्टार के द्वारा जारी किया जाता है, जिसमें तारीख और स्थान के साथ विवाह प्रक्रिया को प्रमाणित किया जाता है ।
🌒 विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र, दंपति के विवाहित होने का कानूनी सबूत होता है.
🌒 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए सभी धर्मों के लोगों के लिए शादी के पंजीकरण को अनिवार्य बना दिया था.
🌒 अगर आप पति के वीजा पर विदेश यात्रा करना चाहती हैंं।
🌒 संयुक्त स्वामित्व की संपत्ति खरीदते समय और संयुक्त रूप से होम लोन के लिए आवेदन करते समय।
🌒 भारत और अन्य देशें के भी दूतावास, पारंपरिक शादियों को मान्यता नहीं देते हैं। विदेशों में शादी को साबित करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य है।
🌒 संपत्ति के उत्तराधिकार के मामले में कानूनी कार्यवाही आसान होती है।
🌒 यदि जमाकर्ता या बीमाकर्ता की मृत्यु हो जाती है, जिसने किसी व्यक्ति को नामित नहीं किया था तो पति/पत्नी पारिवारिक पेंशन या बैंक जमा या जीवन बीमा लाभ का दावा करने में सक्षम होते हैं।
🌒 अगर आपको शादी के बाद अपना नाम बदलना हो या पासपोर्ट के लिए आवेदन करना हो या बैंक खाता खोलना हो।
🌒 यह दस्तावेज पति या पत्नी को अपने जीवनसाथी द्वारा त्यागे जाने से बचाता है।
🌒 संपत्ति के हस्तांतरण या कानूनी अलगाव के मामले में बच्चों की कस्टडी के लिए।
🌒 इसे वैवाहिक विवादों में मजबूत और वैध सबूत के रूप में भी माना जाता है।
अगर आप उत्तर प्रदेश के निवासी या नागरिक हैं तो विवाह पंजीकरण से संबंधित अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहिए मेरे ब्लॉग "कानूनी ज्ञान" से और कोई जिज्ञासा हो तो झटपट कमेन्ट सेक्शन में जाकर पूछ डालिए अपना सवाल, जवाब अवश्य दिया जाएगा. धन्यवाद 🙏🙏
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