मंगलवार, 21 जनवरी 2025

भारतीय समझदार राजनेत्री इकरा चौधरी

 


      इकरा हसन आज भारतीय राजनीति में एक विख्यात और समझदार राजनेत्री के रूप में पहचान बना रही हैं. कैराना क्षेत्र से हसन परिवार की चौथी सांसद के रूप में तो इकरा हसन ने नाम कमाया ही है उससे कहीं ज्यादा नाम राजनीति में होते हुए, पढ़ी लिखी होते हुए भी सर से दुपट्टा न हटने देने वाली भारतीय नारी के संस्कारों को अपनाकर कमा रही हैं. 

     विकिपीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार इकरा चौधरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में कैराना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं। वे समाजवादी पार्टी दल की राजनेत्री हैं। इकरा लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा के पूर्व सदस्य दिवंगत चौधरी मुनव्वर हसन और लोकसभा की पूर्व सदस्य बेगम तबस्सुम हसन की बेटी हैं. उन्होंने नई दिल्ली के क्वीन मैरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की। ​​इसके बाद उन्होंने 2020 में लंदन के SOAS विश्वविद्यालय से एमएससी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और कानून की पढ़ाई पूरी की।इकरा एक राजनीतिक परिवार से आती हैं, उनके दादा अख्तर हसन, पिता मुनव्वर हसन और माँ तबस्सुम हसन कैराना से पूर्व सांसद हैं। उनके भाई नाहिद हसन तीन बार विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने 2016 में जिला पंचायत चुनाव लड़कर 5000 वोटों से हारकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने अपने भाई नाहिद हसन के लिए चुनाव अभियान शुरू किया, जो कुछ मामलों में जेल में बंद थे। उन्होंने अभियान का नेतृत्व किया और अपने भाई को कैराना विधानसभा क्षेत्र से विजयी उम्मीदवार के रूप में चिह्नित किया । 2024 के आम चुनाव के दौरान , इकरा ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदीप कुमार को 69,116 मतों के अंतर से हराकर कैराना से संसद सदस्य बनने का गौरव प्राप्त किया । शिक्षा मंत्रालय के बजट पर चर्चा के दौरान उन्होंने अल्पसंख्यक शिक्षा के साथ भेदभाव करने के लिए बजट की आलोचना की। उन्होंने मौलाना आज़ाद फाउंडेशन के बंद होने और पाठ्यपुस्तकों से डार्विन के सिद्धांत और मुगल इतिहास के विरूपण सहित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और वैज्ञानिक सामग्री को हटाने पर भी चिंता व्यक्त की।

    इकरा चौधरी आज भारतीय राजनीति का गौरव बन गई हैं. क्षेत्र की बेटी की काबिलियत और क्षेत्रवासियों से अपनापन सभी क्षेत्रवासियों के दिलों में अपनी गहरी छाप छोड़ चुका है. 

    इस सब के मध्य एक स्थिति ऐसी भी है जिसे लेकर स्वयं इकरा चौधरी भी नाराजगी जता चुकी हैं और स्वयं कह चुकी हैं कि "मैं चाहती हूं कि मैं इन रील के स्थान पर अपने काम के लिए पहचानी जाऊँ." 

संसद में कैराना की आवाज उठाने वाली, संभल हिंसा में मुसलमानों को लेकर चिंता व्यक्त करने वाली इकरा चौधरी के भाषण, बयान सुनने के लिए क्षेत्रवासी टी वी, मोबाइल पर चिपके रहते हैं. इकरा चौधरी के वीडियो सामने स्क्रीन पर देखते ही जैसे ही उन्हें क्लिक करते हैं उनमें उनके भाषण के स्थान पर, बयानों के स्थान पर, क्षेत्रवासियों के साथ चर्चा करते हुए उनके आश्वासनों के स्थान पर फिल्मी गाने लगे होते हैं जो क्षेत्र की बेटी की गरिमा का, मर्यादा का उल्लंघन करते हुए नजर आते हैं. 

     आज देश को जिस तरह के युवा, सद्भावना पूर्ण राजनेताओं की जरूरत है इकरा चौधरी उनमें से एक हैं. वे जनता में, युवाओं में लोकप्रिय हैं और उनमें वो दिमाग है जो युवा पीढ़ी को सही दिशा में लेकर जा सकता है, बुजुर्गों, महिलाओं की सुरक्षा, समस्याओं का समाधान कर सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि इकरा चौधरी से जुड़ी इस तरह की गतिविधियों रील्स पर रोक लगाई जाए. ताकि वे अपना कार्य सुरक्षा और सुविधा के साथ शांत मस्तिष्क के साथ सम्पन्न कर सकें. 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 


रविवार, 19 जनवरी 2025

परी नहीं बेटी


 हिन्दू धर्म की एक प्रसिद्ध उक्ति है "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" जिसे हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा बहुत ही जोर शोर से उच्चारित किया जाता है. आजकल प्रयाग राज उत्तर प्रदेश में महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है, जहां चहुँ ओर हिन्दू धर्म का डंका बज रहा है. साधू संतों के प्रवास के दौरान सारी प्रयाग राज की धरती पवित्र हो रही है. हिन्दू धर्म का झंडा बुलन्द करने वाली भाजपा नीत केंद्र और राज्य की सरकार ने श्रद्धालुओं के प्रयाग राज में पहुंचने की उत्तम व्यवस्था की है मीडिया द्वारा हिंदू धर्म - सनातन धर्म के इस पर्व को लेकर खासा प्रचार प्रसार किया जा रहा है. जिससे युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में उल्लास पूर्ण वातावरण है जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु ज़न वहां पहुंच रहे हैं. इसी उल्लास को लेकर आने वाली दो खबरों ने हिन्दू धर्म संस्कृति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक मध्य प्रदेश के महेश्वर से माला बेचने आई मोनालिसा के साथ युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक का असभ्य, अशोभनीय व्यवहार और एक साध्वी बनने जा रही मॉडल हर्षा रिछारिया की सुन्दरता के पीछे पागलपन की हदें पार करती हिन्दू जनता. सवाल खड़े करती हैं हिन्दू धर्म के इस महाआयोजन पर, जिसमें श्रद्धा, आस्था, भक्ति सर्वोच्च होनी चाहिए, वहां वासना आगे दिखाई दे रही है. वहां पहुंची हिन्दू धर्मावलंबियों की भीड़ को ये सुन्दर, परी, अप्सरा नजर आ रही हैं, क्यूँ आखिर क्यूँ? धर्म के इस श्रेष्ठ पर्व में भी इनके मन में उनकी सुन्दरता ही क्यूँ उतर रही है क्यूँ इनके मन में इन्हें लेकर धार्मिक भावनाएँ नहीं उभर रही हैं? क्यूँ हिन्दू धर्म की श्रेष्ठ मान्यताएं इनके मन में मोनालिसा को इनकी बेटी, बहन और हर्षा रिछारिया को एक देवी के रूप में स्थान नहीं दिला पा रहा है? कहाँ कमी रह गई है भाजपा की नीतियों में जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान चला कर भी धर्म के इस महाकुंभ तक में बेटियों को सुरक्षित वातावरण नहीं दे पा रही है कि आखिर मोनालिसा के पिता को बेटी को दबंगों द्वारा उठा लिए जाने की धमकी के डर से घर वापस भेजना पड़ गया है और मॉडल से साध्वी बनी हर्षा रिछारिया को रोते रोते महाकुंभ छोड़ना पड़ गया है.

शालिनी कौशिक एडवोकेट

कैराना (शामली)