बुधवार, 16 अक्टूबर 2024

प्लैजर मैरिज- मुस्लिम समुदाय

 



     विश्व में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इंडोनेशिया में वर्तमान में निकाह का एक ढंग ट्रेडिंग हो रहा है , जिसमें गरीबी का जीवन गुजार रही महिलाओं और बालिकाओं की शादी वहां आने वाले पर्यटकों से कर दी जाती है. धीरे धीरे यह ट्रेंड इंडोनेशिया में इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि निकाह मुताह (या अस्थायी शादी) की प्रथा ने गरीब समुदायों में गहरी जड़ें जमा रहा है। 

मुता निकाह 

      मुस्लिम समुदाय में मुताह निकाह या अस्थायी शादी किसे कहते हैं सबसे पहले हम उसी पर ध्यान दे रहे हैं. मुताह विवाह, इस्लाम में अस्थायी विवाह का एक रूप है. इसे निकाह मुताह भी कहा जाता है. मुताह विवाह के बारे में ज़रूरी बातेंः 

 *मुता विवाह, पुरुष और महिला के बीच एक अनुबंध होता है. यह एक निश्चित अवधि के लिए होता है, जो एक घंटे से लेकर 99 साल तक हो सकती है. 

 *मुता विवाह, केवल शियाओं द्वारा मान्यता प्राप्त है. सुन्नी समुदाय में इसे मान्यता नहीं मिली है. 

* मुता विवाह में पति और पत्नी के बीच उत्तराधिकार का कोई अधिकार नहीं होता. 

 *मुता विवाह में पत्नी को भरण-पोषण या विरासत पर कोई अधिकार नहीं होता. 

* मुता विवाह से पैदा हुए बच्चे वैध होते हैं और माता-पिता दोनों से उत्तराधिकार पा सकते हैं. 

*मुता विवाह, मुख्य रूप से ईरान और शिया क्षेत्रों में हलाल डेटिंग के साधन के रूप में मौजूद है.

निकाह मुताह की कुछ विशेषताएं में हैं 

*अवधि: जोड़े को विवाह के लिए निर्धारित समयावधि पर सहमत होना होगा। 

*भुगतान: पुरुष को महिला को तय राशि का भुगतान करना होगा। 

*सहमति: दोनों पक्षों को स्वतंत्र सहमति देनी होगी।

* उम्र: पार्टियों की उम्र अधिक होनी चाहिए और उनका दिमाग स्वस्थ होना चाहिए। 

*गोपनीयता: विवाह को निजी रखा जाना चाहिए। 

*बच्चे: मुताह संघ का कोई भी बच्चा पिता के साथ जाता है। 

*विरासत: दोनों को एक-दूसरे से विरासत नहीं मिलती जब तक कि इन मामलों पर कोई पूर्व समझौता न हो।             आज सभी मुसलमान निकाह मुताह का अभ्यास नहीं करते हैं। कुछ संप्रदायों का मानना ​​है कि यह प्रथा अब स्वीकार्य नहीं है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि ऐसा है। इथना अशरिया शिया मुताह विवाह को मान्यता देते हैं, लेकिन अधिकांश अन्य मुसलमान इस विश्वास से असहमत हैं।

भारत में प्लैजर मैरिज 

आनंद विवाह, जिसे निकाह मुताह या निकाह मिस्यार के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम में एक अस्थायी विवाह अनुबंध है किन्तु इसे भारत में मान्यता नहीं है, और ऐसे विवाह अदालत द्वारा लागू नहीं होते हैं। हालाँकि, भारत में कुछ लोग निकाह मुताह विवाह का अनुबंध करते हैं। यहां निकाह मुताह की कुछ विशेषताएं दी गई हैं: 

*अनुबंध होने पर विवाह की अवधि तय हो जाती है और यह तीन दिन से लेकर एक वर्ष तक हो सकती है। 

*अनुबंध में मेहर निर्दिष्ट है। 

*यदि दुल्हन के पिता सहमति देने के लिए मौजूद हैं तो दुल्हन को कुंवारी होना चाहिए। 

*दोनों पक्ष स्वस्थ दिमाग के होने चाहिए और युवावस्था की आयु प्राप्त कर चुके हों। 

*दोनों पक्षों की सहमति स्वतंत्र होनी चाहिए। 

*उन्हें रिश्ते की निषिद्ध डिग्री के भीतर नहीं होना चाहिए।

 *विवाह समाप्त होने के बाद, महिला को सेक्स से परहेज़ की अवधि (इद्दत) का पालन करना चाहिए। 

   अब इस आकलन के अनुसार भारत में मुता निकाह का कोई कानूनी स्थान नहीं है और मौजूदा आंकड़ों के अनुसार विश्व के मुस्लिम बहुल देशों में मुता निकाह का प्रचलन बढ़ रहा है. इसलिए यदि हम मुस्लिम बहुल देशों की ओर देखते हैं तो 2010 में, सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले तीन देश इंडोनेशिया, पाकिस्तान और भारत थे। 2030 तक, पाकिस्तान के इंडोनेशिया से आगे निकलकर सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश बनने का अनुमान है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि मुसलमानों की संख्या 2010 में 2.6 मिलियन से बढ़कर 2030 में 6.2 मिलियन हो जाएगी। इस तरह अभी इंडोनेशिया ही विश्व में सबसे ज्यादा मुस्लिम बहुलता वाला देश है और "प्लैजर मैरिज" के मामले में सर्वोच्च स्थान बनाए हुए है. इसलिए अभी इस मैरिज के पीड़ित, शिकार अधिकांश रूप से इंडोनेशिया में ही मिल रहे हैं. 

   इंडोनेशिया में प्लैजर मैरिज की शिकार 17 साल की सबा (बदला हुआ नाम) की पहली अस्थायी शादी सऊदी अरब के रहने वाले एक अधेड़ उम्र के शख्स के साथ हुई और यह शादी सिर्फ पांच दिनों तक चली और आखिर में वह शादी तलाक देकर खत्म कर दी गई.

    लॉस एंजिल्स टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक सबा की शादी इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के एक होटल में कराई गई थी. सऊदी अरब के एक पर्यटक ने इस अस्थायी शादी के लिए 850 डॉलर का दहेज दिया, जिसमें से केवल आधी रकम सबा के परिवार तक पहुंची. शादी के बाद सबा को इंडोनेशिया के एक और शहर के एक रिजॉर्ट में ले जाया गया, जहां उसे घर के काम करने के साथ-साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया. इस अस्थायी शादी के अनुभव से सबा बेहद असहज महसूस करती थीं और चाहती थीं कि यह जल्द खत्म हो जाए. इस तरह की शादी को आधुनिक ज़माने में "प्लेजर मैरिज" नाम दिया गया है, जिसमें पर्यटकों के साथ लड़कियों की शादी करवा दी जाती है.

इंडोनेशिया प्लैजर मैरिज का अड्डा 

इंडोनेशिया के पुंकाक क्षेत्र में निकाह मुताह की प्रथा इतनी प्रचलन में है कि इसे "तलाकशुदा महिलाओं के गांव" के रूप में जाना जाने लगा है. इस धंधे में मध्यस्थों, बिचौलियों, अधिकारियों और एजेंटों का बहुत बड़ा नेटवर्क लगा हुआ है. गरीब लड़कियों को इस प्रथा में धकेलकर उन्हें अस्थायी शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है और फिर कुछ ही दिनों में तलाक देकर छोड़ दिया जाता है.

गरीबी और पारिवारिक दबाव 

 सबा की आर्थिक स्थिति ने उसे इस व्यापार का हिस्सा बनने के लिए मजबूर किया. महज 13 साल की उम्र में सबा की पहली शादी एक सहपाठी से करवाई गई थी. जिसमें चार साल बाद तलाक हो गया. इसके बाद काम की कमी और पैसों की दिक्कत के कारण उसे अस्थायी शादियों या प्लेजर मैरिज की ओर धकेल दिया गया. सबा की बड़ी बहन ने उसे इस रास्ते की ओर धकेला और पहली बार उसे एक एजेंट से मिलवाया.

इंडोनेशिया में निकाह मुताह का प्लैजर मैरिज के रूप में विस्तार

     इंडोनेशिया में निकाह मुताह प्रथा का विस्तार 1980 के दशक से शुरू हुआ, जब सऊदी अरब और थाईलैंड के बीच संबंध खराब होने के कारण सऊदी पर्यटक इंडोनेशिया की ओर रुख करने लगे. मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया की 85 फीसदी से अधिक आबादी इस प्रथा से जुड़ी हुई है. स्थानीय एजेंटों और व्यापारियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए निकाह मुताह को एक फलते-फूलते व्यापारिक ट्रेंड में बदल दिया.इंडोनेशिया में निकाह मुताह, यानी अस्थायी विवाह की प्रथा, एक बड़े उद्योग के रूप में जगह बना चुकी है . इस प्रथा में, कम आय वाले परिवारों की युवतियां पैसे के बदले में पुरुष पर्यटकों से शादी करती हैं. इस प्रथा को ही प्लेज़र मैरिज अर्थात आनन्द विवाह का नाम दिया गया है. 

 इंडोनेशिया में निकाह मुताह से जुड़ी कुछ खास बातें ये हैं - 

*यह एक निजी अनुबंध है, जो मौखिक या लिखित रूप में हो सकता है. 

* इसमें शादी करने के इरादे से शर्तों की स्वीकृति लेनी होती है. 

 *पुरुष को महिला को निकाह की सहमति राशि का भुगतान करना होता है. 

 *निकाह मुताह की अवधि एक घंटे से लेकर 99 साल तक हो सकती है. 

 *परंपरागत रूप से, गवाहों या पंजीकरण की ज़रूरत नहीं होती. 

 *इंडोनेशियाई कानून में इस शादी को मान्यता नहीं दी गई है. 

* इस प्रथा को ज़्यादातर इस्लामिक स्कॉलर अस्वीकार करते हैं.

प्लैजर मैरिज का इस्लामी कानून और समाज पर प्रभाव

    इंडोनेशिया के कानून में निकाह मुताह और वेश्यावृत्ति दोनों ही गैर-कानूनी हैं, लेकिन जमीन पर इस कानून का कोई असर नहीं दिखता. इसके बजाय यह प्रथा धर्म और कानून को दरकिनार कर तेजी से फल-फूल रही है. इस्लामिक फैमिली लॉ के प्रोफेसर यायन सोपयान का कहना है कि आर्थिक तंगी और बेरोजगारी इस प्रथा को बढ़ावा दे रही हैं, खासकर कोविड महामारी के बाद लोगों का ध्यान केवल कमाई पर ही रह गया है कमाई कैसे हो रही है किधर से हो रही है यह गौण मुद्दा रह गया है और इसलिए गरीबी से जूझते मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में प्लैजर मैरिज का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है और यह ट्रेंड अन्य मुस्लिम बहुल देशों पर भी प्रभाव डाल रहा है.

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

कन्या पूजन के ही दिन कन्या की हत्या - सबसे दुष्ट माँ

 



  11 अक्टूबर वह दिन जब हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा शारदीय नवरात्रि पर्व में दुर्गा अष्टमी / दुर्गा नवमी पर्व मनाते हुए कन्या पूजन किया जा रहा था, विश्व अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहा था और समाचार पत्र में पढ़ने के लिए मिलता है एक ऐसा समाचार, जो शर्मसार कर देता है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी द्वारा चलाए जा रहे "बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ" अभियान को.

       एक बेटी महिला के गर्भ में आते ही जिंदगी के लिए जूझना आरंभ कर देती है और उसे इस समाज के व्यभिचारी तत्वों से कहीं ज्यादा खतरा होता है अपने ही रुढियों में फंसे परिवार से किन्तु माँ की ओर से फिर भी उसे एक सुरक्षा का आभास रहता ही है जो सुरक्षा भोपा (मुजफ्फरनगर) की बेचारी शगुन को नहीं मिल पाई. सौतेली माँ को तो हमेशा से बच्चों की दुश्मन दिखाया गया है किन्तु सौतेला बाप और सगी माँ ही जब बेटी की जान लेने पर उतारू हो जाएं तो वही दुर्दशा होती है जो बेचारी शगुन की हुई. सौतेला बाप सगी माँ मिलकर बच्ची का गला दबाते हैं, शव खेत में फेंकते हैं फिर उठाकर नहर में फेंक आते हैं और ये सब वे एक उस बच्ची के साथ करते हैं जो अभी तक इनकी अकेली बच्ची थी, केवल एक माह की थी, पूरी तरह से अपने माँ बाप पर ही आश्रित थी और सबसे बड़ी बात ये एक हिन्दू परिवार से थी जिसमें बेटियों को देवी का दर्जा दिया जाता है और जिस अंधविश्वास के नाम पर इनके द्वारा बेटी के साथ ऐसा दुर्दांत कृत्य किया जाता है क्या एक बार भी इनके मन में नवरात्रि के पावन अवसर पर बेटी के लिए देवी का कोई भी भाव इनके मन में आता है, सीधा साफ दिख रहा है कि नहीं आता है क्योंकि ये भी उसी भारतीय हिन्दू समाज से ताल्लुक रखते हैं जो "दूर के ढोल सुहावने वाले हैं" जो अपनी बेटी को बोझ समझते हैं और दूसरे की बेटी के कन्या पूजन में पैर पूजते हैं.

      ऐसे में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि भारत जैसे देश में बेटी बचाओ अभियान कभी भी सफल नहीं हो सकता है क्यूंकि बेटी के प्रथम संरक्षक ही बेटी के प्रथम दुश्मन के रूप में दिखाई देते हैं और वे बेटी को एक बोझ के रूप में ही समझते हैं. दो चार परिवार में बेटी को प्रमुखता मिलने से अरबों की जनसंख्या वाले इस देश में बेटी की सुरक्षा संदेह से परे नहीं देखी जा सकती है जब सगी माँ ही बेटी का गला दबा कर मार देती हो.

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

रविवार, 6 अक्टूबर 2024

नारी पर अपराध "छोटे अपराध"- यति नरसिंहानंद

   


   आज यति नरसिंहानंद विवादों में हैं. ऐतिहासिक और आध्यात्मिक चरित्रों के बारे में अनाप शनाप बयानों को लेकर. साथ ही, उनकी सोच बता रही है भारतीय पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री की दयनीय दशा के बारे में. नरसिंहानंद कहते हैं कि - आज मैं केवल एक व्यक्ति के प्रति संवेदना जताता हूं। मेघनाथ को हम हर साल जलाते हैं। मेघनाथ जैसा चरित्रवान व्यक्ति इस धरती पर दूसरा कोई पैदा नहीं हुआ। हम हर साल कुंभकरण को जलाते हैं। ​​​कुंभकरण जैसा वैचारिक योद्धा इस धरती पर पैदा नहीं हुआ। उनकी गलती ये थी कि रावण ने एक छोटा सा अपराध किया।

    अब यदि हम छोटे से अपराध की भारतीय कानून के मुताबिक परिभाषा पर जाते हैं तो पहले भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 95 और अब भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 33 में जिन अपराधों को छोटे अपराधों की श्रेणी में रखा गया है उनके लिए कहा गया है कि - "कोई बात इस कारण से अपराध नहीं है कि उससे कोई अपहानि कारित होती है या कारित की जानी आशयित है या कारित होने की सम्भाव्यता ज्ञात है, यदि वह इतनी तुच्छ है कि मामूली समझ और स्वभाव वाला कोई व्यक्ति उसकी शिकायत नहीं करेगा."

      ऐसे में, साफतौर पर यति नरसिंहानंद रावण द्वारा माता सीता के हरण को एक छोटा सा अपराध कह रहे हैं. नरसिंहानंद जैसे पुरुषों के लिए जो एक " छोटा सा अपराध " है, वह एक स्त्री, पतिव्रता नारी की मिसाल माता सीता की जिंदगी बर्बाद कर देता है, एक देवी की पवित्रता पर अयोध्या की प्रजा में उठी छोटी सी ध्वनि - "कि माता सीता रावण के घर रहकर आई है," उनके जीवन से सौभाग्य को, पति के साथ रहने के सुख को उनकी गर्भावस्था में ही दूर कर देती है. महर्षि वाल्मीकि द्वारा संरक्षण में रहने पर भी माता सीता से अयोध्या की प्रजा पुनः अग्नि परीक्षा की इच्छा रखती है, लव कुश श्री राम के पुत्र होने के बावजूद पिता श्री राम के राज्य को प्राप्त नहीं कर पाते और ये सब जिस रावण के दुष्कृत्य के कारण होता है उसे यति नरसिंहानंद छोटा सा अपराध कहते हैं.

    ये है नारी के प्रति भारतीय आधुनिक संत समाज की सोच, जिसके अनुसार नारी पर हो रहे अपराध छोटे अपराध हैं और भारतीय कानून के अनुसार छोटे अपराध वे हैं जिनकी कोई शिकायत नहीं करनी चाहिए और अंततः नारी को इस सोच को देखते हुए चुप ही रहना चाहिए. 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली)