(पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार मोहिनी तोमर एडवोकेट की दोषी)
कासगंज न्यायालय की महिला अधिवक्ता मोहिनी तोमर को 3 सितंबर दिन मंगलवार को दोपहर बाद अगवा किया जाता है , मोहिनी तोमर का शव नग्नावस्था में गोरहा नहर में रजपुरा गांव के समीप 4 सितंबर दिन बुधवार को अपहरण के लगभग 30 घण्टे बाद नहर में उतराता हुआ मिलता है . मोहिनी तोमर एडवोकेट कासगंज जिला सत्र न्यायालय में वकील के तौर पर कार्यरत थीं. शव का चेहरा बिगड़ा हुआ था और क्योंकि शव का चेहरा क्षतिग्रस्त था तो पति बृजेंद्र तोमर ने लाश की शिनाख्त हाथ पर कट का निशान और हाथ में पहने कड़े के आधार पर मोहिनी तोमर के रूप में की. पुलिस की ढीली कार्यवाही के चलते एक अधिवक्ता- महिला अधिवक्ता का दिनदहाड़े अपहरण होता है, 30 घण्टे बाद भी अगर मिलती है तो महिला अधिवक्ता एक लाश के रूप में मिलती है, विकृत चेहरे और निर्वस्त्र, चोटिल शरीर के साथ. हापुड़ कांड के समय पुलिस के दुर्व्यवहार को देखते हुए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कमेटी गठित की गई थी, कहाँ है एक्ट? क्या दूसरों के लिए न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता यूँ ही अपराध का शिकार होते रहेंगे? यूँ ही पुलिस द्वारा उपेक्षा के पात्र बने रहेंगे?
आज अपराधियों के हौसले बुलन्द हैं और अधिवक्ता अपराधियों के खिलाफ ही लड़ते हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए जिसमें महिला अधिवक्ताओं की सुरक्षा हेतु विशेष प्रावधान किए जाएं.
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
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