भाजपा और अंधभक्त आज सत्ता के नशे में चूर नजर आ रहे हैं और इसका जीता जागता प्रमाण वे स्वयं प्रस्तुत कर रहे हैं. विपक्ष के नेताओं को लेकर भाजपा के बड़े बड़े नेताओं से लेकर छुटभैये कार्यकर्ताओं द्वारा भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. अभी तक भाजपाइयों द्वारा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को लेकर मात्र पप्पू और पिंकी शब्दावली का ही प्रयोग किया जा रहा था, किन्तु अपने बड़े नेताओं द्वारा इनके लिए असभ्य शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किए जाने पर छुटभैये भाजपाइयों की भी ढीठ खुलती हुई नजर आ रही है. राहुल गांधी जी को लेकर तो अपशब्द भाजपा के शीर्ष से पहले ही जारी थे किंतु अब प्रियंका गांधी जी के भी चुनाव प्रचार में उतरने पर देश की सभ्यता संस्कृति की ठेकेदार बनने वाली भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रियंका गांधी जी के लिए जिन अपशब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है उसका लिया जाना भी एक सभ्य भारतीय अपने सपने में भी सोच नहीं सकता.
भारतीय संस्कृति में नारी का जो स्थान है उसे इतना भ्रष्ट स्वरुप कभी भी प्राप्त नहीं हुआ होगा, जितना बीजेपी के मौजूदा कार्यकाल में दिखाई दिया है. भारतीय संस्कृति में नारी को बहुत उच्च दर्जा प्रदान किया गया है -
भारतीय संस्कृति में नारी का महत्व
हर धर्म में महिला शक्ति को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। इस फेर में यहां तक कहा जाता है कि जहां नारी की पूजा नहीं होती वहां देवताओं का वास नहीं होता।
भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यत्र पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। महाभारत में कहा गया है कि जिस कुल में नारियों को उपेक्षा भाव से देखा जाता है उस कुल का सर्वनाश हो जाता है। शतपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि नारी नर की आत्मा का आधा भाग है। नारी के बिना नर का जीवन अधूरा है इस अधूरेपन को दूर करने और संसार को आगे चलाने के लिए नारी का होना जरूरी है। नारी को वैदिक युग में देवी का दर्जा प्राप्त था। नारी की स्थिति से समाज और देश के सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर का पता चलता है। यदि नारी को धर्म, समाज और पुरुष के नियमों में बांधकर रखा गया है तो उसकी स्थिति बदतर ही मानी जा सकती है।
अथर्ववेद का एक श्लोक है-
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।
जिस कुल में नारियों की पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं। नारी ही मां है और नारी ही सृष्टि। एक सृष्टि की कल्पना बगैर मां के नहीं की जा सकती है। मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है।
वेदों में 'मां' को 'अंबा', 'अम्बिका', 'दुर्गा', 'देवी', 'सरस्वती', 'शक्ति', 'ज्योति', 'पृथ्वी' आदि नामों से संबोधित किया गया है। इसके अलावा 'मां' को 'माता', 'मात', 'मातृ', 'अम्मा', 'जननी', 'जन्मदात्री', 'जीवनदायिनी', 'जनयत्री', 'धात्री', 'प्रसू' आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है। सामवेद में एक प्रेरणादायक मंत्र मिलता है, जिसका अभिप्राय है, 'हे जिज्ञासु पुत्र! तू माता की आज्ञा का पालन कर, अपने दुराचरण से माता को कष्ट मत दे। अपनी माता को अपने समीप रख, मन को शुद्ध कर और आचरण की ज्योति को प्रकाशित कर।'
एक ब्रह्मा नैं शतरूपा रच दी, जबसे लागी सृष्टि हौण।'
अर्थात, यदि नारी नहीं होती तो सृष्टि की रचना नहीं हो सकती थी। स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तक सृष्टि की रचना करने में असमर्थ बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने नारी की रचना की, तभी से सृष्टि की शुरुआत हुई।
हिंदू धर्म में देवियों की होती है पूजा. नवरात्रि पर्व में भाजपा नेतृत्व और भाजपाइयों द्वारा बढ़ चढ़ कर कन्या पूजन किया जाता है. अभी नवरात्रि पर्व पूर्ण हुए हैं और कन्या की देवी के रूप में हिन्दुओं द्वारा बहुत पैर छू छूकर पूजा की गई है. क्या देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले प्रधानमंत्री स्व श्री राजीव गांधी जी की पुत्री प्रियंका गांधी एक पुत्री, एक देवी नहीं हैं?
सनातन वैदिक हिन्दू धर्म में जहां पुरुष के रूप में देवता और भगवानों की पूजा-प्रार्थना होती थी वहीं देवी के रूप में मां सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा का वर्णन मिलता है। वैदिक काल में नारियां मां, देवी, साध्वी, गृहिणी, पत्नी और बेटी के रूप में ससम्मान पूजनीय मानी जाती थीं। प्रियंका गांधी एक बेटी हैं, बहन हैं, पत्नी हैं, बहू हैं, दो बच्चों की माँ हैं क्या हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार वे ससम्मान पूजनीय की श्रेणी में नहीं आती? नहीं आती तो क्यूँ नहीं आती?
हिंदू धर्म में परम्परा के अनुसार धन की देवी 'लक्ष्मी मां', ज्ञान की देवी 'सरस्वती मां' और शक्ति की देवी 'दुर्गा मां' मानीं गई हैं। नवरात्रों में 'मां' को नौ विभिन्न रूपों में पूजा जाता है और प्रियंका गांधी इन तीनों ही स्वरुपों मे सम्मानित और पूजनीय हैं पर भाजपा और इनके अनुयायी इनके लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल केवल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये बीजेपी की नीतियों के खिलाफ और जनता जनार्दन पर भाजपा द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ बोल रही हैं, भाजपा और उसके अनुयायी नहीं सोच रहे हैं कि इस तरह से तुम न केवल अपने कुसंस्कार दिखा रहे हो बल्कि साथ ही, उनकी अभद्र शब्दावली केवल प्रियंका गांधी को ही अपमानित नहीं कर रही है बल्कि भाजपा और उसके अनुयायियों की माँ, बहन, पत्नी, बहू सहित सम्पूर्ण नारी जाति का अपमान कर रही है।
आज बीजेपी के राज में श्री राम के नाम पर सत्ता प्राप्ति की कोशिशें बीजेपी द्वारा की जा रही हैं और श्री राम के विषय में उनके नारी सम्मान को लेकर रावण वध तक कर दिए जाने की ही भावना को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है. क्या भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्व राजीव गांधी जी की पुत्री और एक ऐसे प्रधानमंत्री की पुत्री जिन्होंने अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिए हों, उन प्रियंका गांधी के साथ असभ्यता की हदें पार कर छींटाकशी किया जाना, प्रियंका गांधी जैसी भारतीय संस्कृति, सभ्यता के उच्च आदर्शों का पालन करने वाली नारी या किसी भी नारी के लिए ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाली भाजपा या इसके अनुयायियों द्वारा स्वयं को श्री राम के भक्तों की श्रेणी में रखना कहीं से भी सही कहे जाने की श्रेणी में रखा जाएगा? क्या राम नाम की परिभाषा का अ ब स द भी जानते या मानते हैं भाजपा और इसके अनुयायी?
भारत में सर्वव्यापी ईश्वर के रूप में पूजित श्री राम को तुलसीदास जी ने एक आदर्श पुरुष के रूप में चित्रित किया है, जिनमें सभी प्रकार के गुणों का समावेश है। वे करुणा, दया, क्षमा, सत्य, न्याय, सदाचार, साहस, धैर्य, और नेतृत्व जैसे गुणों के धनी हैं। वे एक आदर्श पुत्र, भाई, पति, राजा, और मित्र हैं। रामायण में श्रीराम अपने श्रीमुख से 'मां' को स्वर्ग से भी बढ़कर मानते हैं। वे कहते हैं-
'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।'
(अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।) श्री राम के आदर्शों का वर्णन करना सूर्य को दीपक दिखाने के समान ही कहा जाएगा. श्री राम गुणों की खान हैं. श्री राम नारी का सम्मान करते हैं. माता सीता से विवाह के पश्चात श्री राम ने राजाओं के यहां कई पत्नियां होने का रिवाज कहते हुए उन्हें एक पत्नि व्रत का वचन प्रथम भेंट के रूप में देते हुए पत्नी के, नारी के सम्मान को उच्च स्तर प्रदान किया. श्री राम ने माता सीता का हरण करने पर रावण से किए जाने वाले युद्ध को अखिल जगत की नारी के सम्मान हेतु उठाया गया कदम बताया.
इस तरह, श्री राम मन्दिर की स्थापना का श्रेय लेकर भाजपा और उसके अनुयायी यदि यह सोचते हैं कि उन्हें नारी जगत का इस तरह से अपमान करने का अधिकार मिल गया है तो यह घोर पाप है, अखिल विश्व की नारी जाति के सम्मान हेतु एक वनवासी श्री राम के लिए यदि भाजपा और उसके अनुयायी जरा भी श्रद्धा रखते हैं तो उन्हें प्रियंका गांधी से स्वयं आगे बढ़कर क्षमा माँगनी चाहिए क्योंकि अब ये पाप प्रभु श्री राम नहीं होने देंगे क्योंकि अब तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उनकी प्राण प्रतिष्ठा भी की जा चुकी है. जय सियाराम जी की 🌹🙏🌹
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)