सोमवार, 25 नवंबर 2019

शिवांगी भारत का गौरव 🇮🇳

मुजफ्फरपुर/ पटना. वायुसेना के बाद अब नौसेना को भी देश की पहली महिला पायलट मिलने जा रही है। बिहार की शिवांगी स्वरूप देश की पहली नौसेना पायलट होंगी। वे कोच्चि (केरल) में प्रशिक्षण ले रही हैं। उन्हें 4 दिसंबर को नौसेना दिवस पर होने वाले समारोह में बैज लगाया जाएगा।

शिवांगी नौसेना कोच्चि में ऑपरेशन ड्यूटी में शामिल होंगी और फिक्स्ड-विंग डोर्नियर सर्विलांस विमान उड़ाएंगी। ये विमान कम दूरी के समुद्री मिशन पर भेजे जाते हैं। इसमें एडवांस सर्विलांस, रडार, नेटवर्किंग और इलेक्ट्रॉनिक सेंसर लगे होते हैं। शिवांगी को पिछले साल जून में वाइस एडमिरल एके चावला ने औपचारिक तौर पर नेवी में शामिल किया था।

एसएसबी के जरिए नेवी में हुआ चयन
शिवांगी ने 2010 में डीएवी पब्लिक स्कूल से सीबीएसई 10वीं की परीक्षा पास की। 10 सीजीपीए प्राप्त हुआ। साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद इंजीनियरिंग की। एमटेक में दाखिले के बाद एसएसबी की परीक्षा के जरिए नेवी में सब लेफ्टिनेंट के रूप में चयनित हुईं। ट्रेनिंग के बाद पहली महिला पायलट के लिए चयन किया गया।

ये भी पहली महिलाएं

भावना कांत भारतीय वायुसेना में पहली महिला पायलट बनी थीं। वहीं, कराबी गोगाई नौसेना की पहली महिला डिफेंस अटैची हैं। असिस्टेंट लेफ्टिनेंट कमांडर गोगाई अगले माह रूस में तैनात की जाएंगी। वे कर्नाटक के करवार बेस पर रूसी भाषा में कोर्स कर रही हैं। वे युद्धपोत के निर्माण और उनकी मरम्मत में माहिर मानी जाती हैं।
(साभार भास्कर न्यूज) 
संकलन 
शालिनी कौशिक एडवोकेट 

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

Mujhe Yaad aaoge - Hindi Kavita Manch

मुझे याद आओगे


कभी तो भूल पाऊँगा तुमको, 
मुश्क़िल तो है|
लेकिन, 
मंज़िल अब वहीं है||

पहले तुम्हारी एक झलक को, 
कायल रहता था|
लेकिन अगर तुम अब मिले, 
तों भूलना मुश्किल होगा||

सोमवार, 18 नवंबर 2019

भारतीय ध्रुवतारा इंदिरा गांधी


जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति  तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है  किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त  विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है  और  इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी  ऐसा  ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान  रहेगा।
१९ नवम्बर १९१७ को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था -''वह भारत की नई आत्मा है .''
गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने उनकी शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् शांति निकेतन से विदाई के समय नेहरु जी को पत्र में लिखा था -''हमने भारी मन से इंदिरा को  विदा  किया है .वह इस स्थान की शोभा थी  .मैंने उसे निकट से देखा है  और आपने जिस प्रकार उसका लालन पालन किया है उसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहा जा सकता .''   सन १९६२ में चीन ने विश्वासघात करके भारत  पर आक्रमण किया था तब देश  के कर्णधारों की स्वर्णदान की पुकार पर वह प्रथम भारतीय महिला थी जिन्होंने अपने समस्त पैतृक  आभूषणों को देश की बलिवेदी पर चढ़ा दिया था इन आभूषणों में न जाने कितनी ही जीवन की मधुरिम स्मृतियाँ  जुडी हुई थी और इन्हें संजोये इंदिरा जी कभी कभी प्रसन्न हो उठती थी .पाकिस्तान युद्ध के समय भी वे सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतु युद्ध के अंतिम मोर्चों तक निर्भीक होकर गयी .
आज देश अग्नि -५ के संरक्षण  में अपने को सुरक्षित महसूस कर रहा है इसकी नीव में भी इंदिरा जी की भूमिका को हम सच्चे भारतीय ही महसूस कर सकते हैं .भूतपूर्व राष्ट्रपति और भारत में मिसाइल कार्यक्रम  के जनक डॉ.ऐ.पी.जे अब्दुल कलाम बताते हैं -''१९८३ में केबिनेट ने ४०० करोड़ की लगत वाला एकीकृत मिसाइल कार्यक्रम स्वीकृत किया .इसके बाद १९८४ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी डी.आर.डी एल .लैब  हैदराबाद में आई .हम उन्हें प्रैजन्टेशन दे रहे थे.सामने विश्व का मैप टंगा था .इंदिरा जी ने बीच में प्रेजेंटेशन रोक दिया और कहा -''कलाम !पूरब की तरफ का यह स्थान देखो .उन्होंने एक जगह पर हाथ रखा ,यहाँ तक पहुँचने वाली मिसाइल कब बना सकते हैं ?"जिस स्थान पर उन्होंने हाथ रखा था वह भारतीय सीमा से ५००० किलोमीटर दूर था .
इस तरह की इंदिरा जी की देश प्रेम से ओत-प्रोत घटनाओं से हमारा इतिहास भरा पड़ा है और हम आज देश की सरजमीं पर उनके प्रयत्नों से किये गए सुधारों को स्वयं अनुभव करते है,उनके खून की एक एक बूँद हमारे देश को नित नई ऊँचाइयों पर पहुंचा रही है और आगे भी पहुंचती रहेगी.
आज का ये दिन हमारे देश के लिए पूजनीय दिवस है और इस दिन हम सभी  इंदिरा जी को श्रृद्धा  पूर्वक  नमन करते है .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

गुरुवार, 14 नवंबर 2019

महिला आयोग - ध्यान दें मोदी व योगी

भारत में महिलाओं की मदद हेतु केंद्र और राज्य दोनों में महिला आयोग का गठन किया गया है जिनसे संपर्क करने के लिए 1091 व 181 हेल्पलाइन की व्यवस्था भी की गयी है. साथ ही, उत्तर प्रदेश में इस आयोग से संपर्क के नंबर 1800-180-5220 है. दोनों ही आयोगों के बारे में मुख्य जानकारी निम्नलिखित है - 

राष्ट्रीय महिला आयोग -
 राष्ट्रीय महिला आयोग (अँग्रेजी: National Commission for Women, NCW) भारतीय संसद द्वारा 1990 में पारित अधिनियम के तहत जनवरी 1992 में गठित एक सांविधिक निकाय है।यह एक ऐसी इकाई है जो शिकायत या स्वतः संज्ञान के आधार पर महिलाओं के संवैधानिक हितों और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू कराती है। आयोग की पहली प्रमुख सुश्री जयंती पटनायक थीं। 17 सितंबर, 2014 को ममता शर्मा का कार्यकाल पूरा होने के पश्चात ललिता कुमारमंगलम को आयोग का प्रमुख बनाया गया था,मगर पिछले साल सितंबर में पद छोड़ने के बाद रेखा शर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर यह संभाल रही थी,और अब रेखा शर्मा को राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य -
 भारत में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और उनके मुद्दों और चिंताओं के लिए एक आवाज प्रदान करना है। आयोग ने अपने अभियान में प्रमुखता के साथ दहेज, राजनीति, धर्म और नौकरियों में महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व तथा श्रम के लिए महिलाओं के शोषण को शामिल किया है, साथ ही महिलाओं के खिलाफ पुलिस दमन और गाली-गलौज को भी गंभीरता से लिया है।
बलात्कार पीड़ित महिलाओं के राहत और पुनर्वास के लिए बनने वाले कानून में राष्ट्रीय महिला आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अप्रवासी भारतीय पतियों के जुल्मों और धोखे की शिकार या परित्यक्त महिलाओं को कानूनी सहारा देने के लिए आयोग की भूमिका भी अत्यंत सराहनीय रही है।
आयोग के कार्य -
1.आयोग के कार्यों में संविधान तथा अन्‍य कानूनों के अंतर्गत महिलाओं के लिए उपबंधित सुरक्षापायों की जांच और परीक्षा करना है। साथ ही उनके प्रभावकारी कार्यांवयन के उपायों पर सरकार को सिफारिश करना और संविधान तथा महिलाओं के प्रभावित करने वाले अन्‍य कानूनों के विद्यमान प्रावधानों की समीक्षा करना है।

2.इसके अलावा संशोधनों की सिफारिश करना तथा ऐसे कानूनों में किसी प्रकार की कमी, अपर्याप्‍तता, अथवा कमी को दूर करने के लिए उपचारात्‍मक उपाय करना है।

3.शिकायतों पर विचार करने के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों के वंचन से संबंधित मामलों में अपनी ओर से ध्‍यान देना तथा उचित प्राधिकारियों के साथ मुद्दे उठाना शामिल है।

4.भेदभाव और महिलाओं के प्रति अत्‍याचार के कारण उठने वाली विशिष्‍ट समस्‍याओं अथवा परिस्थितियों की सिफारिश करने के लिए अवरोधों की पहचान करना, महिलाओं के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए योजना बनाने की प्रक्रिया में भागीदारी और सलाह देना तथा उसमें की गई प्रगति का मूल्‍यांकन करना इनके प्रमुख कार्य हैं।

5.साथ ही कारागार, रिमांड गृहों जहां महिलाओं को अभिरक्षा में रखा जाता है, आदि का निरीक्षण करना और जहां कहीं आवश्‍यक हो उपचारात्‍मक कार्रवाई किए जाने की मांग करना इनके अधिकारों में शामिल है। आयोग को संविधान तथा अन्‍य कानूनों के तहत महिलाओं के रक्षोपायों से संबंधित मामलों की जांच करने के‍ लिए सिविल न्‍यायालय की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
और उत्तर प्रदेश महिला आयोग -
प्रदेश में महिलाओं के उत्पीड़न सम्बन्धी शिकायतों के निस्तारण , विकास की प्रकिया में सरकार को सलाह देने तथा उनके सशक्तिकरण हेतु आवश्यक कदम उठाने के उद्देश्य को लेकर 2002 में महिला आयोग का गठन किया गया था। वर्ष 2004 में आयोग के कियाकलापों को कानूनी आधार प्रदान करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग अधिनियम 2004 अस्तित्व में आया। तत्पश्चात पुन: जून 2007 में अधिनियम में कतिपय संशोधन कर आयोग का पुनर्गठन किया गया। पुन: दिनांक 26 अप्रैल 2013 को अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर आयोग का पुनर्गठन किया गया।
आयोग का उद्देश्य-
महिलाओं के कल्याण, सुरक्षा, संरक्षण के अधिकारों की रक्षा करना ।
महिलाओं के शैक्षिक, आर्थिक तथा सामाजिक विकास के लिए निरंतर प्रयासरत रहना ।
महिलाओं को दिये गये संवैधानिक एवं विधिक अधिकारों से सम्बद्ध उपचारी उपायों के लिए अनुश्रवण के उपरान्त राज्य सरकार को सुझाव एवं संस्तुतियां प्रेषित करना ।
आयोग की शक्तियाँ-
आयोग को किसी वाद का विचारण करने के लिए सिविल न्यायालय को प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार जैसे :-
सम्मन करना ।
दस्तावेज मंगाना ।
लोक अभिलेख प्राप्त करना ।
साक्ष्यों और अभिलेखों के परीक्षण के लिए कमीशन जारी करना आदि ।
कार्यक्षेत्र-
आयोग को किसी वाद का विचारण करने के लिए सिविल न्यायालय को प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार जैसे :-
महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा ।
महिलाओं का सशक्तिकरण ।
महिला उत्पीडन सम्बंधी शिकायतों पर प्रभावी कार्यवाही करना ।
बाल विवाह, दहेज एवं भ्रूण हत्या रोकना ।
कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडन पर रोक ।
महिलाओं से सम्बंधित कानून में आवश्यकतानुसार संशोधन हेतु शासन को संस्तुतियां करना ।
महिलाओं से सम्बंधित योजनाओं का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करना ।
महिला कारागारों, चिकित्सालयों, छात्रावासों, संरक्षण गृहों तथा अन्य सदृश्य गृहों का निरीक्षण ।
        दोनों ही आयोगों के उद्देश्यों में महिलाओं की मदद करना शामिल किया गया है किन्तु अगर वास्तविक स्थिति का अवलोकन किया जाए तो परिणाम शून्य है क्योंकि महिलाओं की स्थिति आज क्या है वह केंद्र हो या यू पी, सभी जानते हैं और महिलाओं के द्वारा इन सेवाओं का उपयोग भी करने की कोशिश की जाती है किन्तु स्थानीय स्तर पर जितना मैं जानती हूं महिलाओं को अब तक एक बार भी इन आयोगों से कोई लाभ नहीं मिला है. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि महिलाओं की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों की सरकारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कानूनी ज्ञान)

बुधवार, 6 नवंबर 2019

Rural Indian women (ग्रामीण भारतीय नारी): India's most underrated population

प्रस्तावना
आज कल शहरो में फेमिनिज्म की आवाज बड़ी तेजी स्वर पकड़ रही है, सोशल मीडिया साइट्स पर मुहिमे चलायी जा रही है , महिलाएं खासकर युवा यानि हमारी हमउम्र ,महिलाओ के मुद्दों पर खुल कर सामने आ रही है फिर चाहे वह मुद्दा बीते दशक से उठ रहा समान वेतमान का हो या फिर मासिक धर्म और सेनेटरी पैड्स के उपयोग जैसे मुद्दा | जिसका उल्लेख भी आज से कुछ वर्ष पहले तक किया जाना अपवित्र माना जाता था  ।

गाँव की नारी ,सब पर भारी
यह तो हो गयी शहरों की बात अब बात करते है भारतीय समाज के उस तबके की जिसकी व्याख्या अंग्रेजी के शब्द "underated" से की जा सकती है वह है "ग्रामीण महिला" जिसका उल्लेख न तो रोज रोज अखबारों में होता है, न ही यह तबका टीवी पर खिड़कियों में बैठा बहस करता दिखेगा पर है तो यह भारतीय समाज का सबसे अहम तबका जो इस आधुनिकता के दौर में जहाँ पश्चिम की तरफ से चल रही हवा हमारे रहन सहन में मिलावट कर रही है उसी दौर में ग्रामीण महिलाएं आज भी नैतिकता और सरलता का झंडा उठाए झूझ रही है और जिस बराबरी के हक़ की आवाज को आज लोग फेमिनिज्म की उपमा दे रहे है यह महिलाएं सदियों पहले से उसके लिए संघर्षरत है,
स्त्रियों  को काम करने की आजादी देना जो आज के इस सोशल मीडिया के महिला शसक्तीकरण की सबसे बड़ी मांग है उसमे ग्रामीण महिलाएं शुरू से अग्रसर रही है ग्रामीण भारत के प्रमुख व्यवसाय कृषि में देखा जाये तो महिलाएं पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाये चल रही है और जब बात शिक्षा की आती है तो इस वक्त लड़कियों की शिक्षा दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और अगर राजनितिक क्षेत्र में देखा जाये तो ग्राम पंचायत में 50% आरक्षण ने महिलाओं को इस मोर्चे पर भी मजबूती प्रदान की है ।

शहरी और ग्रामीण महिला 
अब अगर तुलनात्म बात की जाये तो यह तो मानना पड़ेगा की भारत में दो अलग देश बसते है शहरीय भारत और ग्रामीण भारत जिनका लक्ष्य एक है पर जरूरते अलग अलग है और किसी भी मुद्दे पर विश्लेषण करने के लिए सिक्के के दोनों पहलु देखना जरूरी है | एक जगह जहाँ शहरीय इलाको में महिला शक्तिकरण बहुत आगे निकल गया है पर उसके साथ ही इसमें कही कही एक नकलीपन भी नजर आता है नशीले पदार्थो के सेवन ,पुरुषों के प्रति कट्टरपन भी आदि भी इसमें आ चुके है ,जिसका उदहारण हाल फिलहाल में बॉलीवुड में शुरू हुए एक सम्मानीय कदम #metoo है जो भी अंत में जाते जाते पब्लिसिटी के ढोंग की भेंट चढ़ गया और जो झूठे आरोपो की भीड़ में सच्चे खुलासों पर से भी लोगो का विश्वास उठ गया | वही दूसरी और ग्रामीण भारत में इसकी गति धीमी जरूर है पर वहाँ यह भोंडापन और नकलीपन नहीं है परन्तु समस्याएं यहाँ भी है रफ़्तार बहुत धीमी अपनी आवाज बुलंद करने में और समस्याएं कहने में हिचकिचाहट है कुछ और भी पहलू है जैसे जिन गांवों में महिला सरपंच है उनमे से ज्यादातर में ताकत आज भी सरपँच पति, पिता या परिवार के किसी पुरुष के पास है ।

सीधा लेखक के दिल से : 
बस यही था भारत में दो तरह के महिला शक्तिकरण पर छोटा सा लेख जितनी समझ है दोनों जगहों की उतना ही लिखा है ,
माना उम्र कम है , अनुभव ज्यादा नहीं है इसीलिए कुछ चीजो में परिपक्वता की कमी हो सकती है इसीलिए आपके सुझाव और स्वस्थ बहस के लिए आप सब कमेंट बॉक्स में आमंत्रित है
मेरी जिंदगी में दखल रखने वाली सभी महिलाओं को मेरा शत शत नमन 🙏
जय हिंद🙏

-आपका 
✍️शुभम जाट
  लेखक पर्सनल ब्लॉग : युवा भारत