ये किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं कहा गया. ये किसी रागिनी के मंच पर भी नहीं कहा गया. ये किसी फिल्मी कार्यक्रम में भी नहीं कहा गया. ये किसी मसखरे, नचनचिये, नादान, बावले व्यक्ति ने नहीं कहा. ये कहा है भारतीय जनता के प्रतिनिधि आजम खां साहब? ने पवित्रता व मर्यादा की मिसाल भारतीय संसद में. किसी अभिनेत्री, नृत्यांगना के प्रति नहीं वरन् महिला सांसद के प्रति. क्या संदेश जाता है? संसद तक में सशक्त नारी के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है तब गली मोहल्ले के शोहदों पर क्या लगाम कसेगी! लोकसभा अध्यक्ष महोदय को तुरंत आजम खां जैसे बीमार सांसदों को लोकसभा से निष्कासित कर देना चाहिए.
-डॉ शिखा कौशिक नूतन
2 टिप्पणियां:
भारतीय जनता को अगर देश में भारतीय नारी का सम्मान कायम रखना है तो अपने वोट के अधिकार पर ध्यान देकर वोट करना होगा.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (27-07-2019) को "कॉन्वेंट का सच" (चर्चा अंक- 3409)) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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