औरत की तकदीर में देखो ,हरदम रोना-धोना है ,
मिलना उसको नहीं है कुछ भी ,सब कुछ हर पल खोना है ,
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तड़प रहेगी उसके दिल में ,जग में कुछ कर जाने की ,
नहीं पायेगी वो कुछ भी कर ,बोझ जनम का ढोना है ,
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सपना था इस जीवन में कि सबके काम वो आएगी ,
सच्चाई ये उसका जीवन ,सबकी रोटी पोना है ,
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टूट रही है तिल-तिल गलकर ,कुछ भी हाथ न आता है ,
पता चल गया भाग्य में उसके ,थक हारकर सोना है ,
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नारी जीवन में देने को ,प्रभु की झोली खाली है ,
''शालिनी '' का मन तड़पाकर ,भला देव का होना है ,
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शालिनी कौशिक
[कौशल ]
4 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-04-2017) को "उड़ता गर्द-गुबार" (चर्चा अंक-2929) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नारी के ऊपर बहुत ही सुन्दर कड़ियां प्रस्तुत की. Inspirational information in hindi
बहुत बढ़िया
हुत ख़ूब, idhar bhi nazar daliye
Varanasi To Bangkok direct Flight । अब थाईलैंड के पाप सीधे बनारस में धो लीजिये ... read complete
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