बेटी का जीवन भी देखो कैसा अद्भुत होता है,
देख के इसको पाल के इसको जीवनदाता रोता है.
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पैदा होती है जब बेटी ख़ुशी न मन में आती है,
बाप के मुख पर छाई निराशा माँ भी मायूस हो जाती है.
विदा किये जाने तक उसके कल्पित बोझ को ढोता है,
देख के इसको पाल के इसको जीवनदाता रोता है.
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वंश के नाम पर बेटो को बेटी से बढ़कर माने,
बेटी के महत्व को ये तो बस इतना जाने,
जीवन में दान तो बस एक बेटी द्वारा होता है,
देख के इसको पाल के इसको जीवनदाता रोता है.
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शालिनी कौशिक
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (12-01-2018) को "कुहरा चारों ओर" (चर्चा अंक-2846) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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