मेरे गीत अमर तुम करदो.... मेरे ..श्रृंगार व प्रेम गीतों की शीघ्र प्रकाश्य कृति ......"तुम तुम और तुम". के गीत--डा श्याम गुप्त ...
नूतन
वर्ष में .मेरे ..श्रृंगार व प्रेम गीतों की शीघ्र प्रकाश्य कृति
......"तुम तुम और तुम". के गीतों को यहाँ पोस्ट किया जा रहा है -----
--प्रस्तुत है गीत - ५...
..
मेरे गीत अमर तुम करदो....
मेरे गीतों की तुम यदि बनो भूमिका,
काव्य मेरा अमर जग में होजायगा |
मेरे छंदों के भावों में बस कर रहो,
गीत मेरा अमर-प्रीति बन जायगा |
गीत गाकर जो माथे पे बिंदिया धरो ,
अक्षर-अक्षर कनक वर्ण होजायगा |
तुम रचो ओठ, गीतों को गाते हुए,
गीत जन-जन के तन-मन में बस जायगा |
रूप दर्पण में जब तुम संवारा करो,
गीत मेरे ही तुम गुनगुनाया करो |
गुनगुनाते हुए मांग अपनी भरो,
गीत का रंग सिंदूरी हो जायगा |
शब्दों -शब्दों में तुम ही समाया करो,
मैं रचूँ गीत, तुम गीत गाया करो |
गीत तुम अपने स्वर में सजाने लगो ,
गीत जीवन का संगीत बन जायगा ||
--प्रस्तुत है गीत - ५...
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मेरे गीत अमर तुम करदो....
मेरे गीतों की तुम यदि बनो भूमिका,
काव्य मेरा अमर जग में होजायगा |
मेरे छंदों के भावों में बस कर रहो,
गीत मेरा अमर-प्रीति बन जायगा |
गीत गाकर जो माथे पे बिंदिया धरो ,
अक्षर-अक्षर कनक वर्ण होजायगा |
तुम रचो ओठ, गीतों को गाते हुए,
गीत जन-जन के तन-मन में बस जायगा |
रूप दर्पण में जब तुम संवारा करो,
गीत मेरे ही तुम गुनगुनाया करो |
गुनगुनाते हुए मांग अपनी भरो,
गीत का रंग सिंदूरी हो जायगा |
शब्दों -शब्दों में तुम ही समाया करो,
मैं रचूँ गीत, तुम गीत गाया करो |
गीत तुम अपने स्वर में सजाने लगो ,
गीत जीवन का संगीत बन जायगा ||
4 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-01-2016) को "अब तो फेसबुक छोड़ ही दीजिये" (चर्चा अंक-2223) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
नववर्ष 2016 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार! मकर संक्रान्ति पर्व की शुभकामनाएँ!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
धन्यवाद शास्त्रीजी, ओंकार व जीवन
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