रविवार, 19 जनवरी 2025

परी नहीं बेटी


 हिन्दू धर्म की एक प्रसिद्ध उक्ति है "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" जिसे हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा बहुत ही जोर शोर से उच्चारित किया जाता है. आजकल प्रयाग राज उत्तर प्रदेश में महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है, जहां चहुँ ओर हिन्दू धर्म का डंका बज रहा है. साधू संतों के प्रवास के दौरान सारी प्रयाग राज की धरती पवित्र हो रही है. हिन्दू धर्म का झंडा बुलन्द करने वाली भाजपा नीत केंद्र और राज्य की सरकार ने श्रद्धालुओं के प्रयाग राज में पहुंचने की उत्तम व्यवस्था की है मीडिया द्वारा हिंदू धर्म - सनातन धर्म के इस पर्व को लेकर खासा प्रचार प्रसार किया जा रहा है. जिससे युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में उल्लास पूर्ण वातावरण है जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु ज़न वहां पहुंच रहे हैं. इसी उल्लास को लेकर आने वाली दो खबरों ने हिन्दू धर्म संस्कृति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक मध्य प्रदेश के महेश्वर से माला बेचने आई मोनालिसा के साथ युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक का असभ्य, अशोभनीय व्यवहार और एक साध्वी बनने जा रही मॉडल हर्षा रिछारिया की सुन्दरता के पीछे पागलपन की हदें पार करती हिन्दू जनता. सवाल खड़े करती हैं हिन्दू धर्म के इस महाआयोजन पर, जिसमें श्रद्धा, आस्था, भक्ति सर्वोच्च होनी चाहिए, वहां वासना आगे दिखाई दे रही है. वहां पहुंची हिन्दू धर्मावलंबियों की भीड़ को ये सुन्दर, परी, अप्सरा नजर आ रही हैं, क्यूँ आखिर क्यूँ? धर्म के इस श्रेष्ठ पर्व में भी इनके मन में उनकी सुन्दरता ही क्यूँ उतर रही है क्यूँ इनके मन में इन्हें लेकर धार्मिक भावनाएँ नहीं उभर रही हैं? क्यूँ हिन्दू धर्म की श्रेष्ठ मान्यताएं इनके मन में मोनालिसा को इनकी बेटी, बहन और हर्षा रिछारिया को एक देवी के रूप में स्थान नहीं दिला पा रहा है? कहाँ कमी रह गई है भाजपा की नीतियों में जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का अभियान चला कर भी धर्म के इस महाकुंभ तक में बेटियों को सुरक्षित वातावरण नहीं दे पा रही है कि आखिर मोनालिसा के पिता को बेटी को दबंगों द्वारा उठा लिए जाने की धमकी के डर से घर वापस भेजना पड़ गया है और मॉडल से साध्वी बनी हर्षा रिछारिया को रोते रोते महाकुंभ छोड़ना पड़ गया है.

शालिनी कौशिक एडवोकेट

कैराना (शामली)