मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

''बसंत का शुभागमन !''


थी सुप्त कहीं जो चंचलता
अंगड़ाई लेकर जाग उठी ,
सृष्टि के सुन्दर आँगन में
नव-पल्लव वंदनवार सजी !
.................................................
श्वेत शीत के वसन त्याग
बासंती वेष किया धारण ,
बांध नुपुर विहग-कलरव
सृष्टि थिरके अ-साधारण !
.....................................................
चटकी कलियाँ मटकी सरिता
जन-तन-मन में रोमांच भरा ,
मदमस्त पवन के छूने से
लज्जित स्मित कोमल लतिका !
..........................................
है हास-विलास उमंग-तरंग ,
निखरा सृष्टि का अंग-अंग ,
निज रूप निहारे सरोवर में
सुन्दरतम बिम्ब का प्रतिबिम्ब !
..............................................................
कामदेव के वाण पांच
चलते प्रतिपल हैं इसी मास ,
प्रेमी-युगलों में मिलन प्यास
करती मधु को अति मधुमास !
.............................................
नव-पल्लव सम नव आस जगे ,
हरियाये जन-जन का जीवन ,
सन्देश यही लेकर बसंत
हर उर में करता शुभागमन !
शिखा कौशिक 'नूतन'

5 टिप्‍पणियां:

Aditi Poonam ने कहा…

बासंती उत्सव की शुभ कामनाएं
सुंदर रचना से बसंत का सुंदर स्वागत

Aditi Poonam ने कहा…

बासंती उत्सव की शुभ कामनाएं
सुंदर रचना से बसंत का सुंदर स्वागत

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना
New post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
New Post: Arrival of Spring !

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

वासन्ती संदेश का अभिनन्दन !

डा श्याम गुप्त ने कहा…

सुन्दर वासंती रचना...