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इन्द्रधनुष का लोकार्पण--श्री देवगिरी, रामचंद्रराव, श्री अजय श्रीवास्तव , लेखक डा श्याम गुप्त, सुषमा जी व प्रोफ ललिताम्बा ज |
कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति, जय नगर बेन्गलूरू के तत्वावधान में डा श्याम गुप्त के हिन्दी "उपन्यास इन्द्रधनुष" का लोकार्पण-1212
मई,2012
ई. शनिवार को समिति के सभा भवन में समारोह के मुख्य-अतिथि श्री अजय कुमार श्रीवास्तव,
उपनिदेशक (
कार्यान्वन )
गृह मंत्रालय,
राजभाषा विभाग बेंगलूर के कर
कमलों द्वारा संपन्न हुआ | समारोह की अध्यक्षता श्री एच वी रामचंद्र राव पूर्व निदेशक दूरदर्शन एवं आकाशवाणी
ने की,
विशिष्ट अतिथि प्रोफ.
बी.वे . ललिताम्बा सेवा निवृत्त आचार्य अहल्या वि.वि. इंदौर थीं । संचालन समिति के
सचिव डा वि रा देवगिरी ने किया |
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श्रोता गण |
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वेद-पाठ करते हुए डा गणेश किनी |
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डा श्याम गुप्त उपन्यास के बारे में बोलते हुए |
समारोह का प्रारम्भ ईश प्रार्थना से हुआ |
तत्पश्चात समिति की विशेष नीति-क्रम के अनुसार डा गणेश किनी द्वारा सस्वर वेद-पाठ
किया गया| डा देवगिरी जी ने डा श्याम गुप्त के व्यक्तित्व
व कृतित्व का परिचय देते हुए उपन्यास की
विशेषताओं का उल्लेख किया | लोकार्पण पूर्व -प्रोफ़. ललिताम्बा ने उपन्यास
बारे में विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की | श्रीमती
सुषमा गुप्ता ने डा श्याम गुप्त व उपन्यास के कुछ विशिष्ट पहलुओं पर प्रकाश
डालते
हुए कहा कि इन्द्रधनुष में उपन्यास के साथ-साथ शेरो-शायरी व कविता भी चलती
है जो
इसकी अपनी विशिष्टता है | मुख्य-अतिथि श्री अजय श्रीवास्तव व उपन्यास के
लेखक डा श्याम गुप्त का शाल व प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मान किया गया।
डा श्याम गुप्त ने उपन्यास के विषय पर
विवेचना करते हुए कहा कि नारी के विषय पर साहित्य को प्राय: साहित्यकार व हम सब “नारी-विमर्श”
का नाम देते हैं जो उनके विचार से अपूर्ण शब्द है वास्तव में स्त्री व पुरुष कभी
पृथक-पृथक देखे, सोचे, समझे, कहे व लिखे नहीं जा सकते , अतः यह वे इसे “स्त्री-पुरुष
विमर्श “ का नाम देते हैं |
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उपन्यास के बारे में बोलते हुए श्रीमती सुषमा गुप्ता |
श्री अजय कुमार श्रीवास्तव जी ने इंगित किया
कि अंग्रेज़ी व अंग्रेजियत-रहन-सहन का प्रभाव
सिर्फ हिन्दीभाषा को ही नहीं अपितु कन्नड़ एवं देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं के
प्रभाव को भी नष्ट कर रहा है| हमारी आगे की युवा पीढ़ी हमारी पीढ़ी की तरह अपनी स्थानीय-मातृभाषा
को भी ठीक प्रकार से नहीं जानती |
6 टिप्पणियां:
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badhai .
धन्यवाद शिखा जे व रमाकांत जी...आभार...
शुभकामनाएं ||
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