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शनिवार, 30 मई 2015

मेरी पहली दोस्त

जब हुआ मेरा सृजन,
माँ की कोख से|
मैं हो गया अचंभा,
यह सोचकर||

कहाँ आ गया मैं,
ये कौन लोग है मेरे इर्द-गिर्द|
इसी परेशानी से,
थक गया मैं रो-रोकर||

तभी एक कोमल हाथ,
लिये हुये ममता का एहसास|
दी तसल्ली और साहस,
मेरा माथा चूमकर||

मेरे रोने पर दूध पिलाती,
उसे पता होती मेरी हर जरूरत|
चाहती है वो मुझे,
अपनी जान से  भी बढ़कर||

उसकी मौजूदगी देती मेरे दिल को सुकून,
जिसका मेरी जुबां पर पहले नाम आया|
पहला कदम चला जिसकी,
उंगली पकड़कर||

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शनिवार, 6 दिसंबर 2014

माँ ...........तेरे जाने के बाद

जब मै जन्मा तो मेरे लबो सबसे पहले तेरा नाम आया,
बचपन से जवानी तक हर पल तेरे साथ बिताया.
लेकिन पता नहीं तू कहा चली गयी रुशवा होकर,
की आज तक तेरा कोई पौगाम ना आया.
मै तो सोया हुआ था बेफिक्र होकर,
और जब जागा तो न तेरी ममता, ना तुझे पाया.
मुझसे क्या ऐसी खता हो गयी,
जिसकी सजा दी तूने ऐसी की मै सह ना पाया.
तू छोड़ गयी मुझे यु अकेला,
मै तो तुझे आखरी बार देख भी ना पाया.
तू तो मुझे एक पल भी छोड़ती नहीं थी,
फिर तूने इतना लम्बा अरसा कैसे बिताया.
तू इक बार आ जा मुझसे मिलने,
देखना चाहता हूँ माँ तेरी एक बार काया.

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

माँ

माँ शब्द ही एक सुन्दर एहसास है
ममता, उदारता, नम्रता
प्रेम और सम्मान का  !

आशीर्वाद , निर्मलता
ईश्वर और उसके विश्वास का !!

बेटा सदा माँ का लाडला
सुन्दर और सुशील
और कोमल होता है !

सदा पाँच साल का छुटकू
बदमास और
सुकुमार होता है  !!

बच्चा भी सदा माँ के पास
महफूज, निर्भय
और समशेर होता है !

एक पल भी माँ से जुदा
नहीं रह सकता
वो बच्चा बिना माँ के ढेर होता है !!

जब होता है बच्चा छोटा
रखती है पास, पिलाती है दूध
बच्चे को मातृत्व का एहसास होता है  !

जब बच्चा बड़ा होकर
माँ की सेवा करता है
तब माँ को भी अपनी ममता पर नाज होता है !

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मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

मां

 ममता और सौहार्द से बनी हुयी है माँ  !
कोई कहे कुमाता कोई माता लेकिन है माँ  !!
जिसके स्पर्श भर से बेटा  प्रसन्न हो उठता है !
जिसके उठने से ही सुरज भी उठता है !!
माँ  को देखकर बच्चा पुलकित  हो उठता है !
बच्चो को पाकर माँ  का रोम-रोम खिल उठता है !!
यौवन मे भी माँ  को बेटा लगता प्यारा !
बेटा समझ न पाता मन का है कच्चा !!
सारी दुनिया समझे उसे घोर कपुत !
माँ  को लगता बेटा सच्चा,वीर,सपुत !!
माँ  शब्द मे है ममता का एहसास  !
बरसो है पुराना माँ  का इतिहास !!

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शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

नारी (एक बेबसी)

जब नारी ने जन्म लिया था ! 
अभिशाप ने उसको घेरा था !!
अभी ना थी वो समझदार !
लोगो ने समझा मनुषहार !! 
उसकी मा थी लाचार ! 
लेकीन सब थे कटु वाचाल !! 
वह कली सी बढ्ने लगी ! 
सबको बोझ सी लगने लगी !! 
वह सबको समझ रही भगवान ! 
लेकीन सब थे हैवान !! 
वह बढना चाहती थी उन्नती के शिखर पर ! 
लेकीन सबने उसे गिराया जमी पर !! 
सबने कीया उसका ब्याह ! 
वह हो गयी काली स्याह !! 
ससुर ने मागा दहेग हजार ! 
न दे सके बेचकर घर-बार !! 
सास ने कीया अत्याचार ! 
वह मर गयी बिना खाये मार !! 
पती ने ना दीया उसे प्यार ! 
पर शिकायत बार-बार !! 
किसी ने ना दिखायी समझदारी ! 
यही है औरत कि बेबसी लाचारी !! 
ना मीली मन्जिल उसे बन गयी मुर्दा कन्काल ! 
सबने दिया अपमान उसे यही बन गया काल !! 
यही है नारी कि बेबसी यही है नारी की मन्जिल ! 
यही हिअ दुनीय कि रीत यही है मनुष्य का दिल !! 
मै दुआ करता हू खुदा से किसी को बेटी मत देना ! 
यदी बेटी देना तो इन्सान को हैवनीयत मत देना !! 

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