सोमवार, 23 दिसंबर 2013

बदचलन कहने को ये मुंह खुल जाते हैं .

 
Farooq Abdullah scared of women!
अबला समझके नारियों पे बला टलवाते हैं,
चिड़िया समझके लड़कियों के पंख कटवाते हैं ,
बेशर्मी खुल के कर सकें वे इसलिए मिलकर
पैरों में उसे शर्म की बेड़ियां पहनाते हैं .
……………………………………………………………………
आवारगी पे अपनी न लगाम कस पाते हैं ,
वहशी पने को अपने न ये काबू कर पाते हैं ,
दब कर न इनसे रहने का दिखाती हैं जो हौसला
बदचलन कहने को ये मुंह खुल जाते हैं .
…………………..
बुज़ुर्गी की उम्र में ये युवक बन जाते हैं ,
बेटी समान नारी को ये जोश दिखलाते हैं ,
दिल का बहकना दुनिया में बदनामी न फैले कहीं
कुबूल कर खता बना भगवान बन जाते हैं .
……………………………………….
खुद को नहीं समझके ये सुधार कर पाते हैं ,
गफलतें नारी की अक्ल में गिनवाते हैं ,
कानून की मदद को जब लड़कियां बढ़ाएं हाथ
उनसे बात करने से जनाब डर जाते हैं .
…………………………………………………
नारी पे ज़ुल्म करने से न ये कतराते हैं,
बर्बरता के तरीके नए रोज़ अपनाते हैं ,
अतीत के खिलाफ वो आज खड़ी हो रही
साथ देने ”शालिनी ”के कदम बढ़ जाते हैं .
………………………………….
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

भारतीय राजनीति के आकाश में नारियों का योगदान ....डा श्याम गुप्त....



                   भारतीय राजनीति के आकाश में नारियों का योगदान

            यूं तो पुरा-काल, वैदिक काल से लेकर अब तक मानव समाज के अर्धांश भाग- नारी, का समाज के प्रत्येक क्षेत्र में अतुलनीय व असीम योगदान से कोई अनभिज्ञ नहीं है परन्तु इस आलेख का विषय-क्षेत्र मूल रूप से राजनीति की विसात पर नारियों के तपत्याग, बलिदान एवं सक्रिय कर्तत्व पर प्रकाश डालना है|

           पुरा युग जो मानव के विकास व प्रगति का आदिम युग था जिसमें देवों, उपदेव जातियों, दैत्यों व मानवों के विविधि सामाजिक रूप व आपसी सम्बन्ध थे | यहाँ पार्वती एवं सरस्वती ऐसे दो विशिष्ट नाम हैं | संसार की समस्त सभ्यता, नियम, नीति-निर्देश व व्यवहार के प्रदाता वेदों के प्रसार व नियामक एवं अथर्ववेद की रचना कराने वाले भगवान शिव की पत्नी व सलाहकार पार्वती, रणकौशल से युक्त, नीतिज्ञ व शास्त्र-कुशल थीं, जिन्होंने विविध रूपों में युद्धों के सक्रिय संचालन एवं नीति-कुशलता से देवों, दैत्यों व मानवों की प्रगति में सहयोग दिया व प्रत्येक स्तर पर आसुरी शक्तियों का विनाश किया | इसीलिये शिव के ब्रह्म रूप के साथ पार्वती को प्रकृति व आदि-शक्ति कहा गया |

            गन्धर्वों-विद्याधरों द्वारा वेदों के अपहरण पर 'सरस्वती' ने वेदों को पुनर्प्राप्ति हित देवताओं को नीति-कौशल सुझाया कि वे स्त्री लोभी गन्धर्वों-विद्याधरों से उनके बदले वेद प्राप्त करलें तत्पश्चात मैं पुनः देवों के पास लौट आऊँगी | इस प्रकार देवों को धार्मिक एवं राजनैतिक संकट से उबारा गया |

            विश्व की सर्वप्रथम अय्यार,जासूस, डिटेक्टिव, खोजी ...इंद्र की बहन सरमा  ने पणियों द्वारा बृहस्पति की गायों को चुराकर छुपाने के प्रकरण में अपनी कूटनीति व खोजी ज्ञान द्वारा गायों के छुपे होने के स्थान का पता लगाया, तत्पश्चात पणि-समूह का विनाश करके इंद्र द्वारा गायों को पुनः प्राप्त किया गया | 

           तत्कालीन भारत सम्राट महाराज शर्याति की पुत्री, अप्रतिम सौन्दर्य की मलिका सुकन्या ने अपनी भूल व असावधानी से उत्पन्न राजनैतिक संकट से अपने गृह-राज्य व पिता को उबारा | वृद्ध च्यवन ऋषि से विवाह करके एवं जीवन भर उनकी सेवा-श्रुशूषा द्वारा उन्हें पुनः यौवन प्राप्त भी कराया |

           त्रेता युग में कैकेयी, उर्मिला, सीता, मंथरा का राजनैतिक महत्त्व किसी से छुपा नहीं है | शस्त्र-शास्त्र कुशल, नीतिज्ञ कैकेयी ने देवासुर संग्राम में महाराज दशरथ को पराजय से बचाया | वशिष्ठ व राम के साथ कैकेयी की मंत्रणा ही थी जो शक्ति का ध्रुवीकरण करके रावण की पराजय व भारतीय दक्षिणी भूभाग को विजित करने हेतु राम-वनवास का प्रारूप बनी | इस पूरे प्रकरण में प्रत्येक स्तर पर सीता का तप, त्याग, बलिदान की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहीपहले सीता-हरण ( कहीं कहीं रावण का वध भी आदि-शक्ति रूप में सीता द्वारा ही किया गया वर्णित है ) फिर अयोध्या परित्याग प्रकरण में लव-कुश के द्वारा अयोध्या के निकट स्थित सबसे बड़े शक्ति-केंद्र वाल्मीकि -आश्रम की समस्त शक्तियों को अयोध्या के हेतु प्राप्त करके अयोध्या को पूर्ण निरापद बनाने में राम की कूटनीति में सहायक होना | इस सब में उर्मिला का लक्ष्मण के साथ न जाकर उन्हें देश-समाज हेतु पूर्ण रूप से मुक्त रखने में किये गए तप-त्याग, रावण के भारतीय विजित प्रदेश दक्षिणी भूभाग एवं उत्तरीय भूभाग की सीमा पर स्थित रक्षिका व सेनापति रूप ताड़का का राजनैतिक वर्चस्व तथा रावण द्वारा पति-ह्त्या की आग में जलती रावण की बहन शूर्पणखा  का रावण को दंड दिलाने हेतु किये गए कृत्य के राजनैतिक महत्त्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता |

          द्वापर में भीष्म की शक्ति व कुरुवंश की राजनैतिक शक्ति के बल पर गांधारी की बलि, जिसने महाभारत के युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की | अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका के बलपूर्वक हरण पर अम्बा द्वारा भीष्म से बदली का संकल्प भी राजनीति की बसात पर नारी के बलिदान की कहानी हैद्रौपदी द्वारा दुर्योधन का उपहास एवं चीरहरण के पश्चात उसका संकल्प महाभारत युद्ध एवं पांडवों को श्रीकृष्ण के सहयोग का मूल कारण ही बना जिसने देश के साथ-साथ विश्व राजनीति एवं इतिहास की दिशा ही बदल दी|

          राधा  के महान त्याग जिसने असीम विरह वेदना सहकर भी प्रेम को बंधन न बनाकरकृष्ण को प्रेम-बंधन में न बांधकर अपितु अपने प्रेम को उनकी शक्ति बनाकर मथुरा जाने के लिए प्रेरित किया एवं कर्म से विरत न होने का सन्देश दिया | जिसका ब्रज, पूरे भारत एवं विश्व की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव हुआ| जिसे युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा| जिसके कारण कृष्ण, श्रीकृष्ण व भगवान् श्रीकृष्ण हुए एवं गीता के कर्म-योग का ज्ञान विश्व को प्राप्त हुआइसी प्रेम व कर्म के कर्तत्व के कारण राधा, श्रीकृष्ण के साथ युगल रूप में पूज्या बनीं, जो विश्व सभ्यता व संस्कृति के इतिहास में एक अनुपम व अतुलनीय मिशाल है|

       अर्वाचीन काल में शिवाजी की माता जीजाबाई का राजनैतिक प्रभाव व महत्त्व किससे छुपा है| अहल्याबाई होल्कर, महारानी लक्ष्मीबाई, रानी चेनम्मा के शस्त्रों की झनकार, जोधाबाई का वलिदान, पन्ना धाय का त्याग की राजनैतिक बिसात का कम महत्त्व नहीं है |

         आधुनिक युग में नेताजी सुभाष बोस की झांसी रानी रेजीमेंट की केप्टन लक्ष्मी सहगल, स्वतंत्रता संग्राम की राजनीति में श्रीमती सरोजिनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी आदि का नाम कौन नहीं जानता |

        स्वतन्त्रता पश्चात काल में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की राजनैतिक शक्ति का पूरे विश्व में डंका बजा | आज न जाने कितनी महिलायें मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, राजनयिक, ग्राम-प्रधान आदि बनाकर देश की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम किये हुए हैं, इसे सम्पूर्ण विश्व देख व जान  रहा है |

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

भारतीय नारी का चीरहरण अमेरिका में कैसे रुकेगा ?

कल टी. वी. पर देखा कि अमेरिका ने फिर से एक भारतीय देवयानी खोबरागाडे का अपमान कर दिया है। वह अमेरिका में भारत की एक राजनयिक हैं। इस तरह की ख़बरें देखने के हम आदी हो चुके हैं लेकिन हमें यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि भारत उनके इस अपमान पर इतना सख्त रद्दे-अमल ज़ाहिर करेगा। बहरहाल भारत का यह काम वाक़ई तारीफ़ के क़ाबिल है।
इस विषय पर आज (18 दिसंबर 2013) हिन्दुस्तान में छपा में यह लेख छपा है जिसमें अमेरिका की नीयत और नीति का ख़ुलासा किया गया है-
कुछ साल पहले एक यूरोपीय देश के राजनयिक को एक सड़क दुर्घटना के सिलसिले में अमेरिका में जेल भेज दिया गया था। लेकिन अमेरिका दूसरे देशों में अपने राजनयिक ही नहीं, अन्य लोगों के लिए भी विशेष सुविधाएं चाहता है, भले ही वे संदेहास्पद चरित्र के लोग हों।कुछ वक्त पहले अमेरिकी दूतावास के लिए काम कर रहे एक अमेरिकी ठेकेदार ने पाकिस्तान में कुछ लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसे राजनयिक सुरक्षा नहीं मिली हुई थी, लेकिन अमेरिका ने दबाव डालकर उसे पाकिस्तान से छुड़वाकर अमेरिका पहुंचा दिया। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों का आरोपी डेविड हेडली अमेरिकी जेल में बंद है, लेकिन अमेरिका उसे भारत को सौंपने को तैयार नहीं है। डेविड हेडली अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के लिए काम करता था और उसकी हरकतों की जानकारी होते हुए भी अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने उसे वक्त रहते नहीं पकड़ था, न भारत को उसकी हरकतों की जानकारी दी थी। अगर ऐसा किया जाता, तो शायद 26/11 का हमला रोका जा सकता था। इससे जाहिर होता है कि अमेरिका का दूसरे देशों से व्यवहार परस्पर सम्मान और अंतरराष्ट्रीय परंपराओं के मुताबिक नहीं, बल्कि ताकत के तर्क से तय होता है। इस मामले में भी भारत का यही कहना है कि सामान्य मानवीय शिष्टाचार का खयाल तो रखा जाना चाहिए था। 
इस घटना के बाद यह सवाल उठता है कि आखि़र अमेरिकी हाथों से क्यों उतर रहे हैं भारतीयों के कपड़े ?
इसका जवाब यही है कि एशियाई देशों की शक्ति बिखरी हुई है। जब तक ये देश अपने साझा हित के लिए एक नहीं होंगे तब तक भारतीयों के कपड़े उतरते ही रहेंगे। आगे से चाहे राजनियकों के कपड़े न भी उतारे जाएं तब भी आम भारतीयों को तो ज़िल्लत बर्दाश्त करनी ही पड़ेगी।
बहरहाल संशोधित लोकपाल मुबारक हो।
सुना है कि यह संसद में पास हो गया है और अन्ना ने अपना अनशन तोड़ दिया है। उनके मंच पर उनके साथ खड़े बीजेपी और कांग्रेस के समर्थक भी ख़ुशी से तिरंगा फहरा रहे हैं।
अब सरकार को इस लोकपाल से दो चार मंत्रियों को पकड़वाना ही पड़ेगा वर्ना अरविंद केजरीवाल का आरोप सच साबित हो जाएगा कि इस क़ानून से तो एक चूहा भी जेल नहीं जाएगा।
धन्यवाद अरविंद केजरीवाल, इतने अच्छे कमेंट के लिए कि लोकपाल के शिकंजे में भ्रष्टाचारी को फंसना ही पड़ गया। 

रविवार, 15 दिसंबर 2013

गीत...पीर मन की....डा श्याम गुप्त....

                                        
                      पीर मन की
जान लेते   पीर मन की     तुम अगर,
तो न भर निश्वांस झर-झर अश्रु झरते।
देख लेते जो  द्रगों के  अश्रु कण  तुम  ,
तो  नहीं   विश्वास के  साये   बहकते ।

जान  जाते तुम कि तुमसे प्यार कितना,
है हमें,ओर तुम पे है एतवार  कितना  ।
देख लेते तुम अगर इक बार मुडकर  ,
खिल खिला उठतीं कली गुन्चे महकते।

महक उठती पवन,खिलते कमल सर में,
फ़ूल उठते सुमन करते भ्रमर गुन गुन ।
गीत अनहद का गगन् गुन्जार देता ,
गूंज उठती प्रकृति  में वीणा की गुन्जन ।

प्यार की   कोई भी   परिभाषा  नहीं है ,
मन के  भावों की कोई  भाषा नहीं है ।
प्रीति की भाषा नयन पहिचान लेते ,
नयन नयनों से मिले सब जान लेते ।

झांक लेते तुम जो इन भीगे दृगों में,
जान  जाते पीर मन की, प्यार मन का।
तो अमिट विश्वास के साये  महकते,
प्यार की निश्वांस के पन्छी चहकते ॥  

 

शनिवार, 14 दिसंबर 2013

दें दूंगा मैं तलाक जो आँख दिखाई !!

Young brunette beauty or bride, behind a white veil - stock photo
बेगम तो फ़िक्र करती है शौहर की सुबह-शाम ,
बेफिक्र होकर बीतती शौहर की सुबह -शाम !
.............................................................
बेगम के सिर में दर्द है बेहाल हो रही ,
नुक्कड़ पे ताश खेलते शौहर जी सुबह-शाम !
.......................................................
दें दूंगा मैं तलाक जो आँख दिखाई ,
इन धमकियों में दहलती बेगम की सुबह-शाम !
.............................................................
बेगम क्यूँ फ़िक्र करती हो बच्चा नहीं हूँ मैं ,
छोड़ो ये पहरेदारी शौहर की सुबह-शाम !
..................................................................
बेगम गयी है 'नूतन' जिस दिन से मायके ,
कटती है इत्मीनान से शौहर की सुबह-शाम !

शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

क्या इनमें कोई भी सेलेब्रिटी है ??? ... डा श्याम गुप्त ....

                           
                     उपरोक्त चित्रों में देखिये .....क्या इनमें कोई  भी सेलेब्रिटी है ??? अधिकांश युवा -पीढी के  वे लोग हैं जो फिल्म, या उल-जुलूल ड्रामा, कला, फैशन, संगीत  वाले हैं...जिनके लिए वस्त्र-पहनने व वस्त्रहीन होने में कोई अंतर नहीं...... या फिर तथाकथित एक्टिविस्ट हैं;....जिन्होंने अभी जीवन का अर्थ  भी नहीं जाना है, वास्तविक ज्ञान से जिनका कोइ लेना-देना नहीं है  ...जो इंडिया में रहते हैं भारत में नहीं ....इंडिया  में भी बस रहते हैं पर अमेरिका, योरोप से ज्ञान व सीख लेते हैं |  जिनके लिए अमेरिकन व विदेशी ही ज्ञानी एवं आदर्श हैं| विदेशी नियम, व्यवहार यहाँ तक कोर्ट -क़ानून भी उनके लिए मिशाल की भाँति हैं| इनके लिए भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी 'बारबेरिक' है( यह शब्द भी विदेशी है भारतीय शब्द कोश में कहीं नहीं है )  वे खाते भारत का हैं और गुण इंडिया के या विदेशों के गाते हैं...अथवा अधिकांश विदेशी हैं जिनके लिए नंगे होना, रहना कोई  द्विधा की बात नहीं है |  कहाँ है बड़े-बड़े.....न्यायविद ..साहित्यकार...गुरु...ज्ञानी...पंडित...राजनैतिज्ञ ..वैज्ञानिक...शास्त्रकार...दार्शनिक.....चिकित्सक ..विचारक ..आदि .....


..My life, my choice, my partner, with consent ..kuchh bhi karoon  ...who the hell govt or law or other people are


IS THIS LOVE ..OR HUMAN..OR RIGHT ??????
 the wrong examples..of course the thinking of a tree

                  एसे लोग ... 'आज गे कल न्यूड '...के  लिए चिल्लाने लगें तो  कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी  | वे मनुस्मृति की बात करेंगे जैसे मनु कोई अवांछनीय व्यक्ति या संस्था हो| ये लोग खजुराहो, शिखंडी, युवनाश्व, विष्णु व कृष्ण का मोहिनी रूप, महादेव का रास-लीला हेतु बनाया गया स्त्रीवेष, कृष्ण का नारी रूप  आदि-आदि का उदाहरण खोजने व देने लगेंगे ... ....चाहे वे इन शास्त्र-पुराणों को  वास्तव में कपोल-कल्पित ही मानते होंगे | ..... वे भूल जाते हैं कि इन सबमें गे-सेक्स की कोइ बात नहीं है ..न गे-विवाह की ....अपितु सभी में रूप बदलने के तथ्य हैं | अथवा अत्यंत उच्च दार्शनिक बातें हैं | खजुराहो के भी सभी मूर्ति-कृत्य क्या व्यवहारिक जीवन में अपनाए जाते हैं ? अथवा क्या हम पुनः प्राचीन-युग में जाना चाहते हैं ?
                  लोग भूल जाते हैं कि ---
         १.इस कृत्य को कानूनी जामा पहनाने का अर्थ होगा कि हम अपने सेना, स्कूल, कालिज, केम्पों आदि संस्थाओं में जहां  समान-लिंग के अथवा  सभी व्यक्ति, बच्चे, युवा आदि समूह में रहते हैं उनमें अनुचित व गलत समाचार जाएगा और वे दुष्कृत्यों हेतु स्वतंत्र होंगे |( चुपचाप तो आज भी सबकुछ होता  है परन्तु उस गलत अप्राकृतिक  तथ्य को  सही करार देने की क्या आवश्यकता है| खुले में करने की क्या आवश्यकता है )

       २.क्या यह महिलाओं व पुरुषों के लिए बेईज्ज़ती की बात नहीं है |  महिला द्वारा महिला से सेक्स... महिला द्वारा पुरुष का, पौरुष का  अनादर है इसी  प्रकार पुरुष द्वारा स्त्रीत्व व स्त्री का भी अनादर है |

      ३.स्वयं प्रेम व सेक्स का तो यह अनादर है ही...प्रकृति का भी अनादर है अन्यथा प्रकृति क्यों स्त्री-पुरुष अलग अलग सृजित करती |

     ४. यह दुष्कृत्य मानवता व मानव-विकास का भी अनादर है ...... जीव जगत में कहीं  भी समान लिंग में सेक्स नहीं  देखा जाता ..... एक लिंगी जीव  अलिंगी-फ़रटिलाइज़शन करते हैं या अन्य लिंगी से ....अथवा वे जीव स्वयं द्विलिंगी( यथा केंचुआ आदि ) होते हैं जो आपस में निषेचन करते हैं|

मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

तमाचा-लघु कथा

अख़बार की रविवार -मैगजीन में छपी ग़ज़ल पढ़ते हुए टीटू की नज़र ग़ज़ल के नीचे छपे लेखिका के संपर्क नंबर गयी . ग़ज़ल अच्छी लगी तो उसने तुरंत अपने मोबाइल से लेखिका के दिए गए संपर्क नंबर पर कॉल कर दी .कॉल दूसरी ओर से रिसीव किये जाते ही टीटू ने लेखिका से उसकी ग़ज़ल की तारीफ की और पूछा -'' यदि आपके इस नंबर पर आपसे वैसे भी बात कर लूँ तो कोई दिक्कत तो नी जी ?'' टीटू के इस प्रश्न के जवाब में लेखिका ने गम्भीर स्वर में पूछा -'' यदि मेरी जगह तुम्हारी बहन से फोन पर कोई अजनबी यही प्रश्न करता कि ''बात करने में कोई दिक्कत तो नी जी '' तब तुम्हारा जवाब क्या होता ? वही मेरा जवाब है .'' लेखिका के ये कहते ही टीटू ने फोन काट दिया .उसे लगा पुरुषवादी सोच का तमाचा एक स्त्री ने उसके ही मुंह पर मार दिया है .
शिखा कौशिक 'नूतन'