रविवार, 24 नवंबर 2013

तुम क़त्ल कर रहे इनका...?


मत मारो मत मारो मत बेटियों को मारो ,
इनको भी हक़ जीने का ये जान लो हत्यारो !
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ये नन्ही नन्ही कलियाँ चटकेंगी -महकेंगी ,
ये नन्ही नन्ही चिड़ियाँ फुदकेंगी -चहकेंगी ,
ये भी हैं अंश तुम्हारा , ये तो तनिक विचारो !
इनको भी हक़ जीने का ये जान लो हत्यारो !!
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ये किरणें हैं सूरज की चमकेंगी चमकेंगी ,
ये दामिनी बन नभ में दमकेगी दमकेगी ,
ये झाँसी की हैं रानी मत अबला इन्हें पुकारो !
इनको भी हक़ जीने का ये जान लो हत्यारो !!
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ये जननी ,माता ,पत्नी ,पुत्री व् प्यारी बहनें ,
हर रूप है महिमाशाली ,गरिमा के क्या कहने ,
तुम क़त्ल कर रहे इनका खुद को ही अब धिक्कारो !
इनको भी हक़ जीने का ये जान लो हत्यारो !

शिखा कौशिक 'नूतन'

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

यौन उत्पीड़न किसे कहते हैं?

तरूण तेजपाल ने बड़ी हिम्मत के साथ स्वीकार किया है कि हां, उन्होंने अपनी सहकर्मी महिला पत्रकार के साथ वह किया है जिसे वह यौन उत्पीड़न बता रही है।
वह सहकर्मी महिला पत्रकार भी बहुत बहादुर निकली। उसनेभी अपना उत्पीड़न भले ही करवा लिया लेकिन उसे बर्दाश्त बिल्कुल नहीं किया। उसने चिठ्ठी लिखकर तहलका पत्रिका की प्रबंध संपदिका शोमा सिंह को सारा माजरा बता दिया और सच्चाईदुनिया के सामने आ गई। पत्रकार का फ़र्ज़ यही तो होता है कि दुनिया के सामने सच्चाई ले आए।
देखिए, मॉडर्न एजुकेशन हमारे देश को कैसे कैसे बहादुर दे रही है।
उधर शोमा सिंह कह रही हैं कि मेरी पहली तरजीह महिला पत्रकार को अच्छा फ़ील कराना है और वह करा भी रही हैं।
अगर उत्पीड़िता ने अच्छा फ़ील कर लिया तो मामला आपसी सहमति से निपट भी सकता था लेकिन तरूण तेजपाल की सताई हुई पार्टियों को बैठे बिठाए मौक़ा मिल गया। वे तरूण तेजपाल को लम्बा नापने की फ़िराक़ में हैं। अगर ऐसे आड़े वक्त के लिए तरूण तेजपाल ने कोई सीडी बचाकर नहीं रखी है तो वह चौड़े में मारे जाएंगे। इसमें कोई शक नहीं है। जल में रहकर मगरमच्छों से इसीलिए तो कोई बैर नहीं करते।
बहरहाल ताज़ा ख़बर यह है कि गोवा पुलिस के उपमहानिरीक्षक ओ. पी. मिश्रा जी ने बताया है कि तरूण तेजपाल के खि़लाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है।
इस कांड के बाद एजुकेटिड पुरूषोंमें सहकर्मी महिलाओं के प्रति अविश्वास उत्पन्न होने का ख़तरा भी पैदा हो गया है। आनन्द के पलों का लुत्फ़ उठाते हुए कौन यह जान सकता है कि कल इसी लुत्फ़ को उत्पीड़न क़रार दिया जा सकता है।
तमाम अंदेशों के बावजूद होटलों में सम्मेलन और सेमिनार चलते रहेंगे और औरत और मर्द तरक्क़ी करते रहेंगे। यह भी सच है।
इस तरह की घटनाएं हमें कन्फ़्यूज़ कर देती हैं कि आखि़र यौन उत्पीड़न क्या है?
एक पढ़ी लिखी और बालिग़ लड़की को क्या चीज़ मजबूर करती है कि वह अपने आप को यौन शोषण के लिए अर्पित करने के लिए होटल के कमरे में ख़ुद ही चल कर जाए और फिर शोर मचाए।
क्या इसे मर्द का यौन उत्पीड़न न माना जाए?

मंगलवार, 19 नवंबर 2013

जन्मदिन ये मुबारक हो '' इंदिरा'' की जनता को ,

 
 
अदा रखती थी मुख्तलिफ ,इरादे नेक रखती थी ,
वतन की खातिर मिटने को सदा तैयार रहती थी .
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मोम की गुड़िया की जैसी ,वे नेता वानर दल की थी ,,
मुल्क पर कुर्बां होने का वो जज़बा दिल में रखती थी .
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पाक की खातिर नामर्दी झेली जो हिन्द ने अपने ,
वे उसका बदला लेने को मर्द बन जाया करती थी .
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मदद से सेना की जिसने कराये पाक के टुकड़े ,
शेरनी ऐसी वे नारी यहाँ कहलाया करती थी .
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बना है पञ्च-अग्नि आज छुपी है पीछे जो ताकत ,
उसी से चीन की रूहें तभी से कांपा करती थी .
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जहाँ दोयम दर्जा नारी निकल न सकती घूंघट से ,
वहीँ पर ये आगे बढ़कर हुकुम मनवाया करती थी .
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कान जो सुन न सकते थे औरतों के मुहं से कुछ बोल ,
वो इनके भाषण सुनने को दौड़कर आया करती थी .
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न चाहती थी जो बेटी का कभी भी जन्म घर में हो ,
मिले ऐसी बेटी उनको वो रब से माँगा करती थी .
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जन्मदिन ये मुबारक हो उसी इंदिरा की जनता को ,
जिसे वे जान से ज्यादा हमेशा चाहा करती थी .
शालिनी कौशिक 
[कौशल ]

सोमवार, 18 नवंबर 2013

मैनेज-लघु कथा


सुजीत ने रिंगटोन बजते ही जेब से मोबाइल निकाला और बटन दबाकर कॉल रिसीव करता हुआ बोला - '' माँ ...प्रणाम ...ठीक तो हो ?...पिता जी कैसे हैं ?'' माँ घबराई हुई सी आवाज़ में बोली -'' बेटा मैं तो ठीक हूँ पर तेरे पिता जी की तबियत काफी ख़राब है .तुम यहाँ आ जाते तो सहारा हो जाता . वैसे तो इलाज चल ही रहा है .'' सुजीत बहाना बनाता हुआ बोला -'' माँ तुम जानती हो ना मेरी जॉब के बारे में ...साँस लेने तक की फुर्सत नहीं है और तुम्हारी बहू नेहा भी नौकरी के चक्कर में बहुत व्यस्त रहती है . बिल्कुल टाइम नहीं मिलता उसको .आप प्लीज़ खुद ही मैनेज कर लो माँ ....और हां आपका पोता चिंटू क्लास में फर्स्ट पोजिशन लाया है ...पिता जी को बताना वो बहुत खुश होंगे .'' माँ थोड़े मायूस स्वर में बोली -'' नहीं आ सकते तो कोई बात नहीं ...मैं मैनेज कर लूंगी वैसे भी पिछले आठ साल से ....शादी के बाद से तुम ज्यादा ही व्यस्त हो गए हो .'' इस वार्तालाप के एक माह बाद सुजीत के मोबाइल पर फिर से माँ की कॉल आयी .सुजीत अनमने भाव से रिसीव करता हुआ बोला -'' प्रणाम माँ ....क्या बताऊँ यहाँ मैं बहुत परेशान हूँ ....पंद्रह दिन से चिंटू बीमार है .अच्छे से अच्छा इलाज करवा रहा हूँ पर तबियत अभी तक भी पूरी तरह ठीक होने में नहीं आयी है .'' माँ चिंतित स्वर में बोली -'' बेटा चिंता मत करो ...अब तुम्हारे पिता जी की तबियत काफी ठीक है ..तुमने तो पलटकर फोन करके पूछा भी नहीं ...चलो कोई बात नहीं ...तुम दोनों पर टाइम ही नहीं तो चिंटू की देखभाल क्या करोगे ...मैं और तुम्हारे पिता जी आ जाते हैं कुछ दिन के लिए वहाँ ...'' माँ की ये बात सुनकर सुजीत हड़बड़ाता हुआ बोला -'' माँ आप रहने दो क्यों चक्कर में पड़ती हो ...मैं और नेहा मैनेज कर लेंगें .'' ये कहकर सुजीत ने फोन काट दिया .
शिखा कौशिक 'नूतन'

शनिवार, 16 नवंबर 2013

गीत सज़े - डा श्याम गुप्त का गीत....



               गीत सज़े ---
में लगा सोचने गीत कोई लिखूं,
ख्याल बनकर तुम मन में समाने लगे।
तुम लिखो गीत जीवन के सन्सार के ,
गीत मेरे लिखो यूं बताने लगे

जब उठाकर कलम गीत लिखने चला,
कल्पना बन के तुम मुस्कुराते रहे
लेखनी यूंही कागज़ पे चलती रही ,
यूं ही लिखता रहा तुम लिखाते रहे

छंद रस रागिनी स्वर पढे ही नहीं ,
कैसे गीतों को सुर ताल लय मिले।
में चलाता रहा बस यूं ही लेखनी ,
ताल लय उनमें तुम ही सज़ाते रहे

गीत मैंने भला कोई गाया ही कब,
स्वर की दुनिया से कब मेरा नाता रहा।
बन के वीणा के स्वर कन्ठ में तुम बसे,
स्वर सज़ाने लगे , गुनु गुनाने लगे

ख्याल बनके यूं मन में समाने लगे,
गीत मेरे लिखो यूं सुझाने लगे।।

विश्वास-लघु कथा

रिया और राहुल को आपस में घुल मिलकर कॉलेज कैंटीन में बातें करते देखकर रॉकी के दिल में आग लग गयी और वो फुंकता हुआ रिया के पास पहुंचा .राहुल के प्रति उपेक्षा दिखाता हुआ रॉकी रिया से मुखातिब होते हुए बोला - '' मुझे रिजेक्ट कर इस मिडिल क्लास के साथ दोस्ती की है तुमने .एक्सप्लेन मी व्हाई ?'' रिया रॉकी की ओर देखते हुए बोली -'' रॉकी महगे गिफ्ट्स देकर किसी का दिल नहीं जीता जाता है .तुम्हे याद है एक समय था जब तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड थे पर तुम्हारी एक आदत ने मुझे तुमसे दूर जाने के लिए मजबूर कर दिया और वो है इंसान को सामान मानने की तुम्हारी गन्दी आदत .एक दिन ऐसे ही राहुल के साथ मुझे बातें करते देखकर राहुल के जाने के बाद एक घंटे तक तुमने मेरा दिमाग खा डाला था जैसे मैं कोई सामान हूँ और राहुल तुमसे छिपकर मुझे उठाकर ले जायेगा ...इतनी असुरक्षा का भाव दो फ्रेंड्स के बीच !.....पर राहुल ने मुझसे कभी तुम्हारे बारे में कुछ नहीं पूछा .यहाँ तक कि ये भी नहीं कि तुम्हारी व् मेरी दोस्ती क्यों टूट गयी क्योंकि उसे मुझ पर विश्वास है कि मैं एक अच्छी फ्रेंड के रूप में उसे कभी धोखा नहीं दूँगी .उसने कभी कोई चुभता हुआ प्रश्न नहीं पूछा ....हम दोनों में आपसी विश्वास है ...हम अच्छे फ्रेंड हैं !'' रॉकी रिया की बाते सुनकर आसमान में देखने लगा और खिसियाता हुआ बोला -'' ऑल राइट ..एन्जॉय योर फ्रेंडशिप !!''
शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 14 नवंबर 2013

गोरी दुल्हन काला दूल्हा -लघु कथा

हल्के गुलाबी रंग की रेशमी साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहने गौरवर्णा नवविवाहिता अदिति अपने काले कलूटे पतिदेव के साथ पार्क में घूमने गयी पर उसे बड़ा अजीब लग रहा था .आते-जाते लोग उन दोनों को बड़े ध्यान से देख रहे थे जिसके कारण उसके पतिदेव का मूड उखड गया .किसी तरह इधर-उधर की बातें करते हुए बमुश्किल बीस-तीस मिनट काटे और घर वापस लौट लिए .घर के पास पहुँचते ही पीछे से एक मोटरसाइकिल पर दो शरारती किशोर निकले .जिन्होंने पीछे मुड़कर देखते हुए सीटी बजायी और हवा में ही ताना कस दिया '' हूर के साथ लंगूर , दिल्ली बहुत दूर '' . अदिति के काले कलूटे पतिदेव ने उन किशोरों को गुस्से से देखा और तेज चलकर अदिति से थोड़ी दूरी बना ली .घर पहुँचते ही पतिदेव ने अपना सारा गुस्सा अदिति पर उतारते हुए कहा -'' किसने कहा था यूँ हीरोइन बनकर जाने के लिए ...ढ़ंग के कपड़े नहीं हैं तुम्हारे पास ?'' इतना कहकर अदिति का जवाब सुने बिना वे टी.वी. ऑन कर समाचार देखने लगे .अदिति ने मन ही मन अपने माता-पिता को कोसा और सोचने लगी -'' शादी के वक्त तो गोरी लड़की चाहिए और अब अपने काले होने का गुस्सा मुझ पर उतार रहे हैं ये पतिदेव .अरे मैं तो चलो तुम्हारे अनुसार कपड़े पहन लूंगी पर जो भगवान् ने तुम्हे काजल मलकर भेजा है इसे किस साबुन से साफ कर पाओगे !! ये सोचते सोचते अदिति कपड़े बदलकर किचन में जाकर चाय बनाने लगी .
शिखा कौशिक 'नूतन'