जब तक रहेगी स्त्री एक देह मात्र ,
नोचीं जाएगी ऐसे ही
नर-गिद्धों द्वारा |
रोज़ छपेंगी ख़बरें
इंसानियत के शर्मसार होने की ,
और नाचेगी हैवानियत
क्या खूब होगा नज़ारा !!
देह तो देह है
सीधा- सा है इसका गणित ,
सात माह , सत्रह बरस या सत्तर साल ,
कामुक के लिए है बस लूटने का माल |
बनेंगे कानून , छिड़ेगी बहस -बालिग है या नाबालिग ,
फांसी दी जाये या उम्र कैद ,
कटते जायेंगें साल-दर-साल और कामुकता
का राक्षस किसी और नाम ,रूप, स्थान पर
कर डालेगा स्त्री-देह को हलाल
और फिर उठेंगे
स्त्री के चरित्र ,
उसके पहनावे ,
उसके होने पर ही अजीबोगरीब सवाल ||
पितृसत्ता जरा गौर फरमाए !
फिर हुआ बलात्कार ,
शुरू हुई छानबीन ,
लड़की ने पहना क्या था ?
लड़की घर से निकली क्यों थी ?
नतीजे आयेगें कुछ इस प्रकार -
लड़कियां बिगड़ती जा रही हैं ,
शर्म-हया बेच कर खा रही हैं ,
कुछ कारगर उपाय बतलाये जायेंगें -
इनसे मोबाइल फोन वापस लिए जाये ,
जींस पहनने पर प्रतिबन्ध लगाया जाये ,
अंत: वस्त्रों का रंग निर्धारित किया जाये ,
लेकिन
लेकिन
लेकिन जब
बलात्कार हुआ हो सात माह की बच्ची के साथ ,
तब उस पर क्या-क्या थोपा जाये
पितृसत्ता जरा गौर फरमाए !!!
-डॉ शिखा कौशिक 'नूतन'...