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रविवार, 22 जुलाई 2012

महिलाओं पर अत्याचार और शालीन वस्त्र .. डा श्याम गुप्त


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                                  वही दूसरी ओर किसी  नेता के लडकियों/महिलाओं को सभी व शालीन वस्त्र पहनने की सलाह पर तथाकथित महिला-आयोग आदि की स्मार्ट महिलायें आपत्ति कर रही हैं कि क्या बच्चियों से बलात्कार  एवं गुवाहाटी की घटना कपडे देख कर हुई थी ?
   वे भूल जाती हैं कि कपडे व अंग् प्रदर्शन भावनाओं को उत्तेजित करता है एवं टीवी , सिनेमा, उच्च वर्ग की महिलायें , सिने-तारिकाएं आदि को अधनंगा देखकर उन पर जोर नहीं चलता अपितु जहां जोर चलता है वहीं उसका प्रभाव व आवेग निकलता है |
 दूसरी ओर हमारे व्यंगकार -कवि गोपाल चतुर्वेदी जी इस विषय पर  खाप पंचायतों के फरमानों पर घिसे-पिटे सवाल उठाते हुए लिखित संविधान की बात करते हैं....परन्तु सब जानते हैं कि यह संविधान व इसके कार्यकारी जन कैसा व कितना पालन कर रहे हैं कि ५०-६० वर्षों में  इस समस्या पर काबू नहीं पाया जा सका है अपितु समस्या बढ़ी ही है |  संविधान में पंचायती राजकी बात भी कही गयी है |  
क्या हम सब , पढ़े-लिखे स्त्री-पुरुष व पाश्चात्य रन में रंगे युवा  इन सब बातों पर पुनर्विचार करेंगे |