क्रंदन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
क्रंदन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 14 जुलाई 2012

तुम्हारे बिना ..कविता....डा श्याम गुप्त

प्रिये!
सूरज की महत्ता , भादों में-
धूप का अकाल पडने पर,
सामने आती है |
इसीतरह
तुम्हारे  बिना आज-
मन का कोना कोना गीला है ;
जैसे बरसात में ,
सूरज के बिना,
कपडे गीले रह जाते हैं

वस्तु की महत्ता का बोध, उसकी-
अनुपस्थिति से बढ़ जाता है |
इसीलिये तुम्हारी अनुपस्थिति में ,
हर बार-
तुम्हारे आकर्षण का ,
एक नया आयाम मिल जाता है |

लहरों  और कूलों के आपसी सम्बन्ध में ,
अणु  कणों के आतंरिक द्वंद्व में ,
सर्वत्र संयोग और वियोग का क्रंदन है |

संयोग और वियोग,
वियोग और संयोग ,
सभी में इसी का स्पंदन है,
यही जीवन है ||





बुधवार, 7 दिसंबर 2011

तुम्हारे बिना .....कविता ......डा श्याम गुप्त

                        हर नारी व्यक्तित्व महत्वपूर्ण है और प्रभावित करती  है, जब तक घर की नारी प्रभावित नहीं करती क्या लाभ....  charity begins from home........


प्रिये ! 
सूरज की महत्ता, भादों में-                   
धूप का अकाल पड़ने पर 
सामने आती है |
इसी तरह-
तुम्हारे बिना, आज-
मन का कोना कोना गीला है ;
जैसे बरसात में,
सूरज के बिना,
कपडे गीले रह जाते हैं |

वस्तु की महत्ता का बोध, उसकी-
अनुपस्थिति से बढ़ जाता है |
इसीलिये तुम्हारी अनुपस्थिति में ,
हर बार-
तुम्हारे आकर्षण का ,
एक नया आयाम मिल जाता है |

लहरों और कूलों के आपसी सम्बन्ध में ,
अणु-कणों के आतंरिक द्वंद्व में ,
सर्वत्र संयोग व वियोग का क्रंदन है |

संयोग और वियोग,
वियोग और संयोग,
सभी में इसी का स्पंदन  है,
यही जीवन है ||