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बुधवार, 9 अप्रैल 2014

''अपनी ज़िंदगी ...ज़िंदगी ''-लघु कथा


Close up of crying scared female face with bruise. Man holding woman face aggressively  - stock photo

स्नेहा हॉस्पिटल में एडमिट अपनी सहेली का हाल-चाल  पूछकर घर के लिए पैदल ही चल दी .रात के आठ बज चुके थे .दिसंबर की सर्द रात में शहर की इस सड़क पर  इक्का-दुक्का व्यक्ति ही दिखाई दे रहा था .चलते-चलते स्नेहा को लगा कि कुछ लोग उसका पीछा कर रहे हैं .उसने पीछे मुड़कर देखा तो चार आवारा टाइप लड़के चलते-चलते ठिठक गए .स्नेहा ने अपनी चाल तेज कर दी .उन लफंगों ने भी अपनी चाल उतनी ही तेज कर दी .स्नेहा का घर अभी काफी दूर था .सूनसान सड़क पर खुद को अकेले ऐसी स्थिति में देखते हुए  स्नेहा ने ज्यूँ ही अपने बैग से मोबाइल निकाला उन लफंगों में से दो ने आकर उससे उसका मोबाइल छीन लिया और दूर फेंक दिया .स्नेहा कुछ समझ पाती इससे पहले ही वे दो लफंगे उसका मुंह दबोचकर सड़क से सटे जंगल की ओर उसे ले चले .पीछे पीछे बाकी दो लफंगे भी आ गए .अपनी ओर बढ़ते उन हवस के शैतानों को देखकर किसी तरह स्नेहा ने अपने दबोचो हुए मुंह को छुड़ाते हुए चीख कर कहा  -''रूक जाओ ....तुम हवस मिटाने के चक्कर में एडस के शिकार मत बन जाना ...मैं एच.आई.वी.पॉजिटिव हूँ ..मैं जांच कराने ही हॉस्पिटल आई थी .'' स्नेहा के इतना कहते ही उसे जकड़कर खड़े लड़कों ने तुरंत उसे ऐसे छोड़ दिया जैसे स्नेहा को छूने मात्र से उनके एडस हो जायेगा .चारो लफंगे स्नेहा को वही छोड़ फरार हो गए .स्नेहा ने हाथ जोड़कर भगवान् को  धन्यवाद करते हुए सोचा- ''अपनी ज़िंदगी की कितनी कीमत है इन हैवानों के लिए ...हवस का जूनून भी पल भर में एडस का नाम सुनते ही हवा  हो गया ..वरना आज मेरा सत्यानाश  करके ही मानते .''

शिखा कौशिक 'नूतन '

5 टिप्‍पणियां:

  1. सही समय पर सही विचार आ जाये तो सारी बाधाएँ दूर हो सकती है
    प्रेरक कथा

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  2. इज्ज़त पर ज़िंदगी भारी हो गई , इन नर पिशाचों को एड्स का इंजेकसन देकर जंगल मे छोड़ देना चाहिए

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  3. क्या बात है ...सुन्दर आइडिया ...प्रत्युत्पन्नमति का उदहारण .....

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