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मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

''बड़ी बेशर्म औरत है ''

muslim woman : Muslim women and sunset. Muslim women fashion style. Stock Photo

नहीं पर्दा ये करती है बड़ी बेशर्म औरत है ,
ये शौहर से जो लड़ती है बड़ी बेशर्म औरत है !
......................................................
उठाया हाथ शौहर ने दिखाई आँख इसनें भी ,
नहीं  शौहर  से डरती  है  बड़ी बेशर्म औरत है !
..................................................
कहा शौहर ने देखो हद तुम्हारी घर की चौखट है ,
वो चौखट पार करती है बड़ी बेशर्म औरत है !
................................................
करो शौहर की तुम खिदमत रहे दम ज़िस्म में जब तक ,
वो इससे भी मुकरती है बड़ी बेशर्म औरत है !
..................................................................
उसे समझाओ 'नूतन' चीज़ है वो मन बहलाने की ,
वो खुद को क्या समझती है !!बड़ी बेशर्म औरत है !

शिखा कौशिक 'नूतन'

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (09-04-2014) को चुनाव की नाव, पब्लिक का लक; चर्चा मंच 1577 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हास्य-व्यंग्य के सशक्त आयाम
    अलबेला खत्री का असमय में जाना
    जमीन से जुड़े एक महान कलाकार का जाना है...
    चर्चा मंच परिवार की ओर से भाव भीनी श्रद्धांजलि।
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सामान भरी नारी बेशर्म नहीं शक्ति है ...

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  3. है अब वो एक शख्शियत -

    नहीं जागीर पुरुषों ,बेहतरीन रचना नै ज़मीं तलाशती तोड़ती सी :

    नहीं पर्दा ये करती है बड़ी बेशर्म औरत है ,
    ये शौहर से जो लड़ती है बड़ी बेशर्म औरत है !
    ......................................................
    उठाया हाथ शौहर ने दिखाई आँख इसनें भी ,
    नहीं शौहर से डरती है बड़ी बेशर्म औरत है !
    ..................................................
    कहा शौहर ने देखो हद तुम्हारी घर की चौखट है ,
    वो चौखट पार करती है बड़ी बेशर्म औरत है !
    ................................................
    करो शौहर की तुम खिदमत रहे दम ज़िस्म में जब तक ,
    वो इससे भी मुकरती है बड़ी बेशर्म औरत है !
    ..................................................................
    उसे समझाओ 'नूतन' चीज़ है वो मन बहलाने की ,
    वो खुद को क्या समझती है !!बड़ी बेशर्म औरत है !

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  4. बेबाक अभिव्यक्ति सटीक लिखा

    "स्वयं को जाँचती है ये
    अपनी खींची लकीरों से
    उन्हें कुछ न समझती है
    बड़ी बेशर्म औरत है "

    बधाई शलिनी जी

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  5. नहीं अब मिन्नतें करती मगर वह मांगती है हक़,
    शर्म तुमको नहीं, कहते बड़ी बेशर्म औरत है |

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