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बुधवार, 4 दिसंबर 2013

श्याम स्मृति.---ईश्वर -प्रकृति, आद्य-शक्ति - नारी सत्ता ही सृष्टि व सृजन का कारण ... --- डा श्याम गुप्त....



                         ईश्वर -- प्रकृति आद्य-शक्ति - नारी सत्ता ही सृष्टि व सृजन का कारण ...
                    

            ईश्वर  है या नहीं  - यह एक गंभीर विवेचना का विषय  है जो युगों से चलता आया है चलता रहेगा | वस्तुतः यह आस्था  का विषय है .." मानों तो शंकर हैं, कंकर हैं अन्यथा "  यद्यपि वैदिक साहित्य में ईश्वर के होने के अत्यंत प्रामाणिक, तर्कपूर्ण सारगर्भित प्रमाण प्रतुत किये गए हैं ..परन्तु है यह  आस्था  विषय ही |  विज्ञान   कोई भी वैज्ञानिक आज तक ईश्वर की सत्ता को नकार नहीं पाया है  अपितु सभी महान वैज्ञानिक अंतत .. अपने जीवन  कृतित्व के अंतिम काल में ईश्वर की सत्ता में विश्वास  व्यक्त करते रहे हैं|    
                       देवी-भागवत के अनुसार  --आद्य-शक्ति ..नारी तत्व ही सृष्टि का आधार है | पुरा-वैदिक-विज्ञान आधुनिक विज्ञान दोनों के ही तात्विक भावानुसार अनुसार --सृजन के प्रत्येक संक्रांति काल विभिन्न स्तर पर नारी-शक्ति का योगदान इस बात को पूर्णतः सत्य ठहराता है | आदि-पुरुष ..परमात्व-तत्व ...सिर्फ इच्छा करता है ..अदि-ऊर्जा ही मूल-दृव्य के रूप में ब्रह्माण्ड की आदि सृजन प्रक्रिया का कारक बनती है|  विस्मृति विभ्रम में पड़े ब्रह्मा की स्मृति -स्फुरणा  भी आदि-शक्ति माँ सरस्वती ( अर्थात विज्ञान के अनुसार  बुद्धि, स्मरण, नवीन प्रयोग, खोज  ) ही बनती है जिससे सृष्टि -सृजन पुनः प्रारम्भ हो सका | माहेश्वरी -प्रजा ( मैथुन द्वारा स्वतः प्रजनन की उन्नत प्रक्रिया ) हेतु की सतत प्रक्रिया बार-बार निष्फल होने पर ...नारी-भाव का आविर्भाव ...दक्ष की साठ हज़ार कन्याओं की उत्पत्ति ( विज्ञान के अनुसार --संयोग से  लिंग-चयन  प्रक्रिया की उत्पत्ति )  पर ही  मानव-सृष्टि की सतत स्वतः प्रजनन-उत्पत्ति प्रक्रिया का आरम्भ हुआ|

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