आज भी कई
होते चीरहरण
कहाँ हो कृष्ण
***
रही चीखती
क्यों नहीं कोई आया
उसे बचाने
***
निर्ममता से
तार-तार इज्ज़त
करें वहशी
***
हुआ वहशी
खो दी इंसानियत
क्यों आदमी ने
***
तमाम भय
असुरक्षित हम
कैसा विकास
***
कैसी ये व्यथा
क्यों रहे जानवर
पढ़-लिख के
***
वामा होने की
कितनी ही दामिनी
भोगतीं सज़ा
***
बेबस नारी
अजीब-सा माहौल
कैसा मखौल
***
ओ रे मानव
कई युग बदले
हुआ ना सभ्य
***
Dr. Sarika Mukesh
http://hindihaiku.blogspot.com
BAHUT HI SATEEK HAIKU .BADHAI
जवाब देंहटाएंhardik aabhar Shikhaji!!
जवाब देंहटाएं