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बुधवार, 21 अगस्त 2013

श्याम स्मृति...स्त्री-शिक्षा व शोषण-चक्र ....डा श्याम गुप्त ...



                                      स्त्री-शिक्षा शोषण-चक्र ....
 
                              यदि शिक्षा स्त्री-शिक्षा के इतने प्रचार-प्रसार के पश्चात् भी शोषण उत्प्रीणन जारी रहे तो क्या लाभहमें  बातें नहींकर्म पर विश्वास करना चाहिए, परन्तु यथातथ्य विचारोपरांत   यह  

शोषण-उत्प्रीणन  चक्र अब रुकना ही चाहिए   पर जब तक  नारी स्वयं आगे नहीं आयेगी, क्या होगा, कुछ 

नहीं  ? नारी-शोषण   में कुछ नारियां ही तो भूमिका में होती हैं   आखिर हीरोइनों  को कौन  विवश करता है  

अर्धनग्न नृत्य के लिएचंद पैसे ही   क्या कमाई का यह ज़रिया वैश्यावृत्ति का नया अवतार नहीं कहा  

जा  सकता
 

               आखिर नारी क्या चाहती हैनारी स्वातंत्र्य का क्या अर्थ होमेरे विचार में स्त्री को भी पुरुषों  

की भाँति सभी कार्यों की छूट होनी चाहिए  हाँ, साथ ही सामाजिक मर्यादाएं, शास्त्र मर्यादाएं स्वयं स्त्री  

सुलभ मर्यादाओं की रक्षा करते हुए स्वतंत्र जीवन का उपभोग करें   आखिर पुरुष भी तो स्वतंत्र है, परन्तु  

शास्त्रीय, सामाजिक पुरुषोचि मर्यादा निभाये बगैर समाज उसे भी कब आदर देता है   वही स्त्री के लिए भी  
है  भारतीय समाज में प्राणी मात्र के लिए सभी स्वतन्त्रता सदा से ही हैं   हाँ, गलत लोग, गलत स्त्री तो हर  

समाज में सदा से होते आये हैं रहेंगे   इससे सामाजिक संरचना थोड़े ही बुरी होजाती है अतः उसे कोसा  

जाय , यह ठीक नहीं और  'समाज को बदल डालोयह नारा ही अनुचित है अपितु  'स्वयं को बदलो ' नारा  

होना चाहिए  यही एकमात्र उपाय है आपसी समन्वय का एवं स्त्री-पुरुष, समाज-राष्ट्र विश्व-मानवता की  

भलाई  उन्नति का |

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज वृहस्पतिवार (22-06-2013) के "संक्षिप्त चर्चा - श्राप काव्य चोरों को" (चर्चा मंचः अंक-1345)
    पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें!!! आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |

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  3. धन्यवाद शास्त्री जी, शालिनी एवं ललित जी ...

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