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मंगलवार, 31 जुलाई 2012

राखी का त्यौहार.... डा श्याम गुप्त...

        

                  (घनाक्षरी छंद )
                        १.
भाई और  बहन का प्यार कैसे भूल जायं ,
बहन ही तो भाई का प्रथम सखा होती है |
भाई ही तो बहन का होता है प्रथम मित्र,
बचपन की यादें कैसी मन को भिगोती हैं |
बहना दिलाती याद,ममता की माँ की छवि,
भाई में बहन, छवि पिता की संजोती है  |
बचपन महकता ही रहे सदा यूंही श्याम ,
बहन को भाई, उन्हें बहनें  प्रिय होती हैं  ||
                       २.
भाई औ बहन का प्यार दुनिया में बेमिसाल,
यही प्यार बैरी को भी राखी भिजवाता है |
दूर देश  बसे  , परदेश या  विदेश में हों ,
भाइयों को यही प्यार खींच खींच लाता है |
एक एक धागे में बसा असीम प्रेम बंधन,
राखी का त्यौहार रक्षाबंधन बताता है |
निश्छल अमिट बंधन, श्याम'धरा-चाँद जैसा ,
चाँद  इसीलिये  चन्दामामा  कहलाता है ||
                        ३.
रंग विरंगी सजी राखियां कलाइयों पर,
देख  देख भाई  हरषाते  इठलाते  हैं  |
बहन जो लाती है मिठाई भरी प्रेम-रस ,
एक दूसरे को बड़े प्रेम से खिलाते हैं |                                                                      
दूर देश बसे जिन्हें राखी मिली डाक से,
 बहन की ही छवि देख देख मुसकाते हैं |                                                 
 अमिट अटूट बंधन है ये प्रेम-रीति का,                                                   
सदा बना रहे श्याम ' मन से मनाते हैं ||








सोमवार, 30 जुलाई 2012

पुरुषों की दुनिया कितनी प्यासी !

बढ़ती गरमी बारिश की याद ही नहीं दिलाती, उसकी शोभा भी बढ़ाती है। केरल तट पर मानसून की दस्तक हो कि राजधानी दिल्ली में उमस भरी गरमी के बीच हल्की बूंदा-बांदी, खबर के लिहाज से दोनों की कद्र है और दोनों के लिए स्पेस भी। अखबारों-टीवी चैनलों पर जिन खबरों में कैमरे की कलात्मकता के साथ स्क्रिप्ट के लालित्य की थोड़ी-बहुत गुंजाइश होती है, वह बारिश की खबरों को लेकर ही। पत्रकारिता में प्रकृति की यह सुकुमार उपस्थिति अब भी बरकरार है, यह गनीमत नहीं बल्कि उपलब्धि जैसी है। पर इसका क्या करें कि इस उपस्थिति को बचाए और बनाए रखने वाली आंखें अब धीरे-धीरे या तो कमजोर पड़ती जा रही हैं या फिर उनके देखने का नजरिया बदल गया है।
दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के साथ अब तो सूरत, इंदौर, पटना, भोपाल जैसे शहरों में भी बारिश दिखाने और बताने का सबसे आसान तरीका है, किसी किशोरी या युवती को भीगे कपड़ों के साथ दिखाना। कहने को बारिश को लेकर यह सौंदर्यबोध पारंपरिक है। पर यह बोध लगातार सौंदर्य का दैहिक भाष्य बनता जा रहा है। और ऐसा मीडिया और सिनेमा की भीतरी-बाहरी दुनिया को साक्षी मानकर समझा जा सकता है। कई अखबारी फोटोग्राफरों के अपने खिंचे या यहां-वहां से जुगाड़े गये ऐसे फोटो की बाकायदा लाइब्रोरी है। समय-समय पर वे हल्की फेरबदल के साथ इन्हें रिलीज करते रहते हैं और खूब वाहवाही लूटते हैं। नये मॉडल और एक्ट्रेस अपना जो पोर्टफोलियो लेकर प्रोडक्शन हाउसों के चक्कर लगाती हैं, उनमें बारिश या पानी से भीगे कपड़ों वाले फोटोशूट जरूर शामिल होते हैं। बताते हैं कि नम्रता शिरोडकर की बहन शिल्पा शिरोडकर को कई बड़े बैनरों को फिल्में एक दौर में इसलिए मिलीं कि उसे कैमरे के आगे पानी में किसी भी तरह से भीगने से गुरेज नहीं था। खबरें तो यहां तक आर्इं कि उसे एक फिल्म में इतनी बार नहलाया-धुलाया गया कि अगले कई महीनों तक वह निमोनिया से बिस्तर पर पड़ी रही। हीरोइनों के परदे पर भीगने-भिगाने का चलन वैसे बहुत नया भी नहीं है। पर पहले उनका यह भीगना-नहाना ताल-तलैया, गांव-खेत से लेकर प्रेम के पानीदार क्षणों को जीवित करने के भी कलात्मक बहाने थे।
वह दौर गया, जब रिमझिम फुहारों के बीच धान रोपाई के गीत या सावनी-कजरी की तान फूटे। जिन कुछ लोक अंचलों में यह सांगीतिक-सांस्कृतिक परंपरा थोड़ी-बहुत बची है, वह मीडिया की निगाह से दूर है। इसे उस सनक या समझ का ही कमाल कहेंगे कि टूथपेस्ट बेचना हो या मानसून आने की खबर देनी हो, तरीका चाहे जो भी हो होता दैहिक ही है। बारहमासा गाने वाले देश में आया यह परिवर्तन काफी कुछ सोचने को मजबूर करता है। यह फिनोमना सिर्फ हमारे यहां नहीं पूरी दुनिया का है। पूरी दुनिया में किसी भी पारंपरिक परिधान से बड़ा मार्केट स्विम कास्ट¬ूम का है। दिलचस्प तो यह कि अब शहरों में घर तक कमरों की साज-सज्जा या लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से नहीं, अपार्टमेंट में स्विमिंग पूल की उपलब्धता की लालच पर खरीदे जाते हैं। इस पानीदार दौर को लेकर इतनी चिंता तो जरूर जायज है कि पानी के नाम पर हमारी आंखों और सोच में कितना पानी बचा है। अगर पानी होने या बरसने का सबूत महिलाएं दे रही हैं तो फिर पुरुषों की दुनिया कितनी प्यासी है।
(puravia.blogspot.in)

रविवार, 29 जुलाई 2012

माँ देती बुलंदी की राह उसके रहमों-करम से .


   
मिलती है हमको माँ 
उसके रहमों-करम से  ;
मिलती है माँ की गोद उसके रहमों-करम से .

अहकाम में माँ के छिपी औलाद की नेकी ;
ममता की मिलती छाँव उसके रहमों-करम से .

तालीम दे जीने के वो काबिल है बनाती ;
माँ करती राहनुमाई उसके रहमों-करम से .

औलाद की ख्वाहिश को वो देती है तवज्जह ; 
माँ दिलकुशा मोहसिन उसके रहमों-करम से .

कुर्बानियां देती सदा औलाद की खातिर ;
माँ करती परवरिश है उसके रहमों-करम से .

तसव्वुर 'शालिनी' के अब भर रहे परवाज़ ;
माँ देती बुलंदी की राह उसके रहमों-करम से .

                                           शालिनी कौशिक 
                                                     [कौशल ]
अहकाम -हुकुम ,राहनुमाई -पथप्रदर्शन ,दिलकुशा -बड़े दिलवाला ,मोहसिन -एहसान करने वाला ,तसव्वुर -कल्पना ,परवाज़ -उड़ान 

शनिवार, 28 जुलाई 2012

पर बात इतनी सी नहीं ..


पर बात इतनी सी नहीं ..
nakaab 1 (ashok monaliesa) Tags: woman india beautiful beauty eyes colours indian traditions dreams cultures parda pardah nakab ghoonghatHer eye or my Lens? :p (ind{yeah}) Tags: portrait woman india eye girl beautiful face canon rebel model indian south awesome muslim cover amateur parda mesmerizing sigma70300 1000d

जैसे तुम चाहते हो 
मैं वैसे ही वस्त्र धारण कर लेती ,
यदि इससे रूक सकता 
स्त्री से दुर्व्यवहार !
सच मानो मैं अपनी देह को 
ढक लेती हजार बार !
पर बात इतनी सी नहीं ..

स्त्री की देह मात्र देह नहीं 
वो है दुश्मन  को नीचा  
दिखाने  का साधन ;
आज से नहीं 
युगों युगों से ,
सीता हरण ;द्रौपदी का 
चीर हरण ,
इसके ही तो परिणाम थे ,
फिर कैसे रूक जायेगा 
आज ये चलन ?

बीहड़ से लेकर गुवाहाटी तक ;
पुरुष के ठहाके  
स्त्री का चीत्कार ,
स्त्री देह को निर्वस्त्र करने 
का पुरातन व्यभिचार .

सांप्रदायिक दंगें
खून की होलियाँ 
और  यहाँ भी शिकार बनती 
स्त्री देह ,
सर्वोतम  तरीका प्रतिशोध  चुकाने  का 
नोंच  डालो दुश्मन की 
स्त्री की देह .

...फिर भी तुम्हे लगता है 
कि जैसे तुम कहते हो 
वैसे वस्त्र धारण से 
 रूक सकता है 
स्त्री से दुर्व्यवहार !
सच मानो मैं अपनी देह को 
ढक लूंगी  हजार बार !
पर बात इतनी सी नहीं ..

                  शिखा कौशिक 

शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

पहनावे की ले आड़ ...अपना पल्ला झाड़ !


पहनावे  की  ले  आड़  ...अपना  पल्ला  झाड़  !


स्त्री के पहनावे  से  अधिक यदि पुरुष के आचरण पर अधिक ध्यान दिया  जाये  तो स्त्री के विरूद्ध अपराध में कमी  आने की ज्यादा सम्भावना है .यदि स्त्री का पहनावा ही हर स्त्री विरूद्ध अपराध हेतु जिम्मेदार है तो द्वापर  में द्रौपदी  का चीर-हरण न होता .इंद्र द्वारा अहिल्या का बलात्कार  न होता .वस्त्र एक सीमा तक ही किसी  को अपराध करने  के लिए  उकसा  सकते  हैं पर हर पुरुष तो विश्वामित्र नहीं होता कि मेनका  ने  उन्हें मोह लिया और वे  तपस्या विमुख हो गए .  योगी से भोगी  बन गए .मैं स्वयं स्त्री के शालीन पहनावे की कट्टर पक्षधर हूँ  पर मैंने  भी  पिछले  वर्ष  उमंग सबरवाल द्वारा दिल्ली में आयोजित  ''सलट  वॉक '' का समर्थन  किया  था क्योंकि   सम्पूर्ण व्यवस्था स्त्री के विरूद्ध अपराध हेतु स्त्री के वस्त्रों को ही जिम्मेदार ठहराकर अपनी अकर्मण्यता को छिपा लेती  है .गुवाहाटी  में युवती के साथ  दुर्व्यवहार  की घटना  साफ  तौर  पर कानून एवं सुरक्षा  व्यवस्था की विफलता  थी .प्रत्येक नागरिक  की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन पर है .जनता में ऐसी घटनाओं से यही सन्देश जाता है कि कानून व्यवस्था नाम की अब कोई चीज नहीं रही .इसे यदि स्त्री के वस्त्रों से जोड़ दिया जायेगा तो पहले से पंगु प्रशासन के लिए तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जाएगी .किसी भी पहनावे में कोई बुराई नहीं यदि वह देश  व् संस्कृति के हिसाब से पहना जाये .जींस भी शालीन तरीके से पहनी हुई एक युवती को स्मार्ट लुक देती है .
Jeans_girls : Young smiling brunette in jeans. Isolated over white . Stock PhotoSchoolgirl : full length studio portrait of female elementary pupil
पुलिस की व् सेना की वर्दी में महिलाएं किस को  आकर्षित नहीं कर  लेती ?मिनी स्कर्ट में सानिया व् साइना के प्रति किसके   ह्रदय में बुरे भाव आ सकते हैं ?  वही साड़ी में भी अशालीन भाव वाली स्त्री को सराहा नहीं जा सकता .वस्त्रों पर बहस  को विराम  दिया जाना  चाहिए क्योकि ये बहस तो वही खत्म हो जाती है जब स्कूली  छात्राओं के साथ आते जाते समय छेड़कानी की जाती है .क्या स्कूली यूनिफ़ॉर्म  भी भड़काऊ होती है ?सन २००३ में धनबाद में तेजाबी हमले की शिकार सोनाली घर के  छज्जे पर सोयी हुई थी .उस समय पर क्या उसके  वस्त्रों ने गुंडों को यह अपराध करने हेतु उकसाया था ? वास्तव में हर स्त्री विरूद्ध अपराध का कारण भिन्न   ही होता है . ऐसे अपराधों में कई बार आहत   पुरुष अहम् भूमिका निभाता है तो कई बार पीड़ित लड़की के परिवार से उसकी रंजिश .कभी लड़की द्वारा किये  गए छल के कारण ऐसा होता है और कई बार प्रेमी कहलाने वाले पुरुष का मानसिक रूप से अस्वस्थ होना .इन  घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु सबसे कारगर उपाय है सदाचरण व् हमारी   कानून व्यवस्था का चुस्त-दुरुस्त होना .सड़कों पर अपराध रोकने में तो कानून व्यवस्था ही अहम् भूमिका  निभा  सकती  है और घर के भीतर के स्त्री विरूद्ध अपराधों में सदाचरण .पहनावा एक बहुत छोटा मुद्दा है इस पर पारिवारिक स्तर पर ही हो  तो बेहतर है क्योकि भारतीय परिवार ही अपने शिशुओं में संस्कार भरने का काम करते आये हैं .पहनावे को आधार बनाकर  पुलिस प्रशासन    यदि अपनी विफलता से पल्ला झाड़ने  का प्रयास करेगा तो यह मेरे लिए स्वीकार करना असंभव ही है .


                                                          shikha kaushik 

बुधवार, 25 जुलाई 2012

''भारतीय नारी 'अब फेसबुक पर भी !


''भारतीय नारी ''अब फेसबुक पर भी !
फेसबुक पर बनाया है ''भारतीय नारी ''का यह पेज .इसे लाइक करें व् अपनी रचनाएँ इस पर भी पोस्ट करें .
                   
                                  शिखा कौशिक 



''वन्देमातरम ''.मत कहना क्या कोई धर्म सिखाता है ?



''वन्देमातरम ''.मत कहना क्या कोई धर्म सिखाता है ?

जो  ''वन्देमातरम '' नहीं  गा  सकता  वो सच्चा  हिन्दुस्तानी  कहलाने  के काबिल  ही  नहीं .''वन्देमातरम'' कहते  ही ह्रदय  भर  आता  देश  भक्ति  के भाव से .इस राष्ट्रीय गीत में वो ज़ज्बा छिपा है जिसने  ब्रिटिश  हुकूमत  की  जड़ों  को उखाड़ फेंकने में स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया .ये गीत है जन्म भूमि  की  उज्जवल  महिमा  को चहुँ दिशा में प्रसारित करने वाला .कोई धर्म नहीं जो माँ व्  संतान के बीच  आये और संतान को माँ की महिमा गाने से रोक  दे .भ्रमित विचारधाराओं वाले भारत माँ की संतानों  के लिए ही लिखा है यह गीत मैंने -
जो नहीं कृतज्ञ   माँ का है ; जिसको नहीं जन्मभूमि से नेह  ,
माँ के 
चरणों  
में सकल सुख ; जिसको हो इस पर ही संदेह ,
वो पढ़े  -सुने इस कविता को मन का मैल धुल जाता है ,
माँ का वंदन जिह्वा  से नहीं  ह्रदय से गया जाता है .
जिस  शस्य -श्यामला माटी  में खेले  कूदे नाचे गाये ,
जिसने अपनी ले गोद हमें कोमल स्पर्श से सहलाये ,
उसका वंदन करने से पूर्व क्या इतना सोचा जाता है ?
माँ का वंदन जिह्वा ........
श्वासों में बसती है सौरभ  जिसकी सौंधी इस माटी की ,
जिस पर प्रवाहित सरिता जल प्यास मिटाता हम  सब की ,
उपकारी माँ का वंदन कर मन किसका न हर्षाता है ?
माँ का वंदन जिह्वा से ....
सृष्टि की कोई भी सत्ता  माँ की शक्ति से बड़ी नहीं ,
जो रोके माँ के वंदन से जग में ऐसा कोई धर्म नहीं ,
मन की गांठों को खोल जरा अरे !इतना क्यों सकुचाता है .
माँ का वंदन जिह्वा से ...
जन्म भूमि ने हम सब को दिया अन्न जल फल का उपहार ,
नहीं भेद  किया संतानों में बांटा समान सबमे है प्यार ,
'मत करना उसका वंदन तुम ''क्या कोई धर्म सिखाता है ?
माँ का वंदन जिह्वा से नहीं .....
मैं नहीं जानती  ''अल्लाह '' को मैंने  देखा  ''ईश्वर'' को नहीं ,
है जन्मभूमि सर्वस्व मेरा  इस पर जीवन म्रत्यु है यही ,
''वन्देमातरम'' कहते ही उर में आनंद समता है .
माँ का वंदन जिह्वा से नहीं ह्रदय से गया जाता है !!
                              ''वन्देमातरम ''
                जय हिंद ! जय भारत !
               शिखा कौशिक 

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

तन को चुपड़ना छोड़ सखी कर बुद्धि का श्रृंगार .


तन को चुपड़ना छोड़ सखी कर बुद्धि का श्रृंगार .
Beautiful Indian Brides
देह की चौखट के पार पड़ा है प्रज्ञा का संसार ;
तन को चुपड़ना छोड़ सखी कर बुद्धि का श्रृंगार .

Beautiful Indian Brides
कब तक उबटन से मल - मल कर निज देह को तुम  चमकाओगी ?
कुछ तर्क-वितर्क  करो  खुद से अबला कब तक कह्लोगी   ,
केशों की सज्जा छोड़ सखी मेधा को आज सँवार .
तन को चुपड़ना छोड़ ......
Beautiful Indian Brides

पैरों में रचे  महावर है ; हाथों में रचती  है मेहँदी ,
नयनों में कजरा लगता है ; माथे पर सजती  है बिंदी ,
सोलह सिंगार तो बहुत हुए अब  उठा  ज्ञान  तलवार  .
तन को चुपड़ना छोड़ ....
Beautiful Indian Brides

हाथों में कंगन;  कान  में झुमका;  गले में पहने हार  ;
पैर  में पायल;  कमर में तगड़ी ; कितने  अलंकार ?
ये कंचन -रजत के भूषण तज फौलादी करो विचार .
तन को चुपड़ना छोड़ सखी कर बुद्धि  का श्रृंगार  .
                                          शिखा कौशिक 
                                     [विख्यात ]

माफ करना साथिन !


तुम्हें तो पंख मिले हैं फितरतन
जाओ न उड़ो तुम भी
कहो कि मेरा है आकाश

क्यों
आखिर क्यों चाहिए तुम्हें
उतनी ही हवा
जितनी उसके बांहों के घेरे में है
क्यों है जमीन उतनी ही तुम्हारी
जहां तक वह पीपल घनेरा है

सुनी नहीं बहस तुमने टीवी पर
बिन ब्याही भी पूरी है औरत
क्या बैर है तुम्हारा उन सहेलियों से
जिनके पर्स में रखी माचिस
कहीं भी और कभी भी
चिंगारी फेंकने के लिए रहती है तैयार

बताओ आखिर
क्या मतलब है इसका
कि एक आईना भी नहीं है तुम्हारे पास
उसे छोड़कर
जिसमें तुम संवर सको
मलिका बन सको दुनिया जहान की

तुमने तो देखी भी नहीं होगी
टांगें अपनी ऊपर से नीचे तक
पता भी है तुम्हें
कि जिन अलग-अलग नंबरों से
घेरती-बांधती हो खुद को
उसका जरूरत से ज्यादा बटनदार होना
आजादी की असीम संभावनाओं का गला घोंटना है

जानती नहीं तुम
कि छलनी से चांद निहारने की आदत तुम्हारी
आक्सीजन में मिलावट है उसके लिए
खांसने लगता है वह
हांफती है जिंदगी उसकी
तुम्हारे बस उसके कहलाने से

तुम भले बनना चाहो उसकी मैना
वह तुम्हारे दरख्त का तोता नहीं बन सकता
वन बचाओ मुहिम का एक्टिविस्ट वह
जंगली है पूरी तरह से

तुम्हें अहसास नहीं शायद
कि बेटी हो तुम उस सौतेली सोच की
जो पूरी जिंदगी सोखा आती है
अपने बाप का हुलिया जानने में
माफ करना साथिन
बिल क्लिंटन की पीढ़ी का मर्द
इससे ज्यादा ईमानदार नहीं हो सकता
कि रात ढले तक तुम्हें
अपनी दबोच से आजाद रखे

सोमवार, 23 जुलाई 2012

कैप्टन लक्ष्मी सहगल को भावभीनि श्रद्धांजलि



आज़ाद हिन्द फ़ौज की कमांडर रह चुकी 98 वर्षीय कैप्टन लक्ष्मी सहगल का आज निधन हो गया |

डॉक्टर लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर 1914 में एक परंपरावादी तमिल परिवार में हुआ और उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की शिक्षा ली, फिर वे सिंगापुर चली गईं। वहीं पर उनकी मुलाक़ात सुभाष चंद्र बोस जी से हुई और वो आज़ाद हिंद फ़ौज में शामिल हो गईं।

वे बचपन से ही राष्ट्रवादी आंदोलन से प्रभावित हो गई थीं और जब महात्मा गाँधी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन छेड़ा तो लक्ष्मी सहगल ने उसमे हिस्सा लिया। वे 1943 में अस्थायी आज़ाद हिंद सरकार की कैबिनेट में पहली महिला सदस्य बनीं। एक डॉक्टर की हैसियत से वे सिंगापुर गईं थीं लेकिन 87 वर्ष की उम्र में भी वो कानपुर के अपने घर में बीमारों का इलाज करती थी।

आज़ाद हिंद फ़ौज की रानी झाँसी रेजिमेंट में लक्ष्मी सहगल बहुत सक्रिय रहीं। फिर उन्हे कैप्टन बना दिया गया और बाद में उन्हें कर्नल का ओहदा दिया गया लेकिन लोगों ने उन्हें कैप्टन लक्ष्मी के रूप में ही याद रखा। वो एशिया की पहली महिला कमांडर बनी | जिस जमाने मे औरतों का घर से निकालना भी जुर्म समझा जाता था उस समय उन्होने 500 महिलाओं की एक फ़ौज तैयार की जो एशिया मे अपने तरह की पहली विंग थी |

कैप्टन लक्ष्मी सहगल तमाम महिलाओं के साथ साथ हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत रही और हमेशा ही रहेंगी | अपनी मृत्यु के बाद उन्होने अपना पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज को दान करने की इच्छा जताई थी जिसे कि पूरा किया जाएगा |

महान वीरांगना को भावभीनि श्रद्धांजलि | ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें |

जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें '' भारतीय नारी ''


जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें '' भारतीय नारी ''
''भारतीय नारी ''ब्लॉग आज ब्लॉग जगत में अपना एक प्रतिष्ठित स्थान बना चुका है और इसके समर्थकों व योगदानकर्ताओं की संख्या में नित नयी संख्या जुडती जा रही है .काफी विचार करने पर ही यह महसूस होता है कि आज इस ब्लॉग को एक वर्ष पूर्ण हो गया है .अभी कल ही की तो बात लगती है जब शिखा कौशिक जी ने ये ब्लॉग बनाया और हमें इसमें योगदान हेतु आमंत्रित किया .डॉ.अनवर जमाल जी के सहयोग को नकारना एहसान फरामोशी कहा जायेगा क्योंकि उन्होंने इस ब्लॉग की स्थापना � AF योगदान दिया है और इसके लिंक को अपने ब्लोग्स पर लगाकर अन्य ब्लोगर्स को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया .डॉ.श्याम गुप्त जी इस ब्लॉग के सबसे बड़े योगदानकर्ता कहे जायेंगे जिन्होंने अपने उपन्यास और अपनी बहुत सी पोस्ट इस पर प्रकाशित कर भारतीय नारी का साथ भी दिया है और उन्हें अच्छा कार्य करने हेतु प्रेरित भी किया है .यूँ तो जितने ब्लोगर भी इस ब्लॉग पर योगदानकर्ता  या समर्थक के रूप में जुड़े हैं आज भारतीय नारी के लिए महत्वपूर्ण सहयोगी का स्थान ग्रहण कर चुके हैं और हम सभी के धन्यवाद् के पात्र हैं.

  भारतीय नारी ब्लॉग को शिखा जी ने जो सबसे बड़ी खासियत दी है वह ही इस ब्लॉग को ब्लॉग जगत में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है और वह खासियत है इस ब्लॉग में नारी और पुरुष  को बराबर स्थान .यूँ तो बहुत से सामूहिक ब्लोग्स पर नारी पुरुष एक साथ कार्य कर रहे हैं किन्तु ये ब्लॉग नारी संबंधी  आलेखों  में पुरुषों  को भी अपने विचार प्रस्तुत करने का स्थान देता है यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है 
ये सत्य है कि पुरुष की अहंवादी सोच व सत्तात्मक रवैय्ये ने नारी को अंधेरों में घिरे रहने को मजबूर किया है किन्तु इस सत्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बहुत से पुरुषों ने दकियानूसी रवैय्ये को दरकिनार कर नारी की सफलता में सहयोग तो किया ही है बहुत सी ऐसी नारियों को आगे भी बढाया है जिनके जीवन में आगे बढ़ने की सोच कोई स्थान नहीं रखती थी .भारत की पहली महिला डॉ. डॉ.आनंदी बाई की जब शादी हुई तो वे बहित छोटी थी और पढ़ी लिखी भी नहीं थी .उनके पति ने न केवल उन्हें पढाया बल्कि पढाई के लिए समाज की खिलाफत सहते हुए उन्हें विदेश भी भेजा और देश को पहली महिला डॉ दी.
ऐसे ही हमारी राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी के पति भी प्रशंसा के हक़दार हैं .जहाँ एक सामान्य पति-पत्नी जो साधारण नौकरी में लगे होते हैं और पत्नी की तनख्वाह या पदवृद्धि पति को कुंठा से भर देती है वहीँ माननीय देवी सिंह जी हर कदम पर प्रतिभा जी का साथ देते दिखाई देते हैं और अन्य पुरुषों के लिए आदर्श प्रस्तुत करते हैं .
  ऐसे में शिखा जी के द्वारा इस ब्लॉग पर भारतीय नारी के सम्बन्ध में आलेख प्रस्तुत करने हेतु पुरुषों को नारी के बराबर दर्ज़ा  दिया जाना प्रशंसनीय और सराहनीय कदम है .आखिर जब नारी पुरुष से बराबरी चाहती है तो उसे भी पुरुषों को बराबरी का हक़ देना होगा.कहा भी गया है-
           ''पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है,
            पर तू जरा  भी साथ दे तो और बात है ,
            चलने को तो एक पों से भी चल रहे हैं लोग
            ये दूसरा भी साथ दे तो और बात है .''
एक बार फिर भारतीय नारी ब्लॉग को जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें.
                            शालिनी कौशिक 

हिसाब

हिसाब ना माँगा कभी
अपने गम का उनसे
पर हर बात का मेरी वो
मुझसे हिसाब माँगते रहे ।
जिन्दगी की उलझनें थीं
पता नही कम थी या ज्यादा
लिखती रही मैं उन्हें और वो
मुझसे किताब माँगते रहे ।

काश ऐसा होता जो कभी
बीता लम्हा लौट के आता
मैं उनकी चाहत और वो
मुझसे मुलाकात माँगते रहे ।

कुछ सवाल अधूरे  रह गये
जो मिल ना सके कभी
मैंने आज भी ढूंढे और वो
मुझसे जवाब माँगते रहे ।
- दीप्ति शर्मा

जब तक हरेक भ्रूण के जीवन की रक्षा के लिए उपाय न किए जाएंगे तब तक कन्या भ्रूण रक्षा अभियान अपने अंदर नामुकम्मल ही रहेगा

लोग कन्या भ्रूण हत्या के खि़लाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। यह एक अच्छी बात है कि समाज में प्रचलन के बावजूद इसे एक बुराई के तौर पर देखा जाता है। एक अंदाज़े के मुताबिक हर साल 1 करोड़ से ज़्यादा कन्या भ्रूण मार दिए जाते हैं। इन भ्रूणों में उन की गिनती शामिल नहीं है जिन्हें अपाहिज होने के कारण मार दिया जाता है। यह सलाह देने वाला कोई और नहीं बल्कि डाक्टर ही होता है। हमारी बेटी अनम एक ऐसा ही भ्रूण थी जो कन्या भी थी और अपाहिज भी थी और डाक्टर ने उसे पेट में ही मार देने की सलाह तहरीरी तौर पर दी थी लेकिन हमने उनकी सलाह नहीं मानी और उसे अपने घर में आने दिया। अल्लाह की मर्ज़ी कि वह केवल 28 दिन ही हमारे साथ रह पाई। 22 जुलाई 2010 को वह इस दारे फ़ानी से रहलत फ़रमा गई। वह हमारे दिल में आज भी ज़िंदा है।
उसकी आमद ने हमारे सामने उन करोड़ों भ्रूणों की ज़िंदगी के सवाल को खड़ा कर दिया है जिन्हें हर साल दुनिया भर में महज़ अपाहिज होने के कारण क़त्ल कर दिया जाता है। इसलाम इस कृत्य को निंदनीय मानता है। जब तक हरेक भ्रूण के जीवन की रक्षा के लिए उपाय न किए जाएंगे तब तक कन्या भ्रूण रक्षा अभियान अपने अंदर नामुकम्मल ही रहेगा।

एक आवाज़ बीमार भ्रूण हत्या के खि़लाफ़

रविवार, 22 जुलाई 2012

महिलाओं पर अत्याचार और शालीन वस्त्र .. डा श्याम गुप्त


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                                  वही दूसरी ओर किसी  नेता के लडकियों/महिलाओं को सभी व शालीन वस्त्र पहनने की सलाह पर तथाकथित महिला-आयोग आदि की स्मार्ट महिलायें आपत्ति कर रही हैं कि क्या बच्चियों से बलात्कार  एवं गुवाहाटी की घटना कपडे देख कर हुई थी ?
   वे भूल जाती हैं कि कपडे व अंग् प्रदर्शन भावनाओं को उत्तेजित करता है एवं टीवी , सिनेमा, उच्च वर्ग की महिलायें , सिने-तारिकाएं आदि को अधनंगा देखकर उन पर जोर नहीं चलता अपितु जहां जोर चलता है वहीं उसका प्रभाव व आवेग निकलता है |
 दूसरी ओर हमारे व्यंगकार -कवि गोपाल चतुर्वेदी जी इस विषय पर  खाप पंचायतों के फरमानों पर घिसे-पिटे सवाल उठाते हुए लिखित संविधान की बात करते हैं....परन्तु सब जानते हैं कि यह संविधान व इसके कार्यकारी जन कैसा व कितना पालन कर रहे हैं कि ५०-६० वर्षों में  इस समस्या पर काबू नहीं पाया जा सका है अपितु समस्या बढ़ी ही है |  संविधान में पंचायती राजकी बात भी कही गयी है |  
क्या हम सब , पढ़े-लिखे स्त्री-पुरुष व पाश्चात्य रन में रंगे युवा  इन सब बातों पर पुनर्विचार करेंगे |

हम साथ साथ हैं -प्रथम वर्षगांठ पर विशेष


'' भारतीय नारी ''ब्लॉग की प्रथम वर्षगांठ पर आप सभी योगदानकर्ताओं व् अनुसरनकर्ताओं का हार्दिक धन्यवाद .आपके  सहयोग ;प्रोत्साहन व् दिशा निर्देशन में यह ब्लॉग सफलता के नए आयाम छूता रहेगा ऐसी शुभकामना  के साथ -
                              शिखा कौशिक [व्यवस्थापक -''भारतीय नारी ''] 

विध्वंस में  छिपा  है नव सृजन  का मूल   ;
शाश्वत  है ये नियम मानव न इसे भूल  .
हुई बहिष्कृत ''नारी  'से  तब  सृजित  हुआ  ये मंच  ;
योगदान  सब यहाँ करें नहीं पुरुष  स्त्री प्रपंच .
लक्ष्य  केवल एक था मिले स्त्री को  सम्मान ;
अखिल विश्व में भारत की नारी का हो सम्मान .
योगदानकर्ताओं  ने  दिया  बड़ा  योगदान ;
''रविकर'के ''अतुल'' तेज से फैला ''प्रेम  प्रकाश ''महान ''.

''श्याम'' की मुरली बजी हर्षित हुए ''हरीश '';
''नीलकमल'' विकसित भये ''आशा''मय हुए ''महेश ''.
मिली ''प्रेरणा '' नारी को नवयुग  का हुआ ''अभिषेक ''
''अंकित'' हुए तथ्य नए ''रचना'' हुई अनेक .
'भुवनेश्वरी''की ''वीणा''के सुर ''श्रवण'' करे  ''सुनीता '';
''शास्त्री '' ''दत्त '' व् ''अनवर'' के भावों की बहे सरिता .
''मृदुला''भर ''अंजली''में ''दीप्ति'' करें सभी को ''अशोक '';
''प्रदीप'' ''सवाई'' की ''साधना '' फैलाती आलोक .
''रेखा''और ''कुणाल ''संग ''हरकीरत'' का सहयोग'';
''कनु''संग जुडी ''राजेश'' अदभुत ये संयोग .
मैं सौभाग्य ''शालिनी''मिला आप सभी का हैं साथ  ;
''शिखा  ''कर रही आपका ह्रदय से धन्यवाद .





''हरियाली तीज ''-'' रमज़ान माह '' की हार्दिक शुभकामनायें .





 परिचय -
हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी  तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व  भारतीय  महिलाओं का विशेष त्यौहार है .यह भारत  में राजस्थान ,उत्तर प्रदेश और बिहार में विशेष रूप से  मनाया जाता है .इस दिन उपवास व् घेवर की मिठाई दोनों का विधान है.ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से माता पार्वती की कृपा से कुवारी कन्या  को  मनचाहा  वर प्राप्त होता है और सुहागन नारियों   का सुहाग अमर रहता है . मेहँदी रचाए व् नवीन वस्त्रों को धारण करें भारतीय  नारियों की शोभा देखते ही बनती है .झूलों व् हरियाली गीतों से   इस त्यौहार की रौनक  और  भी  बढ़   जाती  है .सभी भारतीय महिलाओं को ''हरियाली तीज '' की हार्दिक   शुभकामनायें .साथ  ही सभी ब्लोगर बंधुओं व्   बहनों को रमज़ान माह की हार्दिक  शुभकामनायें !  
                  शिखा   कौशिक   

भारत की इस बहू में दम है -सोनिया गाँधी


भारत की इस बहू में दम है -सोनिया गाँधी 
Rajiv Gandhi - 2728
२१ मई १९९१ की रात्रि  को जब तमिलनाडु  में श्री पेराम्बुदूर   में हमारे प्रिय नेता राजीव  गाँधी जी की एक बम  विस्फोट में हत्या  कर दी गयी वह क्षण पूरे भारत वर्ष को आवाक कर देने वाला था .हम इतने व्यथित थे.... तब  उस स्त्री के ह्रदय  की वेदना  को समझने   का प्रयास  करें  जो अपना  देश ..अपनी संस्कृति  और अपने परिवारीजन  को छोड़कर यहाँ हमारे देश में राजीव जी की सहगामिनी -अर्धांगिनी बनने आई थी .मैं बात कर रही हूँ सोनिया गाँधी जी की .निश्चित रूप  से सोनिया जी के लिए वह क्षण विचिलित  कर देने वाला था -

''एक हादसे ने जिंदगी का रूख़ पलट दिया ;
जब वो ही न रहा तो किससे करें गिला ,
मैं हाथ थाम जिसका  आई थी इतनी  दूर ;
वो खुद बिछड़   कर दूर मुझसे चला गया  .''

     सन १९८४ में जब इंदिरा जी की हत्या की गयी तब सोनिया जी ही थी जिन्होंने राजीव जी को सहारा दिया पर जब राजीव जी इस क्रूरतम  हादसे का शिकार हुए तब सोनिया जी को सहारा देने वाला कौन था ?दिल को झंकझोर कर रख देने वाले इस हादसे ने मानो सोनिया जी का सब  कुछ ही छीन लिया था .इस हादसे को झेल जाना बहुत मुश्किल रहा होगा उनके लिए .एक पल को तो उन्हें यह बात कचोटती ही होगी कि-''काश राजीव जी उनका कहना मानकर राजनीति में न  आते ''पर ....यह सब सोचने का समय अब कहाँ  रह  गया था ?पूरा  देश चाहता था कि सोनिया जी कॉग्रेस की कमान संभालें लेकिन  उन्होंने ऐसा  नहीं किया .२१ वर्षीय पुत्र राहुल व् 19 वर्षीय पुत्री प्रियंका को पिता  की असामयिक मौत के हादसे की काली छाया से बाहर  निकाल  लाना कम चुनौतीपूर्ण  नहीं था .

अपने आंसू पीकर सोनिया जी ने दोनों को संभाला और जब यह देखा कि कॉग्रेस पार्टी कुशल  नेतृत्व के आभाव में बिखर रही है तब पार्टी को सँभालने हेतु आगे  आई .२१ मई १९९१ के पूर्व  के उनके जीवन व् इसके बाद के जीवन में अब ज़मीन  आसमान  का अंतर  था .जिस राजनीति में प्रवेश करने हेतु वे राजीव जी को मना  करती  आई थी आज वे स्वयं  उसमे स्थान बनाने  हेतु संघर्ष शील थी .क्या कारण था अपनी मान्यताओं को बदल देने का ?यही ना कि वे जानती थी कि वे उस परिवार  का हिस्सा हैं जिसने देश हित में अपने प्राणों का बलिदान कर दिया .कब तक रोक सकती थी वे अपने ह्रदय की पुकार   को ? क्या हुआ जो आज राजीव जी उनके साथ शरीर रूप में नहीं थे पर उनकी दिखाई गयी राह तो सोनिया जी जानती ही थी .
दूसरी ओर   विपक्ष केवल एक आक्षेप का सहारा लेकर भारतीय जनमानस में उनकी गरिमा को गिराने हेतु प्रयत्नशील था .वह आक्षेप था  कि-''सोनिया एक विदेशी महिला हैं '' . सोनिया जी के सामने चुनौतियाँ  ही चुनौतियाँ  थी .यह भी एक उल्लेखनीय तथ्य है कि जितना संघर्ष सोनिया जी ने कॉग्रेस को उठाने हेतु किया उतना संघर्ष नेहरू-गाँधी परिवार के किसी अन्य  सदस्य को नहीं करना पड़ा होगा .
सोनिया जी के सामने चुनौती थी भारतीयों के ह्रदय में यह विश्वास पुनर्स्थापित  करने की कि -''नेहरू गाँधी परिवार की यह बहू भले ही इटली से आई है पर वह अपने पति के देश हित हेतु राजनीति में प्रविष्ट हुई है ''.यह कहना अतिश्योक्ति पूर्ण न होगा कि सोनिया जी ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि अपनी मेहनत व् सदभावना से विपक्ष की हर चाल को विफल कर डाला .लोकसभा चुनाव २००४ के परिणाम सोनिया जी के पक्ष में आये .विदेशी महिला के मुद्दे को जनता ने सिरे से नकार दिया .सोनिया जी कॉग्रेस [जो सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आया था ]कार्यदल की नेता चुनी गयी .उनके सामने प्रधानमंत्री बनने का साफ रास्ता था पर उन्होंने बड़ी विनम्रता से इसे ठुकरा दिया .कलाम साहब की हाल में आई किताब ने विपक्षियों के इस दावे को भी खोखला साबित कर दियाकी कलाम साहब ने सोनिया जी को प्रधानमंत्री बनने से रोका था .कितने व्यथित थे सोनिया जी के समर्थक और राहुल व् प्रियंका भी पर सोनिया जी अडिग रही .अच्छी सर्कार देने के वादे से पर वे पीछे नहीं हटी इसी का परिणाम था की २००९ में फिर से जनता ने केंद्र की सत्ता की चाबी उनके हाथ में पकड़ा दी .
              विश्व की जानी मानी मैगजीन  ''फोर्ब्स ''ने भी सोनिया जी का लोहा माना और उन्हें  विश्व की शक्तिशाली महिलाओं में स्थान दिया -

7Sonia Gandhi

Sonia Gandhi

President

 सोनिया जी पर विपक्ष द्वारा कई बार तर्कहीन आरोप लगाये जाते रहे हैं पर वे इनसे कभी नहीं घबराई हैं क्योकि वे राजनीति में रहते हुए भी राजनीति  नहीं करती  .वे एक सह्रदय महिला हैं जो सदैव जनहित में निर्णय लेती है .उनके कुशल नेतृत्व में सौ करोड़ से भी ज्यादा की जनसँख्या वाला हमारा भारत देश विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहे  बस यही ह्रदय से कामना है .आज महंगाई ,भ्रष्टाचार के मुद्दे लेकर विपक्ष सोनिया जी को घेरे में तत्पर है पर वे अपने विपक्षियों से यही कहती नज़र आती हैं-
''शीशे के हम नहीं जो टूट जायेंगें ;
फौलाद भी पूछेगा इतना सख्त कौन है .''
                वास्तव में सोनिया जी के लिए यही उद्गार ह्रदय से निकलते हैं -''भारत की इस बहू में दम है .''
                                     शिखा कौशिक 
               [विचारों का चबूतरा ]
[ALL PHOTOS HAVE BEEN TAKEN FROM -[Rahul Gandhi OFFICIAL WEBSITE ]