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रविवार, 4 मार्च 2012

कन्या-देवी पूज, जुल्म उनपर ही ढाये-

बाहर की क्या बात, आज घर में ही डरती

प्यार मिले परिवार का, पुत्र-पिता पति साथ ।
देवी मुझको मत बना, झुका नहीं नित माथ ।
झुका नहीं नित माथ, झूठ आडम्बर छाये ।
कन्या-देवी पूज, जुल्म उनपर ही ढाये ।
दुग्ध-रक्त तन प्राण, निछावर सब कुछ करती ।
बाहर की क्या बात, आज घर में ही डरती ।। 


अधूरी कुंडली

एक समाचार रूस से

रुसी पुत्र अबोध से, रुसी माता एक ।
खलल नींद में जो पड़ा, पुत्र  को देती फेंक । 
पुत्र  को देती फेंक, रही चौदहवीं मंजिल ।
तनिक नहीं अफ़सोस, खूब सोई फिर बेदिल ।
इस अफसोसनाक घटना पर --
आगे की दो पंक्तियाँ आप पूरी करें --
मुझसे नहीं लिखी जाती  

आदरणीय डा. श्याम जी गुप्त ने यह पंक्तियाँ जोड़ी हैं अधूरी कुंडली में--
जबरदस्त ।
बहुत बहुत आभार --
है अभागा समाज वह,यह राक्षसी चरित्र ।
गलत जगह पैदा हुआ, है वह रूसी पुत्र ॥

6 टिप्‍पणियां:

  1. दुग्ध-रक्त तन प्राण, निछावर सब कुछ करती ।
    बाहर की क्या बात, आज घर में ही डरती ।।
    sachchai bahut hi sundar shabdon me vyakt kar di aapne.aabhar.

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  2. बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
    इंडिया दर्पण की ओर से होली की अग्रिम शुभकामनाएँ।

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  3. है अभागा समाज वह,यह राक्षसी चरित्र ।
    गलत जगह पैदा हुआ, है वह रूसी पुत्र ॥

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  4. है अभागा समाज वह,यह राक्षसी चरित्र ।
    गलत जगह पैदा हुआ, है वह रूसी पुत्र ॥
    तब क्या यह माना जाए हिन्दुस्तान में जो लडकियां माँ की कोख में ही दफन हो रहीं हैं वह गलत जगह पैदा हो रहीं हैं .लड़कियों के वध के विषय में क्या कहिएगा .अपना गिरेबान भी झांकिए ..

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